- January 7, 2024
तटीय मछुआरों और मत्स्य किसानों, युवा मत्स्य उद्यमियों आदि जैसे किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) लाभार्थियों को सम्मानित करेंगे
पी आईबी (नई दिल्ली ) केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री श्री परषोत्तम रूपाला, राज्य मंत्री डॉ. एल मुरुगन सहित 7 से 9 जनवरी 2024 के दौरान ओडिशा के विभिन्न स्थलों पर आयोजित सागर परिक्रमा चरण- XI कार्यक्रम में भाग लेंगे। केंद्रीय मंत्री इस आयोजित कार्यक्रम के दौरान प्रगतिशील मछुआरों, विशेष रूप से तटीय मछुआरों और मत्स्य किसानों, युवा मत्स्य उद्यमियों आदि जैसे किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) लाभार्थियों को सम्मानित करेंगे। प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना (पीएमएमएसवाई), किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) और अन्य योजनाओं के माध्यम से किए गए सर्वोत्तम कार्यों और पहलों को मछुआरों तक व्यापक रूप से प्रसारित किया जाएगा।
सागर परिक्रमा चरण-XI कार्यक्रम ओडिशा के तटीय जिलों अर्थात् गंजम, पुरी, जगतसिंहपुर, केंद्रपाड़ा, भद्रक, बालासोर जिलों को समाविष्ट करेगा। इस अवसर पर मत्स्य पालन विभाग, भारत सरकार, ओडिशा सरकार, राष्ट्रीय मत्स्य विकास बोर्ड, भारतीय तट रक्षक, भारतीय मत्स्य सर्वेक्षण, मछुआरा संघ के वरिष्ठ अधिकारी और अन्य गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित रहेंगे।
इस सागर परिक्रमा यात्रा की विशेषताओं में मछुआरों, मत्स्य किसानों और अन्य संबंधित हितधारकों के साथ समीक्षा बैठकें और उनके साथ बातचीत करना शामिल है। ओडिशा के तटीय जिलों में किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) और अन्य गतिविधियों पर अभियान का आयोजन किया जाएगा। इन आयोजित कार्यक्रमों में राज्य के मत्स्य पालन अधिकारी, मछुआरों के प्रतिनिधि, मत्स्य-किसान, उद्यमी, मछुआरा सहकारी समिति के नेतृत्वगण, पेशेवर, वैज्ञानिक और देश भर के अन्य हितधारक भी शामिल होंगे।
ओडिशा राज्य 480 किलोमीटर की तटरेखा, 24,000 किमी2 महाद्वीपीय शेल्फ क्षेत्र, 0.017 मिलियन किमी2 विशिष्ट आर्थिक क्षेत्र, 33 समुद्री भोजन प्रसंस्करण संयंत्र, 57 बर्फ संयंत्र और 3 मछली और झींगा फ़ीड मिलों सहित संभावित और विविध जल संसाधनों से समृद्ध है। ओडिशा की जलीय जैव विविधता और मत्स्य संपदा 16 लाख से अधिक मछुआरों का भरण-पोषण करती है और व्यावसायिक मत्स्याखेट, मत्स्यपालन आदि सहित विपुल अतिरिक्त गतिविधियों का समर्थन करती है।
‘सागर परिक्रमा’ कार्यक्रम के पहले चरण की यात्रा 5 मार्च 2022 को मांडवी, गुजरात से प्रारंभ हुई और अभी तक, सागर परिक्रमा के कुल दस चरण गुजरात, दमन और दीव, महाराष्ट्र, गोवा, कर्नाटक, अंडमान और निकोबार, केरल, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और पुडुचेरी के तटीय राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में पूर्ण हुए हैं।
सागर परिक्रमा कार्यक्रम मछुआरा समुदाय के लोगों की कठिनाइयों को समझकर उनके जीवन की गुणवत्ता और आर्थिक कल्याण में सुधार लाता है, और यह मछुआरों को उनके द्वार पर ही सरकारी अधिकारियों से मिलने का एक श्रेष्ठ अवसर प्रदान करता है। सागर परिक्रमा कार्यक्रम मछुआरों, मछली किसानों के विषयों का समाधान करने में सतत् सहयोग प्रदान करेगा और विभिन्न मत्स्यपालन योजनाओं जैसे कि प्रधान मंत्री मत्स्य सम्पदा योजना (पीएमएमएसवाई), किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) और भारत सरकार द्वारा कार्यान्वित अन्य कार्यक्रमों के माध्यम से उनके आर्थिक उत्थान में सहजता प्रदान करेगा।
मत्स्यपालन क्षेत्र एक प्रगतिशील उभरता हुआ क्षेत्र माना जाता है और इसमें समाज के कमजोर वर्ग के आर्थिक सशक्तिकरण द्वारा उचित और समावेशी विकास की अपार संभावनाएं विद्यमान हैं। भारत वैश्विक मछली उत्पादन में 8 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ, दुनिया में तीसरा सबसे बड़ा मछली उत्पादक, दूसरा सबसे बड़ा मत्स्यपालन उत्पादक, सबसे बड़ा झींगा मत्स्य उत्पादक और विश्व में चौथा सबसे बड़ा समुद्री भोजन निर्यातक है।
सागर परिक्रमा कार्यक्रम का उद्देश्य मछुआरों, तटीय समुदायों और हितधारकों के साथ बातचीत की सुविधा प्रदान करना है ताकि सरकार द्वारा कार्यान्वित की जा रही विभिन्न मत्स्य पालन संबंधी योजनाओं और कार्यक्रमों पर जानकारी का प्रसार किया जा सके और मछुआरों की समस्याओं को समझा जा सके।