- March 8, 2022
धमाके की शक की सुई जिलेटिन
भागलपुर (बिहार) के काजवलीचक धमाके की जांच को लेकर एसआईटी की जांच सोमवार को भी जारी रही। घटनास्थल से बरामद सामान और धमाके की भयावहता के बाद अब शक की सुई जिलेटिन (असली नाम जेलिग्नाइट या ब्लास्टिंग जिलेटिन) की ओर जा रही है। आशंका है कि बारूद के साथ कारोबारियों ने जिलेटिन की छड़ भी कमरे में रखी होगी, जो आग के संपर्क में आते ही विस्फोट कर गया। जिलेटिन छड़ का उपयोग आसपास के इलाकों में पत्थर को तोड़ने के काम में लाया जाता है। सवाल यह है कि जिलेटिन की छड़ लीलावती या महेंद्र के घर किसने और किस मकसद से रखे थे, एसआईटी की जांच इस बिंदु पर आगे बढ़ रही है।
मिर्जाचौकी व मुंगेर में जिलेटिन से तोड़ा जाता है पत्थर
सूत्रों ने बताया कि एसआईटी घटना के बाद आसपास के लोगों से लिए मोबाइल नंबर से कनेक्शन ढूंढ़ रही है। करीब 65 लोगों के मोबाइल नंबर पुलिस ने घटना के 72 घंटे के अंदर लिए थे। इसके अलावा सीसीटीवी फुटेज भी खंगाले जा रहे हैं।
एसआईटी मृतक या पीड़ित परिवार के उन रिश्तेदारों का पता लगा रही है, जो मिर्जाचौकी या मुंगेर में पत्थर तोड़ने के कारोबार से किसी न किसी उद्देश्य से जुड़ा है। जिलेटिन का उपयोग अक्सर इन इलाकों में पत्थरों को तोड़ने के लिए किया जाता है।
एसआईटी को जानकारी मिली है कि विस्फोट में मृत नंदिनी का पति मनीष मुंगेर में रहता है। वह मजदूरी करता है। कहां मजदूरी करता है, इसका सुराग ढूंढा जा रहा है। लीलावती का दामाद नूरपुर निवासी संतोष (आरती का पति) से भी पूछताछ की जानी है कि वह क्या करता है? क्योंकि पुलिस को जानकारी मिली थी कि आरती भी पटाखा बनाने में लीलावती का सहयोग करती थी। असलियत पूछताछ के बाद ही सामने आ सकेगी। पुलिस को मिर्जाचौकी से कंक्रीट कारोबार करने वाले एक व्यक्ति के बारे में भी सूचना मिली है। उसकी गतिविधि संदिग्ध है। पुलिस उस पर नजर रख रही है।
जिलेटिन के धमाके से जमीन में ज्यादा गहरा नहीं होता
पुलिस सूत्रों ने बताया कि स्टिंग जिलेटिन बनाने के लिए मुख्यत: नाइट्रोसेल्युलोस और नाइट्रोग्लिसरीन का इस्तेमाल होता है। हालांकि अब नाइट्रोग्लिसरीन की जगह अमोनियम नाइट्रेट मिलाना शुरू कर दिया है। इससे निर्माण में कम लागत आती है और ये सस्ता मिलता है। जिलेटिन सिर्फ तब तक सेफ है, जब तक आसपास इसे ऐक्टिवेट करने के लिए कुछ न हो। अगर कहीं बहुत ज्यादा मात्रा में जिलेटिन रखा है और उसमें आग लग जाए, तो इसमें धमाका होना तय है। जिलेटिन के धमाके की पहचान यह है कि यह जमीन में ज्यादा गहरा नहीं करता है, जितना आरडीएक्स करता है।