• December 14, 2021

बिहार की 42.5 प्रतिशत बेटियों की शादी 18 साल से कम उम्र में— नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे (एनएफएचएस)-4

बिहार की 42.5 प्रतिशत बेटियों की शादी 18 साल से कम उम्र में— नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे (एनएफएचएस)-4

कम उम्र में बेटियों की व्याह बिहार के 10 जिलों में बढ़ा है।

भागलपुर, बांका, पूर्णिया, सहरसा, अररिया, कटिहार, किशनगंज, लखीसराय, पूर्वी चंपारण व दरभंगा में 18 की उम्र से पहले बेटियों की शादी कर देने का चलन बढ़ता जा रहा है। इस वजह से इन जिलों में कम उम्र में ही लड़कियां मां भी बन जा रही हैं।

समाजशास्त्री इस ट्रेंड को बेटियों के लिए माता-पिता की सोच में बढ़े सामाजिक असुरक्षा से जोड़ रहे हैं तो चिकित्सक कम उम्र में ब्याही जा रही बेटियों की सेहत को लेकर चिंतित हैं। नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे (एनएफएचएस)-4 यानी साल 2015-16 में जहां बिहार की 42.5 प्रतिशत बेटियों की शादी 18 साल से कम उम्र में होती थी, वहीं एनएफएचएस-5 यानी साल 2019-20 में बिहार की बेटियों की नाबालिग उम्र में शादी करने का प्रतिशत घटकर 40.8 पर आ गया। साल 2015-16 में हुए सर्वे के दौरान 15 से 19 साल की 12.2 प्रतिशत महिलाएं गर्भवती मिली थीं। वहीं साल 2019-20 में हुए सर्वे के दौरान इस उम्र की 11 महिलाएं गर्भवती पायी गयीं। इन दोनों मामलों में भागलपुर में ट्रेंड राज्य के रूझान के विपरीत मिला।

भागलपुर जिले में डेढ़ गुनी दर से बढ़ी बाल विवाह की कुप्रथा

भागलपुर में चार साल में ही बेटियों की कम उम्र में शादी के ट्रेंड में करीब डेढ़ गुने का इजाफा हुआ है। एनएफएचएस -4 में 29.7बेटियों की शादी कम उम्र में हुई। एनएफएचएस-5 में यह आंकड़ा बढ़कर 42.4 पर पहुंच गया। डॉ. ज्योति कहती हैं- कम उम्र में मां बनने वाली महिलाओं को प्रसव के दौरान कई समस्याएं आ सकती हैं। बल्कि जच्चा के साथ-साथ बच्चे की जान को भी खतरा हो सकता है।

सुधार में राजस्थान सबसे आगे, त्रिपुरा की स्थिति सबसे खराब

देश में बाल विवाह की दर 3.5 प्रतिशत गिरकर 26.8 से 23.3 पर आ गई है। कई राज्यों में भी सुधार हुआ है। झारखंड में 2016 में जहां 37.9 प्रतिशत बेटियां कम उम्र में ब्याही जा रही थीं, वहीं 2020 में 32.2 प्रतिशत बेटियों का ही बाल विवाह हुआ। उत्तरप्रदेश में 2015-16 में 21.8 प्रतिशत के मुकाबले साल 2019-20 में मात्र 15.8 बेटियों की शादी 18 से कम उम्र में हुई। उत्तराखंड में बाल विवाह की दर एनएफएचएस-4 में 13.8 प्रतिशत थी जो एनएफएचएस-5 में 9.8 प्रतिशत हो गई। सबसे चिंतनीय स्थिति त्रिपुरा की है। यहां बाल विवाह की दर 33.1 से बढ़कर 40.1 हो गई। सबसे अच्छी स्थिति राजस्थान की रही, जहां बाल विवाह में 10 प्रतिशत तक कमी आयी है।

Related post

अभी बाकी है ‘हर घर शौचालय’ का लक्ष्य

अभी बाकी है ‘हर घर शौचालय’ का लक्ष्य

अजमेरी ख़ानम (गया) — इस  वर्ष सितंबर माह में केंद्रीय आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय की…
क्या भारत एक स्वस्थ युवाओं का देश भी है ?

क्या भारत एक स्वस्थ युवाओं का देश भी है ?

डॉ नीलम महेंद्र ——-  भारत जिसके विषय में हम गर्व से कहते हैं कि यह एकयुवा…
ब्राजील की नई जलवायु योजना: 2035 तक बड़े एमिशन कटौती का लक्ष्य

ब्राजील की नई जलवायु योजना: 2035 तक बड़े एमिशन कटौती का लक्ष्य

ब्राजील की नई जलवायु योजना: 2035 तक बड़े एमिशन कटौती का लक्ष् लखनउ (निशांत सक्सेना) ——…

Leave a Reply