- September 2, 2023
पूर्व सांसद (एमपी) और (आरजेडी) नेता प्रभुनाथ सिंह को आजीवन कारावास
सर्वोच्च न्यायालय ने पूर्व सांसद (एमपी) और राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) नेता प्रभुनाथ सिंह को 1995 के दोहरे हत्याकांड मामले में आजीवन कारावास की सजा सुनाई। शीर्ष अदालत ने मृतकों को 10-10 लाख रुपये का मुआवजा देने का भी निर्देश दिया। घटना में घायलों को पांच-पांच लाख रुपये देने का निर्देश दिया। ये मुआवजा बिहार सरकार और दोषी अलग-अलग देंगे। अदालत ने सिंह को आईपीसी की धारा 307 के तहत हत्या के प्रयास के अपराध में सात साल कैद की सजा भी सुनाई।
दो हफ्ते पहले अदालत ने सिंह को 1995 के दोहरे हत्याकांड में दोषी ठहराया था और निचली अदालत द्वारा दिए गए बरी करने के फैसले को पलट दिया था। पटना उच्च न्यायालय ने निचली अदालत के फैसले की पुष्टि की थी।
दोषसिद्ध अभियुक्त प्रभुनाथ सिंह उस समय बिहार पीपुल्स पार्टी के उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ रहे थे। सिंह पर मतदान नहीं करने पर मार्च 1995 में छपरा में एक मतदान केंद्र के पास दो व्यक्तियों की हत्या करने का आरोप लगाया गया था। न्यायमूर्ति श्री संजय किशन कौल, न्यायमूर्ति श्री अभय एस ओक और न्यायमूर्ति श्री विक्रम नाथ की पीठ शुक्रवार को सिंह की सजा के सवाल पर सुनवाई कर रही थी।
सर्वोच्च न्यायालय ने कड़े शब्दों में दिए गए फैसले में मुकदमे को जर्जर और जांच को “दागदार कहा, जो अभियुक्त-प्रतिवादी नंबर 2 की मनमानी को दर्शाता है, जो एक शक्तिशाली व्यक्ति है और सत्तारूढ़ पार्टी का सांसद रहा।”
सन् 2008 में पटना सत्र एवं व्यवहार न्यायालय की एक अदालत ने सबूतों की कमी का हवाला देते हुए सिंह को बरी कर दिया था। बाद में सन् 2012 में पटना हाईकोर्ट ने बरी किए जाने के फैसले को बरकरार रखा। परिणामस्वरूप, पीड़ितों में से एक के भाई ने बरी किए जाने के फैसले को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी। मुकदमे में कई खामियों की ओर इशारा करते हुए शीर्ष अदालत ने मामले को ” हमारी आपराधिक न्याय प्रणाली का एक असाधारण दर्दनाक प्रकरण” कहा।