• November 26, 2014

34 वां अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार मेला: राजस्थान मंडप अपनी भव्यता और हस्तशिल्प आकर्षण केन्द्र

34 वां अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार मेला: राजस्थान मंडप अपनी भव्यता और हस्तशिल्प आकर्षण केन्द्र

जयपुर – नई दिल्ली के प्रगति मैदान में विगत 14 नवम्बर से शुरू हुए और 27 नवम्बर तक चलने वाले 34वां अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार मेला इन दिनों राष्ट्रीय राजधानी नई दिल्ली और आस-पास के सटे राज्यों के लोगों का आकर्षण बन रहा है।

व्यापार मेला में प्रगति मैदान के गेट नम्बर पांच के समीप स्थित राजस्थान मंडप अपनी भव्यता और हस्तशिल्प आकर्षण के लिए सभी दर्शकों के आकर्षण का केन्द्र बना हुआ है। विशेषकर मंडप में जयपुर के ट्राईबल इन प्रिन्ट्स के श्री गुलशन द्वारा मार्बल से बनी संगमरमर के कलात्मक मूर्तियां विशेष आकर्षण का केंद्र बनी हुई है ।

जयपुर के हस्तशिल्पी श्री गुलशन इस बार राजस्थान मंडप के शिल्प आंगन को अपनी बेजोड़ मूर्तियों से रोशन कर रहे हैं। मंडप में मार्बल निर्मित उनकी बेजोड़ कलाकृत्तियां सभी को बरबस ही अपनी और आकर्षित कर रही है।

श्री गुलशन ने बताया कि मार्बल की कलात्मक वस्तुओं की कीमत सौ रूपये से लेकर लाखों रुपये तक होती है। उनके स्टॉल पर मूर्तियां और अन्य कलात्मक कृत्तियों जैसे ऊंट, हाथी, घोड़े और अन्य मूर्तियां सभी को अपनी और खींच रही है।

श्री गुलशन मूर्ति कला के हुनर को अपने वंश परम्परा से मिली सौगात बताते हैं। वे मकराना अलवर, किशनगढ़, उदयपुर राजस्थान आदि स्थानों से संगमरमर मंगवा कर कलात्मक मूर्तियां बनाते हैं। देवी-देवताओं की मूर्तियां बनाने में उनकी विशेष रुचि और महारत हासिल है।

उन्होंने बताया कि मकराना से निकाले गए प्राकृतिक पत्थर से बनायी गई मूर्तियां एवं अन्य उपयोगी सामानों पर 22 कैरेट सोना एवं मीनाकरी का काम हस्तशिल्प कारीगरों द्वारा हाथ से किया जाता है। यह राजस्थान की सालों पुरानी कला है।

इस कला से निर्मित मूर्तियों को देश-विदेश के म्यूजियम एवं शाही घरानों द्वारा खरीदा एवं बेहद सराहा जाता है। पत्थर पर की गई इस कारीगरी से निर्मित इन कलाकारों की कृत्तियों एवं इनके हुनर को बढ़ावा देने के लिए राजस्थान इम्पोरियम ‘राजस्थली’ कलाकारों को सरकारी सहयोग भी प्रदान करता है।

उनकी कला कृत्तियों में गार्डन एवं भवनों में लगाये जाने वाले पिल्लर्स, वाटर प्लेट, फाउंटेन्स, शंख, लेडी फिगर्स, रोमन शैली के फिगर, घरेलू उपयोग की अनेक वस्तुएं आदि शामिल है।

श्री गुलशन बताते हैं कि उनका पूरा परिवार मूर्ति कला के कार्य में लगा हुआ है और बड़े आकार की मूर्तियां बनाने में उन्हें छह से सात वर्ष लग जाते हैं। वे सफेद और काले रंग के संगमरमर पर अपनी बेजोड़ कला-कृत्तियां बना उन्हें जीवंत बना देते हैं। वे बताते हैं कि कला की कोई कीमत नहीं होती, लेकिन कला के पारखी लोग उम्मीद से भी अधिक कीमत पर उन्हें खरीद ही लेते हैं।

उन्होंने बताया कि विश्व के सात अजूबों में शामिल ताजमहल जैसी कालजयी इमारत राजस्थान के मकराना के मार्बल से ही बनी है, जो कि दुनियां की एक बेजोड़ एवं अजूबी कृति है।

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