- November 27, 2014
शिक्षा के क्षेत्र में निजी क्षेत्र की व्यापक भागीदारी हो : राष्ट्रपति
राष्ट्रपति ने कहा कि विगत काल में भारत के नालंदा, तक्षशिला, विक्रमशिला, वल्लभी, सोमापुरा और ओदंतपुरी जैसे उच्च शिक्षा के केंद्र थे। ये विश्वविद्यालय पूरी दुनिया के विद्वानों के लिए आकर्षण के केंद्र थे लेकिन आज भारत के लगभग दो लाख होनहार भारतीय छात्र उच्च शिक्षा के लिए विदेश जाते हैं। यह आत्ममंथन का विषय है कि हम अपने उच्च शिक्षा केंद्रों को किस प्रकार विश्व के शीर्ष संस्थान बना सकते हैं।
राष्ट्रपति ने कहा कि हमारे जैसे विकासशील देशों के लिए उच्च आर्थिक विकास आवश्यक है क्योंकि गरीबी, पिछड़ापन और अभाव जैसी समस्यओं से निपटने के लिए यह रामबाण है। ज्ञान आधारित क्षेत्रों के माध्यम से विकास सृजन में बढ़ोतरी हो रही है। ज्ञान से भविष्य में काफी तरक्की होगी लेकिन इसके लिए शिक्षा पर ध्यान केंद्रित करते हुए कुशल और योग्य अमला तैयार करना भी हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण है।
राष्ट्रपति ने कहा कि उच्च शिक्षा संस्थानों की समाज में व्यापक भूमिका रहती है। सामाजिक मुद्दों पर उनका मजबूत योगदान होना चाहिए। समग्र विकास के लिए हाल में कुछ पहल की गई हैं। सांसद आदर्श ग्राम योजना के तहत गांवों के चहुमुखी विकास और उनको आदर्श गांवों में परिवर्तित करने के लिए गोद लिया जा रहा है। उन्होंने सिम्बायोसिस विश्वविद्यालय को इस कार्यक्रम में सक्रिय रूप से भाग लेने के लिए कहा।