- November 23, 2021
ऑडिट की नकारात्मक छवि को बदलना जरूरी- मुख्यमंत्री श्री चौहान
मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि ऑडिट की नकारात्मक छवि को बदलना जरूरी है। ऑडिटर वास्तविक रूप में सजग, सचेत और सतर्क रहते हुए सरकार के हिसाब-किताब की बारीकी से जाँच करते हैं। ऑडिटर अनुपयोगी खर्च रोकने में सरकार के मददगार हैं। ऑडिट पैरा तथा उनके सुझाव सुशासन की सीख होते हैं। मुख्यमंत्री श्री चौहान लेखा परीक्षा जागरूकता सप्ताह के अंतर्गत मिंटो हॉल, भोपाल में एक दिवसीय “शासन के सुधार में लेखा परीक्षा की भूमिका” संगोष्ठी के शुभारंभ सत्र को संबोधित कर रहे थे।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि देश में सरकारें अनेक प्रकार के दिवसों जैसे पर्यावरण दिवस, खेल दिवस, शिक्षक दिवस आदि का आयोजन करती हैं, लेकिन यह विडंबना रही है कि ऑडिट पर केंद्रित किसी दिवस का हमने विशेष रूप से आयोजन नहीं किया। यह प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के विजन का ही प्रभाव है कि उन्होंने ऑडिट संस्थाओं की नकारात्मक छवि को मिटाने के लिए इस दिशा में प्रयास आरंभ किये। प्रधानमंत्री श्री मोदी की अगुवाई में पहली बार देश में 16 नवंबर 2021 को ऑडिट दिवस मनाया गया। मुख्यमंत्री ने प्रदेश की सभी ऑडिट संस्थाओं, उनमें काम करने वाले अधिकारी- कर्मचारियों को बधाई और शुभकामनाएँ दी। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि भारत में लेखा परीक्षा का इतिहास 160 वर्ष से भी अधिक पुराना है। एक संवैधानिक संस्था के रूप में सीएजी संस्था ने सरकार के हिसाब- किताब को अधिक से अधिक पारदर्शी और जवाबदेह बनाने में उल्लेखनीय भूमिका निभाई है।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि एक समय था जब ऑडिट को लेकर शासकीय विभागों में विभिन्न तरह की शंका-कुशंकाएँ बनी रहती थी। ऑडिटर को केवल कमियाँ निकालने वाले, सरकार के दोष देखने वाले, अनावश्यक सवाल-जवाब करने वाले और छोटी सी गलती को भी बड़ा बना कर भयभीत कर देने वाले लोगों के रूप में जाना जाता था। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि सीएजी संस्था के महत्व को समझने की जरूरत है। सीएजी की कर्त्तव्य-परायणता, संविधान के प्रति निष्ठा को ध्यान में रखते हुए सीएजी को सरकार का मित्र, पूरक और सहयोगी के रूप में देखने की आवश्यकता है। कोई भी लोकतंत्र तभी मजबूती से काम कर सकता है, जब उसके तीनों अंग विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका, समन्वय और संतुलन के साथ अपने-अपने दायित्वों का निर्वहन करें। इस कार्य में सीएजी का योगदान उल्लेखनीय है।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि सीएजी की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि वह सदा सजग, सचेत और सतर्क रहते हैं। ऑडिटर हर मामले पर अपनी निष्पक्ष और स्वतंत्र राय रखते हैं। वह सरकार के हिसाब- किताब की बारीकी से जाँच करते हैं। लोक लेखा, सार्वजनिक उपक्रम और प्राक्कलन समिति सदन के आँख- नाक- कान की तरह सहयोगी भूमिका निभाते हैं। वह देखते हैं कि सरकारी पैसे के खर्च में शुचिता, पारदर्शिता और मितव्ययता के सिद्धांतों का पालन हो। ऑडिटर अनुपयोगी खर्च रोकने में सरकार की मदद करते हैं।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि ऑडिटर्स सरकार के सहयोगी होते हैं। प्रदेश में प्रधान महालेखाकार सभी विभागों के प्रमुख सचिवों, कार्यालय प्रमुख, जिला कलेक्टर्स, जन-प्रतिनिधियों आदि से मुलाकात कर लेखा परीक्षा कार्य-योजना के संबंध में विषयों और क्षेत्रों का निर्धारण कर रहे हैं। यह निश्चित ही एक सराहनीय पहल है। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने बताया कि भोपाल जिले के ग्राम बरखेड़ी अब्दुल्ला की महिला सरपंच सुश्री भक्ति शर्मा को राज्य लेखा परीक्षा सलाहकार बोर्ड का सदस्य बनने का गौरव हासिल हुआ है।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने संत कबीर के दोहे “निंदक नियरे राखिए- आँगन कुटी छवाय बिन पानी बिन साबुना निर्मल करे सुभाय” का उद्धहरण देते हुए कहा कि लेखा परीक्षा करने वाले सरकार के कार्यों का स्वतंत्र तथा निष्पक्ष रुप से मूल्यांकन कर हमारा सहयोग करते हैं। वह हमें यह भी बताते हैं कि काम में कहाँ-कहाँ सुधार की जरूरत है। इसलिए उन्हें अच्छे आलोचक और शुभ चिंतक के रूप में सदैव अपने साथ रखना चाहिए।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि लेखा परीक्षक प्रतिवेदनों का अध्ययन कर उसमें उठाए गए मुद्दों को गंभीरता से लेकर समयबद्ध कार्यवाही की जाना सुनिश्चित की जाए। लंबित ऑडिट कंडिकाओं का समय-सीमा में निराकरण सुनिश्चित किया जाना आवश्यक है। लेखा परीक्षा के लिए जो भी रिकॉर्ड माँगा जाए उसे बिना किसी विलंब के उपलब्ध कराया जाना सुनिश्चित किया जाए। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि लेखा परीक्षक भी गवर्नेंस की नई तकनीकों और पद्धतियों के अनुरूप स्वयं को ढालने का प्रयास करें।
संगोष्ठी को प्रधान महालेखाकार श्री डी. साहू ने भी संबोधित किया। प्राक्कलन समिति के अध्यक्ष पूर्व मंत्री श्री रामपाल सिंह, सार्वजनिक उपक्रम समिति के अध्यक्ष पूर्व मंत्री श्री गौरी शंकर बिसेन, लोक लेखा समिति के अध्यक्ष पूर्व मंत्री श्री पी.सी. शर्मा उपस्थित थे।
एक दिवसीय संगोष्ठी में पाँच सत्र हुए। इन सत्र में गत तीन वर्ष की ऑडिट रिपोर्ट की स्थिति, विभिन्न समितियों की प्रभावशीलता बढ़ाने के लिए रणनीति, विभागों द्वारा किए जा रहे नवाचारों की प्रभावशीलता बढ़ाने में ऑडिट की भूमिका, सुशासन के लिए स्थानीय निकायों को सशक्त करने, कोविड-19 में स्वास्थ्य सेवाओं का प्रदाय और ऑडिट की भूमिका तथा सेवा प्रदाय में सुधार, राज्य सरकार के पीएसयू की भूमिका विषयों पर विचार-विमर्श हुआ।