- October 23, 2024
आम आदमी के खास बंगले पर उठते सवाल
राजेश कुमार पासी — अन्ना हजारे के आंदोलन से निकलकर राजनीति में आये केजरीवाल ने आंदोलन के नाम को बदनाम किया है। जैसे आपातकाल के विरोध में जय प्रकाश नारायण के आंदोलन से निकले कुछ समाजवादी नेताओं ने आंदोलन और समाजवाद दोनों को बदनाम किया था क्योंकि समाजवाद के नाम पर उन्होंने भ्रष्टाचार और वंशवाद का नया इतिहास लिख दिया था। केजरीवाल की राजनीति ने अब आंदोलन के नाम को ही बदनाम कर दिया है। अन्ना हजारे बेहद साधारण जीवन जीते हैं और भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ने के लिए उन्होंने जो आंदोलन किया था, उसमें से केजरीवाल जैसा नेता निकला है। केजरीवाल देश की जनता के सामने यह दावा करके राजनीति में आये थे कि वो बड़ा बंगला नहीं लेंगे, बड़ी गाड़ी नहीं लेंगे, सुरक्षा नहीं लेंगे । केजरीवाल मुख्यमंत्री बनने के बाद आज तक देश की जनता के सामने एक डबल एक्सेल की पुरानी कमीज के ऊपर पांच रुपये का पेन लगाकर चलते हैं। उनके पैरों में सौ रुपये वाली सेंडल या हवाई चप्पल होती है। उनके पहनावे से लगता है कि बहुत गरीब और साधारण आदमी मुख्यमंत्री के पद पर बैठा है। वो अपनी जीवन शैली से एक आम आदमी से जुड़ने की कोशिश करते दिखाई देते हैं। वो मुख्यमंत्री के पद पर हैं, अगर वो अच्छे कपड़ो और दूसरे महंगे समानों का इस्तेमाल करते हैं तो गलत नहीं कहा जा सकता । दिल्ली में उनके मुख्यमंत्री निवास स्थान ने उनके साधारण जीवन जीने के नाटक का भंडाफोड़ कर दिया है। जो व्यक्ति दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के बारे में कहता था कि उनके घर 10 एसी लगे हुए हैं, उनका बिल कौन भरता है ? मैं और आप भरते हैं। मेरा तो कलेजा कांप उठता है, यह सोचकर कि दिल्ली की 40% जनता झुग्गियों में रहती है, तब मुख्यमंत्री कैसे ऐसे आलीशान घर में रह सकता है। आज केजरीवाल के घर में शीला दीक्षित के घर से तीन गुना ज्यादा एसी लगे हुए हैं। सवाल यह है कि अब उनका कलेजा क्यों नहीं कांप रहा है। आज भी दिल्ली की 40% जनता झुग्गियों में ही रह रही है।
केजरीवाल ने पुराने मुख्यमंत्री निवास को तोड़कर नया बंगला बनवा लिया था । हैरानी की बात यह है कि पुराने बंगले की रेनोवेशन के नाम उसको तोड़ कर नया बंगला बनाया गया था। लोक निर्माण विभाग के नियमों के अनुसार रेनोवेशन में पुराने भवन में सुधार किया जाता है। अगर भवन को तोड़कर नया बनाना है तो वो रेनोवेशन नहीं कंस्ट्रक्शन कहलाता है । दोनों की टेंडर प्रक्रिया अलग है, और दोनों के लिए फंड भी अलग तरीके से जारी किया जाता है। सरकारी नियमों की अनदेखी करने के कारण ही लोक निर्माण विभाग के 6 अधिकारी विजिलेंस जांच का सामना कर रहे हैं। सवाल उठता है कि क्या उन्होंने अपनी मर्जी से अपनी नौकरी खतरे में डालकर यह काम किया होगा। एक टीवी चैनल ने इस बंगले को शीशमहल का नाम देकर इसमें बेहद महंगे सामानों का इस्तेमाल करने का भंडाफोड़ किया था। अब यह सच्चाई फिर एक बार देश के सामने आ गयी है। केजरीवाल ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है और आतिशी मार्लेना नई मुख्यमंत्री बन गई हैं। केजरीवाल ने बंगला खाली करके उसकी चाबी एक अधिकारी को सौंप दी, जिसे बाद में उस अधिकारी ने नई सीएम आतिशी को सौंप दिया। ऐसा केजरीवाल ने जानबूझकर किया । इसकी वजह यह थी कि वो नहीं चाहते थे कि उनके बंगले की सच्चाई देश की जनता के सामने आ जाये। सरकारी नियमों के अनुसार जब कोई मुख्यमंत्री सरकारी आवास खाली करता है तो वो लोक निर्माण विभाग के एक अधिकारी को उसकी चाबी देता है और सरकारी निवास में लगे सामानों की गिनती उस अधिकारी को करवाई जाती है क्योंकि वो लोक निर्माण विभाग की संपत्ति होती है। इसके बाद यह बंगला लोक निर्माण विभाग के पास कुछ दिन तक रहता है और उसे नए मुख्यमंत्री के लिए दोबारा तैयार किया जाता है। इसके बाद बंगले को तैयार करके नए मुख्यमंत्री को आबंटित कर दिया जाता है और इसके बाद विभाग का एक अधिकारी मुख्यमंत्री के किसी अधिकारी को पूरे साजो सामान को दिखाकर उसे चाबी दे देता है। केजरीवाल ने बंगले को सीधा आतिशी को सौंप दिया था लेकिन सरकारी नियमों के कारण ये काम पूरा नहीं हो सका । लोक निर्माण विभाग के पास जाने से बंगले की जो सच्चाई सामने आई है उसने देश की जनता को हैरान कर दिया है।
केजरीवाल जब बंगला खाली करके गए तो बहुत थोड़ा सा सामान लेकर गए थे, उन्होंने उसका एक वीडियो भी बनवाया था। वो संदेश देना चाहते थे कि वो एक आम आदमी हैं और उसके पास उसकी तरह बहुत थोड़ा सा सामान है। बेहद साधारण जीवन जीने का नाटक करने वाले केजरीवाल की जीवन शैली क्या है, ये अब देश की जनता के सामने आ गई है। उनके बंगले में जो सामान लगा हुआ है, उसकी सूची मीडिया में आ गयी है। जिस बंगले के फर्श के लिए ताज महल में इस्तेमाल हुए मकराना मार्बल को ठुकरा कर वियतनाम से आयात किये गए बेहद महंगे पत्थर का इस्तेमाल किया गया है, उस बंगले के दूसरे सामान भी बेहद कीमती हैं । केजरीवाल के शीश महल में 16 टीवी लगे हुए हैं, जिनकी कुल कीमत 64 लाख रुपये है अर्थात एक टीवी चार लाख रुपये का है । इतने टीवी किसके लिए लगाए गए थे, ये एक बड़ा सवाल है। केजरीवाल के साधारण बंगले में पांच करोड़ के मोटराइज्ड पर्दे लगे हुए हैं। केजरीवाल के बंगले में जलापूर्ति के लिए 15 करोड़ खर्च किये गए हैं। जनता यह जानकर हैरान है कि उनके बंगले में शौच के लिए सात कमोड लगाए गए हैं और एक कमोड की कीमत 12 लाख रुपए है। हैरानी की बात है कि एक बंगले में केजरीवाल के लिए सात पूर्ण स्वचालित टोटो ब्रांड की टॉयलेट शीट
लगाई गई हैं। मुझे लगता है कि ऐसी टॉयलेट शीट तो देश के किसी भी सरकारी निवास में एक भी नहीं लगी होगी और केजरीवाल ने सात-सात सीट लगवा रखी हैं। चार लाख की बॉडी मसाज चेयर, नौ लाख का ओवन, नौ लाख के दो फ्रीज, 6 लाख की चिमनी, 70 लाख के कांच के दरवाजे और न जाने कितने और कीमती सामान लगे हुए हैं। इन सामानों की लिस्ट सोशल मीडिया में वायरल हो रही है। सवाल यह है कि केजरीवाल ने बड़ा बंगला बनवाकर इतना कीमती सामान भरवा दिया और ये सब तब किया जब दिल्ली की जनता कोरोना महामारी के समय ऑक्सिजन की कमी से जूझ रही थी।
केजरीवाल अगर अपने पैसे से यह सब सुविधाएं प्राप्त करते तो कोई समस्या नहीं थी लेकिन आम आदमी की जिंदगी बदलने का दावा करने वाले नेता ने अपने प्रदेश की गरीब जनता के पैसे से यह सब सुविधाएं हासिल की थी। छोटा घर लेने की बात करने वाला नेता अगर बड़ा घर लेता है तो कहा जा सकता है कि उन्हें मुख्यमंत्री होने के कारण ऐसा करना पड़ा लेकिन शीशमहल बनवाने की क्या जरूरत थी। अगर शीशमहल बनवा लिया तो जनता के पैसों से ये राजसी ठाठबाट की क्या जरूरत थी। केजरीवाल कहते थे कि अगर मुझे अच्छा जीवन जीना होता तो मैं सरकारी नौकरी नहीं छोड़ता, मुझे तो जनता की सेवा करनी थी और मैं एक आम आदमी हूँ । कितनी अजीब बात है कि पांच रुपये का पेन रखने वाला नेता घर में सवेरे 12 लाख के कमोड में शौच करता है। सौ रुपये की चप्पल पहनने वाले नेता के घर में तीस एसी लगे हुए हैं, 64 लाख के 16 टीवी हैं। सौ रुपये की चप्पल पहनकर ये नेता अपने घर में करोड़ो रूपये के विदेशी पत्थर से बने फर्श पर चलता है। तीन सौ रुपये की कमीज रखने के लिए उसके पास लाखों रुपये की कई अलमारियां हैं। केजरीवाल की नॉटंकी का सच देश के सामने आ गया है। उन्हें और उनके कई मंत्रियों को भ्रष्टाचार के कारण जेल जाना पड़ा है और आज केजरीवाल और उनके कई साथी जमानत पर जेल से बाहर हैं लेकिन दावा फिर भी यही कर रहे हैं कि वो और उनके साथी कट्टर ईमानदार हैं। उनके बंगले ने उनके आम आदमी होने के ढोंग का सच बाहर लाकर रख दिया है, उसी प्रकार उनका जमानत पर बाहर आना उनके कट्टर ईमानदारी के ढोंग के सच को सामने ला रहा है।
राजेश कुमार पासी