- November 25, 2014
यूनेस्को का सम्मेलन : “ बहिष्कार से सशक्तिकरण की ओर निःशक्तजनों के लिए आईसीटी की भूमिका”
आज नई दिल्ली में “बहिस्कार से सशक्तिकरण की ओर निःशक्तजनों के लिए आईसीटी की भूमिका” पर यूनेस्को का सम्मेलन हुआ। सम्मेलन के उद्घाटन समारोह को संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री श्री रविशंकर प्रसाद, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री श्री थावर चंद गहलोत, मानव संसाधन विकास मंत्री श्रीमती स्मृति जुबीन इरानी तथा यूनिस्को की महानिदेशक सुश्री इरिना बोकोवा ने संबोधित किया।
सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री श्री थावर चंद गहलोत ने अपने संबोधन में कहा कि सरकार निशक्त क्षेत्र के संबंध में सात सूत्री कार्यक्रम पर जोर दे रही है। इनमें यूएनसीआरपीडी की पुष्टि के बाद अंतर्राष्ट्रीय दायित्व को पूरा करने के लिए निशक्त जनों के अधिकारों के लिए विधेयक, उन्हें कम लागत की टेक्नोलॉजी से ई-लर्निंग के माध्यम से घर बैठे शिक्षित करना और सरकारी लाभ प्राप्त करने के लिए प्रत्येक निशक्त जन को यूनिवर्सल आईडी देना, आर्थिक निर्भरता सुनिश्चित करने के लिए आय सृजन मॉडल विकसित करना, जन सुविधाओं तक निःशक्तजनों की पहुंच सुनिश्चितकरण और निःशक्तजनों की देखभाल करने वाले परिवार के सदस्यों को कर राहत देना शामिल है।
श्री गहलोत ने बताया कि भारत यूएनसीआरपीडी की पहले पुष्टि करने वाले देशों में है। भारत की 2011 की जनगणना के अनुसार देश में 2.68 करोड़ निशक्त लोग हैं। यह हमारी आबादी का 2.2 प्रतिशत है। उन्होंने कहा कि समावेशी समाज बनाने के लिए सरकार, विकास सहयोगी, सिविल सोसायटी और विशेषज्ञ मिलकर अनेक पहलों के जरिए निशक्तजनों के अधिकारों की रक्षा सुनिश्चित करने का काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि भारत के नागरिक के रूप में निशक्तजनों को सुरक्षित और सम्मानजनक जीवन के लिए सशक्त बनाना हम सब की सामूहिक जिम्मेदारी है।
उन्होंने कहा कि विज्ञान एंव टेक्नोलॉजी से आईसीटी ऐपलीकेशन निशक्तजनों की विभिन्न आवश्यकताओं को पूरा करने में मदद मिली है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने डिजिटल इंडिया अभियान की घोषणा की है। यह अभियान आईसीटी को देश के प्रत्येक नागरिक तक ले जाएगा।
इस मौके पर विकलांगता विभाग की सचिव श्रीमती स्तुति ककड़, मंत्रालय के अधिकारी तथा यूनस्को के प्रतिनिधि उपस्थित थे।