- March 15, 2021
राज्य निर्वाचन आयोग और भारत निर्वाचन आयोग आमने-सामने —आपसी सहमति से निर्णय लें –हाईकोर्ट
बिहार के त्रिस्तरीय पंचायती राज संस्थाओं का कार्यकाल जून 2021 में खत्म
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पटना —— बिहार के पंचायत चुनावों में EVM के इस्तेमाल के मामले को लेकर राज्य निर्वाचन आयोग और भारत निर्वाचन आयोग पटना हाईकोर्ट में आमने-सामने आ गए हैं। हाईकोर्ट में आज इस मसले पर सुनवाई हुई। कोर्ट ने दोनों पक्षों को आपसी सहमति से निर्णय लेने का आदेश दिया है।
न्यायमूर्ति मोहित कुमार शाह की एकलपीठ ने राज्य निर्वाचन आयोग की ओर से दायर रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि दोनों पक्ष मिल-बैठकर 6 अप्रैल के पहले आपसी सहमति से निर्णय लें।
चूंकि भारत निर्वाचन आयोग का यह नीतिगत निर्णय है, इसलिए इसमें हस्तक्षेप करना उचित नहीं है। अगर सभी पक्ष आपसी सहमति से निर्णय नहीं लेंगें, तभी कोर्ट इस मामले में हस्तक्षेप करेगा। जो भी निर्णय हो उसकी जानकारी कोर्ट को दी जाए ताकि उचित फैसला लिया जा सके।
भारत निर्वाचन आयोग से मंजूरी की जरूरत वाले निर्देश को चुनौती
राज्य निर्वाचन आयोग की तरफ से पटना हाईकोर्ट में यह रिट याचिका दायर की गई है। याचिका में भारत के निर्वाचन आयोग द्वारा 21 जुलाई 2020 को जारी पत्र के एक अंश को चुनौती दी गई है। इसमें कहा गया है कि प्रत्येक राज्य के निर्वाचन आयोग को EVM और VVPAT की आपूर्ति-डिजाइन लेने के पहले भारत निर्वाचन आयोग की मंजूरी लेनी होगी।
राज्य निर्वाचन आयोग का आरोप है कि EVM आपूर्ति की मंजूरी राजस्थान और छत्तीसगढ़ के पंचायती राज चुनाव के लिए खुद भारत निर्वाचन आयोग ने दिया था। लेकिन, बिहार के मामले में भेदभाव बरत रही है।
विशेष तकनीक युक्त EVM की जरूरत, ECIL भी तैयार
राज्य निर्वाचन आयोग के वकील अमित श्रीवास्तव ने बताया कि सूबे में होने वाले पंचायती राज संस्थानों का चुनाव इस बार EVM से कराना चाह रहा है। त्रिस्तरीय पंचायती राज चुनाव के लिए एक विशेष तकनीक युक्त EVM की जरूरत है, जिसे सिक्योर्ड डिटैचेबल मेमरी मॉड्यूल प्रणाली कहा जाता है। इस डिजाइन EVM की आपूर्ति करने के लिए हैदराबाद की निर्माता कंपनी ECIL भी तैयार है, लेकिन भारत निर्वाचन आयोग चुप्पी साधे हुए है।
राज्य निर्वाचन आयोग की तरफ से अधिवक्ता अमित श्रीवास्तव के साथ ही अधिवक्ता संजीव निकेश ने कोर्ट में अपना पक्ष रखा। भारत निर्वाचन आयोग की ओर से अधिवक्ता सिद्धार्थ प्रसाद पेश हुए। मामले पर 6 अप्रैल के बाद फिर सुनवाई होगी।
बिहार के त्रिस्तरीय पंचायती राज संस्थाओं का कार्यकाल जून 2021 में खत्म हो रहा है। राज्य निर्वाचन आयोग ने इस कार्यकाल को देखते हुए अप्रैल से मई तक चुनाव संपन्न करा लेने की प्लानिंग कर रखी थी।