- December 2, 2014
बंदर के हाथ में अदरकः स्कूलियां प्रिंसिपल : नार्थ वेस्टर्न रेलवे आरआरसी परीक्षा
अजमेर – नार्थ वेस्टर्न रेलवे द्वारा आयोजित आरआरसी परीक्षा में आज फिर छात्र स्थानीय परीक्षा केंद्र के अधिकारियो के थोपे गए नए नियमों का शिकार हुए| जिसके चलते कई लाचार छात्र परीक्षा देने से वंचित रह गए | कभी जन्म प्रमाण पत्र तो कभी फोटो पहचान पत्र का हवाला दी कर छात्रों को परीक्षा केन्द्रो से बहार निकल दिया गया | जिन छात्रों के प्रमाण पत्र ऑनलाइन अपलोड थे, उन्होने नज़दीकी साइबर कैफ़े से प्रमाण पत्र कि कॉपी निकल कर पेश की तो उन्हें समय खत्म होने का बहाना करके परीक्षा में बैठने नहीं दिया गया | बंदर के हाथ में अदरकः स्कूलियां
इस विषय में राजेंद्र स्कूल के प्रिंसिपल ने जानकारी दी की किसी भी पहचान पत्र की फ़ोटो कॉपी मान्य नहीं है। ओरिजिनल वोटर आई डी, आधार कार्ड व् अन्य दस्तावेज प्रस्तुत करने पर ही प्रवेश दिया जाएगा पर कई छात्रों के पास ओरिजिनल और सत्यापित प्रति होने के बावजूद भी प्रवेश नहीं देने पर अपना पल्ला झाड़ाते हुए, मामला रेलवे अधिकारियो के मत्थे मंड दिया |
परीक्षा केंद्र के बहार और अंदर लगी सुचना पर भी ये कही नहीं अंकित था कि आपको ओरिजिनल कॉपी ही लेकर आनी है | (नोटिस कि फोटो भी है )
वही संत कँवर राम आशा गंज की प्राचार्य सरस्वती मुरजानी ने तो खुल कर दबंगई दिखाई पहले तो मीडिया से बात करने से ही मना कर दिया और स्कूल का मैन गेट ही बंद कर दिया, पत्रकारों के बार-बार बोलने पर भी उनके चतुर्थ कर्मचारी से कहलवा दिया कि “जिसको जो करना है करे, ये मेरा स्कूल है, मै किसी से नहीं डरती, यहाँ मेरी मर्ज़ी ही चलेगी” | जबकि कई पत्रकारों ने आग्रह भी किया की जिन छात्रों के पास पुरे दस्तावेज है उन्हें किर्पया अंदर ले लिया जाए, पर सरस्वती देवी जी को ना किसी की विनती सुनाई दी और न ही छात्रों के आसुओ का कोई असर हुआ| अंत तक उनके सेंटर के बहार ऐसे छात्रों की भीड़ लगी रही जिनको उम्मीद थी कि शायद कुछ देर बाद या अगले सत्र में उन्हें प्रवेश दे दिया जाए|
झुंझुनू से आये छात्र दिनेश कुमार मीणा ने जानकारी देते हुए बताया कि 10 बजे वो संत कँवर राम स्कूल पहोच गया था मगर जनम प्रमाण ना होने पर उसे परीक्षा में बैठने से मन कर दिया | वहा मौजूद पर्यवेक्षक को उसने इस विषय में बात करी जिन्होंने उसे 10:20 तक प्रतिलिपि लाने कि अनुमति दी, दिनेश ने तुरंत पास के साइबर कैफ़े से दसवी कि मार्कशीट कि प्रतिलिपि निकलवाई और तक़रीबन 10:10 पर वो सेंटर पहोच गया पर उसे फिर भी प्रवेश नहीं दिया गया | गरीब परिवार से आया दिनेश रो-रो कर अपनी दास्ता सुना रहा था, दबी आवाज़ में उसने कहा कि “इससे अच्छा तो में मर ही जाता तो अच्छा रहता, मेरे पिताजी ने उधर पैसे लेकर मुझे इस परीक्षा कि तयारी करवाई थी, मगर जब परीक्षा ही नहीं दे पाया तो अब किस मुह से घर जाउगा”| भगवान ना करे अजित या किसी और छात्र ने कोई गलत कदम उठा लिया तो उसका जिम्मेदार कौन होगा परीक्षा आयोजित करने वाला रेलवे विभाग या वो हिटलर प्राचार्य जिसने 10 मिनट पहले ही प्रवेश रोक दिया और छात्रों की मिन्नतों और आसुओ का भी कोई असर नहीं हुआ |
(प्राचार्य सरस्वती मुरजानी का नंबर : 9413227831)