- May 30, 2022
नेपाल का घरेलू चीनी बाजार चिंतित
काठमांडू : चीनी के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने के भारत के हालिया फैसले से नेपाल का घरेलू चीनी बाजार चिंतित है। Nepal Sugar Mills Association (NSMA) के अध्यक्ष शशिकांत अग्रवाल ने कहा कि, भारत का यह कदम दुनिया भर में बढ़ते संरक्षणवाद का संकेत है, और तंग आपूर्ति के कारण कालाबाजारी और मूल्य निर्धारण को बढ़ावा मिलेगा। अग्रवाल ने कहा, भारत द्वारा चीनी निर्यात प्रतिबंध से चीनी की कीमत बढ़ेगी क्योंकि स्थानीय उत्पादन घरेलू मांग को पूरा करने के लिए अपर्याप्त है। अर्थशास्त्री दिलीराज आचार्य ने कहा कि, चीनी नेपाली रसोई में मुख्य वस्तुओं में से एक है और कुछ उद्योगों के लिए प्रमुख कच्चे माल में से एक है।
आचार्य ने कहा की भारत के आंशिक निर्यात प्रतिबंध से नेपाल में चीनी बाजार की आपूर्ति श्रृंखला प्रभावित होगी, जिसके परिणामस्वरूप इसकी कीमत बढ़ जाएगी। स्थानीय मूल्य में वृद्धि को नियंत्रित करने के लिए मंगलवार को, भारत ने चीनी निर्यात सिमित करने का फैसला किया, जो 1 जून से प्रभावी होगा। भारत चीनी का दुनिया का सबसे बड़ा उत्पादक और ब्राजील के बाद दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक है, और घरेलू पर्याप्त मात्रा बनाए रखने की दृष्टि से अंतरराष्ट्रीय बाजारों में केवल 10 मिलियन टन तक चीनी की बिक्री की अनुमति दी का फैसला किया है।
The Himalayan Times में प्रकाशित खबर के मुताबिक, NSMA के अनुसार, नेपाल में सालाना 270,000 मीट्रिक टन चीनी की खपत होती है, जबकि घरेलू उत्पादन केवल 130,000 टन है। चीनी की शेष घरेलू मांग भारत द्वारा पूरी की जाती है। नौ साल पहले तक नेपाल सालाना 280,000 टन चीनी का उत्पादन करता था। चीनी का मौजूदा घरेलू उत्पादन केवल आधी मांग को पूरा करने के लिए पर्याप्त है। हालांकि, सरकारी अधिकारियों का दावा है कि स्थानीय बाजार भारत के निर्यात प्रतिबंधों से प्रभावित नहीं होगा।
उद्योग, वाणिज्य और आपूर्ति मंत्रालय (एमओआईसीसी) में अवर सचिव उर्मिला केसी ने बताया कि, सरकार चीनी आयात के लिए वैकल्पिक बाजार तलाश रही है। इस बीच, MoICS के संयुक्त सचिव गोविंदा बहादुर कार्की ने कहा कि चीनी निर्यात को प्रतिबंधित करने का भारत का निर्णय नेपाल के लिए एक अवसर हो सकता है। नेपाल में गन्ना उत्पादन में तेजी लाने और चीनी में आत्मनिर्भर होने की क्षमता है, लेकिन हमारी अपनी कमियों के कारण इसमें लंबा समय लगेगा।