- January 19, 2022
हल्के लक्षण वाले लोगों की कोविड जांच करने की रफ्तार बढ़ाने जरूरत
बिजनेस स्टैंडर्ड : भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने एक हफ्ते पहले हल्के लक्षण वाले लोगों की कोविड जांच करने की जरूरत को अनिवार्य नहीं बताया था लेकिन अब जांच के आंकड़ों में कमी दिखने के बाद केंद्र ने राज्यों को जांच की रफ्तार बढ़ाने के लिए कहा है। स्वास्थ्य मंत्रालय की अतिरिक्त सचिव आरती आहूजा ने एक पत्र में कहा कि सभी राज्यों के लिए जांच का दायरा बढ़ाना जरूरी है और इसे रणनीतिक तरीके से बढ़ाए जाने की जरूरत है क्योंकि कुछ खास इलाकों में संक्रमण के मामले दिख रहे हैं।
केंद्र की तरफ से आहूजा ने कहा कि इसे पहले के दिशानिर्देशों के संदर्भ में जोड़कर देखा जाना चाहिए जिसमें उनकी जांच अहम है जिन लोगों की स्थिति ज्यादा जोखिमपूर्ण और वे असुरक्षित हैं। साथ ही अधिक आबादी वाले क्षेत्रों और जहां संक्रमण के मामले अधिक हैं, उन इलाकों में जांच पर जोर देने की बात कही गई है। दिल्ली में मंगलवार को संक्रमण की दर 22 प्रतिशत से अधिक थी और 11,600 से अधिक मामले देखे गए लेकिन पिछले कुछ दिनों में जांच में 45 प्रतिशत की कमी आई है। देश में मंगलवार को रोजाना और साप्ताहिक संक्रमण दर 14 प्रतिशत से अधिक थी हालांकि संक्रमण के नए मामले में कमी देखी गई जो 238,018 के स्तर पर है।
स्वास्थ्य मंत्रालय ने 10 जनवरी को जारी आईसीएमआर के दिशानिर्देशों और अन्य दिशानिर्देशों का बुनियादी लक्ष्य स्पष्ट करते हुए कहा कि सबका मकसद संक्रमण के मामलों की पहले पहचान करना और जल्दी से आइसोलेशन और देखभाल की प्रक्रिया शुरू करना है। आहूजा ने अपने पत्र में कहा कि महामारी के प्रबंधन में जांच एक प्रमुख रणनीति है क्योंकि इससे संक्रमण के नए संकुल की पहचान होती है और इसकी वजह से तुरंत रोकथाम क्षेत्र तैयार करने के साथ ही संभावित संपर्कों की पहचान, आइसोलेशन आदि में मदद मिलती है। जांच की वजह से मौत और अन्य परेशानियों के मामले में कमी आती है। आहूजा ने कहा, ‘बीमारी को गंभीर होने से बचाने के लिए जांच जरूरी है।’ आईसीएमआर ने 10 जनवरी के दिशानिर्देश में कहा था कि संक्रमितों के संपर्क में आने वाले लोगों में अगर उम्र या अन्य बीमारियों की वजह से कोई जोखिम की स्थिति नहीं है तब उनकी जांच की आवश्यकता नहीं हैं।
इस अनुसंधान संस्था ने कहा था कि होम आइसोलेशन दिशानिर्देशों के जरिये डिस्चार्ज हुए लोगों को राज्य में घरेलू स्तर की यात्रा के दौरान भी जांच से छूट दी जा सकती है। इस संदर्भ में स्वास्थ्य मंत्रालय ने इस बात पर जोर दिया कि लक्षण वाले लोगों के साथ-साथ उन लोगों की जांच भी होनी चाहिए जो प्रयोगशाला के पुष्ट मामले वाले लोगों के संपर्क में आए हैं।
लोकल सर्कल्स के एक अध्ययन के मुताबिक जिन 41 फीसदी लोगों का सर्वेक्षण हुआ उन्होंने कहा कि उनके संपर्क के एक या अधिक लोगों में पिछले 30 दिनों तक कोविड के लक्षण रहे लेकिन उनकी आरटी-पीसीआर जांच नहीं हुई और उन्होंने खुद ही इलाज किया या फिर वे आइसोलेशन में रहे। सर्वे में कहा गया, ‘आईसीएमआर के नए दिशानिर्देशों के मुताबिक कोविड संक्रमण की जांच कराने वाले लोगों के संपर्क में आने वाले स्वस्थ लोगों की आरटी-पीसीआर जांच कराने की जरूरत नहीं होती। कई लोग घर पर ही होम ऐंटीजन जांच कर लेते हैं या फिर जांच ही नहीं कराते क्योंकि उनका मानता है कि यह एक नियमित बुखार की तरह है। दुनिया में कई प्रमुख वैज्ञानिक इस तरह के कदम के खिलाफ चेतावनी दे रहे हैं लेकिन भारत में बड़े पैमाने पर ऐसे ही कदम उठाए जा रहे हैं।’
उत्तर प्रदेश में घटने लगे संक्रमण के मामले
देश के कई राज्यों की तरह उत्तर प्रदेश में भी बीते तीन दिनों से कोरोना के नए मामले घटने लगे हैं। प्रदेश में कोरोना के अब तक के रिकॉर्ड में एक दिन अधिकतम 38,000 नए केस दर्ज किए गए थे। वहीं इस बार की लहर में एक दिन में अधिकतम 17,000 केस बीते शनिवार को दर्ज किए गए हैं। बीते 24 घंटों में प्रदेश में कोरोना के 14,803 नए मामले सामने आए हैं जबकि सोमवार को यह तादाद 15,622 थी। बीते शनिवार को तीसरी लहर में प्रदेश में सबसे ज्यादा एक दिन में 17,185 नए मामले दर्ज हुए थे। मंगलवार को कोरोना से रोकथाम को लेकर वरिष्ठ अधिकारियों की टीम 9 के साथ बैठक में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि ओमीक्रोन की तीव्रता और पॉजिटिविटी दर के हिसाब से साफ है कि उत्तर प्रदेश में स्थिति नियंत्रण में है। बहुत कम संख्या में लोगों को अस्पताल की जरूरत पड़ रही है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में 60 फीसदी से अधिक आबादी को टीके की दोनों खुराक दी जा चुकी है जो राष्ट्रीय औसत से बेहतर है। प्रदेश में 18 साल से अधिक उम्र के 94.54 फीसदी लोगों को टीके की पहली खुराक दे दी गई है। इसी तरह सोमवार प्रदेश में तक 15 साल से 17 साल की आयु के लगभग 42 फीसदी बच्चों को टीका कवर दिया गया है और 35 फीसदी पात्र लोगों को एहतियातन खुराक दी गई है।
कोविड रोकने के लिए जोखिम आधारित दृष्टिकोण जरूरी
लोगों की आवाजाही पर पूर्ण प्रतिबंध और यात्रा प्रतिबंध जैसे व्यापक प्रतिबंधों वाला दृष्टिकोण भारत जैसे देश में कोविड से निपटने में उल्टा पड़ सकता है। लक्ष्य, जोखिम-आधारित रणनीतियों की वकालत करते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के भारत के प्रतिनिधि रोडेरिको एच ओफ्रिन ने वैश्विक महामारी का मुकाबला करने के लिए कहा है।
ओफ्रिन ने कहा, ‘डब्ल्यूएचओ यात्रा प्रतिबंध जैसे व्यापक प्रतिबंधों की सिफारिश नहीं करता है, न ही लोगों की आवाजाही पर पूर्ण प्रतिबंध की। कई मायनों में, ऐसे व्यापक प्रतिबंध वाले दृष्टिकोण प्रतिकूल साबित हो सकते हैं। भारत जनसंख्या वितरण और भौगोलिक प्रसार में अपनी विविधता के साथ, एक महामारी का मुकाबला करने के लिए जोखिम-आधारित दृष्टिकोण समझदार सार्वजनिक स्वास्थ्य अभ्यास बना हुआ है।’ भाषा
तीसरी लहर अगले तीन सप्ताह में चरम पर पहुंच सकती है
कोविड-19 महामारी की तीसरी लहर के पूर्वानुमान से बहुत पहले चरम पर पहुंचने की संभावना है और इसमें अधिकतम तीन सप्ताह लग सकते हैं। यह दावा एक रिपोर्ट में किया गया है। ‘एसबीआई रिसर्च’ ने मंगलवार को एक रिपोर्ट में कहा कि यह उम्मीद शीर्ष 15 जिलों में नए मामलों में भारी कमी से उत्पन्न हुई है, जहां सबसे अधिक संक्रमण है। शीर्ष 15 जिलों में संक्रमण जनवरी में घटकर 37.4 प्रतिशत हो गया है, जो दिसंबर में 67.9 प्रतिशत था।