- August 27, 2021
वैश्विक बिजली क्षेत्र का कार्बन उत्सर्जन 2021 में बढ़ा है बहुत
लखनऊ (निशांत कुमार )——– साल 2021 की पहली छमाही में बढ़ती वैश्विक बिजली की मांग ने स्वच्छ बिजली में वृद्धि को पीछे छोड़ दिया, जिसकी वजह से उत्सर्जन-गहन कोयला शक्ति में वृद्धि हुई है और नतीजतन, वैश्विक बिजली क्षेत्र का कार्बन उत्सर्जन, महामारी से पहले के स्तर से बढ़ गया, यह कहना है एनर्जी थिंक टैंक एम्बर द्वारा आज प्रकाशित एक रिपोर्ट से का।
इस रिपोर्ट पर एम्बर के वैश्विक प्रमुख डेव जोन्स कहते हैं, “2021 में तेज़ी से बढ़ते उत्सर्जन को दुनिया भर में खतरे की घंटियों की गूंज की शक्ल में देखना चाहिए। महामारी से हमारी रिकवरी सही नहीं और हम गलत दिशा में बढ़ रहे हैं। वैश्विक तापमान को 1.5 डिग्री तक सीमित करने के लिए इस दशक में बहुत-तेज़ एनर्जी ट्रांजिशन महत्वपूर्ण है। एनर्जी ट्रांजिशन हो रहा है, लेकिन आवश्यक तात्कालिकता के साथ नहीं: उत्सर्जन गलत दिशा में जा रहे हैं।”
एम्बर द्वारा आज प्रकाशित ग्लोबल इलेक्ट्रिसिटी रिव्यू के मध्य वर्ष के अपडेट में 63 देशों के बिजली के आंकड़ों का विश्लेषण किया गया है, जो बिजली की मांग के 87% का प्रतिनिधित्व करते हैं। यह 2021 (H1-2021) के पहले छह महीनों की 2019 (H1-2019) की समान अवधि से तुलना करता है, पहली बार यह दिखाने के लिए कि, जैसे-जैसे दुनिया 2020 में महामारी के प्रभाव से वापिस लौट रही है, कैसे बिजली संक्रमण बदल गया है।
रिपोर्ट से पता चलता है कि 2021 की पहली छमाही में वैश्विक बिजली क्षेत्र के उत्सर्जन में वापिस उछाल आया, जो H1-2020 में देखे गए निम्न स्तर से बढ़ गए है, जिससे उत्सर्जन अब H1-2019 के पूर्व-महामारी के स्तर से 5% अधिक है। महामारी से पहले के स्तर की तुलना में 2021 की पहली छमाही में वैश्विक बिजली की मांग में भी 5% की वृद्धि हुई, जो ज्यादातर पवन और सौर ऊर्जा (57%) से पूरी हुई, लेकिन उत्सर्जन-गहन कोयला बिजली (43%) में भी वृद्धि हुई। गैस लगभग अपरिवर्तित रही, जबकि हाइड्रो और न्यूक्लियर में मामूली गिरावट देखी गई। पहली बार, पवन और सौर ने वैश्विक बिजली के दसवें हिस्से से अधिक उत्पन्न किया और और यह न्यूक्लियर उत्पादन से आगे निकल गया।
किसी भी देश ने बिजली क्षेत्र में सही मायने में ‘ग्रीन रिकवरी’ हासिल नहीं की है। कई देशों ने ‘बिल्ड बैक बेटर’ (‘वापस निर्माण बेहतर’) करने और अपनी अर्थव्यवस्थाओं को एक नए ग्रीन नार्मल (सामान्य हरित स्थिति) में आगे बढ़ाने का संकल्प लिया है। पर विश्लेषण से पता चलता है कि किसी भी देश ने अभी तक अपने बिजली क्षेत्र के लिए सही मायने में ‘ग्रीन रिकवरी’ हासिल नहीं की है, जिसमें बिजली की उच्च मांग और कम CO2 बिजली क्षेत्र के उत्सर्जन में संरचनात्मक परिवर्तन शामिल हैं। हालांकि नॉर्वे और रूस ‘ग्रीन रिकवरी’ क्वाड्रंट में दिखाई देते हैं, यह अस्थायी कारकों के कारण है – बिजली क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण संरचनात्मक सुधार के बजाय – ज्यादातर बेहतर बारिश उच्च हाइड्रो उत्पादन देती है।
अमेरिका, यूरोपीय संघ, जापान और कोरिया सहित कई देशों ने पूर्व-महामारी के स्तरों की तुलना में कम बिजली क्षेत्र CO2 उत्सर्जन हासिल किया, जिसमें पवन और सौर ने कोयले की जगह ली, लेकिन यह केवल दबी हुई बिजली की मांग में वृद्धि के संदर्भ में।
बिजली की बढ़ती मांग वाले देशों में भी उच्च उत्सर्जन देखा गया, यहाँ कोयला उत्पादन के साथ-साथ पवन और सौर में भी वृद्धि हुई। ये ‘ग्रे रिकवरी’ देश ज़्यादातर एशिया में हैं, जिनमें चीन, बांग्लादेश, भारत, कजाकिस्तान, मंगोलिया, पाकिस्तान और वियतनाम शामिल हैं। इन देशों ने अभी तक उत्सर्जन और बिजली की मांग में वृद्धि को एक दुसरे से अलग नहीं किया है।
सबसे तेज़ बिजली की मांग में वृद्धि मंगोलिया, चीन और बांग्लादेश में हुई, जहां सभी ने कोयले को इस वृद्धि की एक बड़ी मात्रा को पूरा करते देखा। बांग्लादेश एकमात्र ऐसा देश था जहां स्वच्छ बिजली में कोई वृद्धि नहीं हुई थी। वियतनाम एकमात्र ‘ग्रे रिकवरी’ देश था जहां सौर और पवन ने बिजली की मांग में सभी वृद्धि को पूरा किया, लेकिन गैस से कोयला उत्पादन में स्विच की वजह से बिजली क्षेत्र CO2 उत्सर्जन में अभी भी 4% की वृद्धि हुई है।
एम्बर के वरिष्ठ विश्लेषक डॉ मूयी यांग ने कहा, “विकासशील एशिया को नई शून्य-कार्बन बिजली के साथ सभी मांग वृद्धि को पूरा करने पर ध्यान केंद्रित करना होगा, जो कि मध्य शताब्दी से पहले क्षेत्र की 100% स्वच्छ बिजली की यात्रा के पहले प्रारंभिक क़दम होगा। विकासशील एशिया जीवाश्मों से बचकर सीधे सस्ती, स्वच्छ रिन्यूएबल ऊर्जा की ओर बढ़ कर छलांग लगा सकता है सकता है। लेकिन यह इस बात पर निर्भर करता है कि क्या क्षेत्र स्वच्छ बिजली के अपने कठोर अभियान को और तेज़ और कर सकता है जबकि साथ ही साथ बिजली का अधिक कुशलता से उपयोग कर सकता है।”
एम्बर एक स्वतंत्र, गैर-लाभकारी जलवायु और ऊर्जा थिंक टैंक है जो अत्याधुनिक अनुसंधान और उच्च प्रभाव, राजनीतिक रूप से व्यवहार्य नीतियों का उत्पादन करता है जिसका उद्देश्य कोयले से स्वच्छ बिजली में वैश्विक संक्रमण को तेज़ करना है।