- February 7, 2021
बिहार विधानसभा का शताब्दी समारोह–सदन चलने पर उसमें भाग भी लेना चाहिए-मुख्यमंत्री नीतीश कुमार
बिहार विधानसभा का शताब्दी समारोह रविवार को संपन्न हुआ। समारोह में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि बजट सत्र के अलावा दूसरे सत्रों की भी अवधि ज्यादा होनी चाहिए। सदन ज्यादा दिनों तक चलेगा, यह अच्छी बात है। मैं तो खुद सत्र को लंबा करना चाहता हूं। लेकिन सदन चलने पर उसमें भाग भी लेना चाहिए। विपक्ष अपनी बातें कहे, तो सुने भी। सही बात और सुझाव आएगा तो उसे हम स्वीकार करेंगे। लोकतंत्र को मजबूत करना ही हमारा लक्ष्य है। क्षेत्र की समस्या को जानना और समझना जरूरी है। हमलोगों को मिलकर विकास करना है। बता दें कि बजट सत्र की अवधि छोटा होने को लेकर विपक्ष कई बार सरकार पर निशाना साध चुका है।
लाइब्रेरी के लिए सौंपी संविधान की 3 कॉपी
इससे पहले केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने अपने भाषण के दौरान संविधान दिखाते हुए कहा कि इसमें रामचंद्र, श्रीकृष्ण , हनुमान जी हैं, अकबर भी हैं, नटराज भी हैं। लेकिन बाबर और औरंगजेब नहीं हैं। केंद्रीय मंत्री ने संविधान की तीन कॉपी विधानसभा अध्यक्ष को लाइब्रेरी के लिए सौंपी। उन्होंने कहा कि संविधान में नालंदा भी है और मोहनजोदड़ो भी। बिहार विधानसभा का जिक्र करते हुए रविशंकर प्रसाद ने कहा कि आपका सेंट्रल हॉल लोकसभा के सेंट्रल हॉल से कम नहीं है।
उद्घाटन भाषण में क्या बोले विजय सिन्हा
इससे पहले CM नीतीश कुमार ने विधानसभा के सेंट्रल हॉल में शताब्दी समारोह का उद्घाटन किया। विधानसभा अध्यक्ष विजय सिन्हा ने CM का स्वागत किया। शताब्दी समारोह में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव, तेज प्रताप यादव और राबड़ी देवी नहीं आए हैं। उद्घाटन भाषण विधानसभा अध्यक्ष विजय सिन्हा ने दिया। कहा कि आज का दिन बिहार के लिए ऐतिहासिक है।
100 साल पहले इसी भवन में लोकतंत्र की पहली बैठक हुई थी। यह भवन कई ऐतिहासिक घटनाओं का गवाह रहा है। पूरे साल विधायक अपने क्षेत्र में काम करेंगे। साथ ही 5 तरह के अपराध को दूर करने की दिशा में भी काम करेंगे। वे नशा मुक्ति, अपराध मुक्ति, बाल श्रम मुक्ति, बाल विवाह मुक्ति, दहेज मुक्ति के क्षेत्र में काम कर बिहार को इन समस्याओं से दूर करेंगे। विधायिका की समाज निर्माण में अहम भूमिका है। पूरे साल तक बिहार की गौरव गाथा को लेकर एक विशेष अभियान चलाया जाएगा। उन्होंने बताया कि लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने इस मौके पर चिट्ठी भेजी है। उन्होंने बिहार को बधाई दी है।
विधायकों को पढ़ाया गया पाठ
नीतीश कैबिनेट में मंत्री विजय चौधरी ने शताब्दी समारोह में विधायकों को संबोधित करते हुए कहा कि संसदीय शब्दों को समझना जरूरी है, पूरी प्रक्रिया की जानकारी होनी चाहिए। उन्होंने नए विधायकों को सलाह देते हुए कहा कि संशोधन से लेकर विधायी कार्यों में दिलचस्पी दिखाएं। विधानसभा के प्रति पक्ष के साथ-साथ विपक्ष को भी उत्तरदायी होना होता है। सदन की कार्यवाही के दौरान अतारांकित, तारांकित, अल्पसूचित प्रश्न होते हैं, इसके बारे में विधायकों को जानकारी रखना जरूरी है।
समारोह में उस समय हंगामा हो गया जब भाकपा माले के विधायक महबूब आलम ने CM नीतीश कुमार के खिलाफ टिप्पणी की। सत्ता पक्ष के विधायकों ने महबूब आलम का विरोध किया। महबूब आलम ने कहा था कि धरना-प्रदर्शन करना सभी का अधिकार है, इससे CM असहज हो जाते हैं। नीतीश कुमार की ओर इशारा करते हुए उन्होंने कहा कि कई फैसले आपकी अनुमति के बिना ही लिए जाते हैं। विधानसभा के मुख्य द्वार पर BJP के झंडे लगाए जाने का भी महबूब आलम ने विरोध किया।
शताब्दी समारोह में भाषण के दौरान उप मुख्यमंत्री रेणु देवी की जुबान फिसल गई। उन्होंने स्पीकर विजय सिन्हा की जगह उनका नाम विजय प्रसाद श्रीवास्तव कहा। साथ ही नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव की गैरमौजूदगी के बावजूद उनका नाम लिया। मंच पर सीएम के अलावा विधानसभा अध्यक्ष विजय सिन्हा, डिप्टी सीएम तारकेश्वर प्रसाद, विजय चौधरी मौजूद हैं। शताब्दी समारोह में सभी पार्टियों के विधायक पहुंचे हैं। विधानसभा भवन का आज 100 साल पूरा हुआ है। उधर नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव के नहीं आने पर MLC रामचन्द्र पूर्वे को मंच पर बुलाया गया। सीएम नीतीश कुमार की सलाह के बाद उन्हें मंच पर लाया गया।
RJD विधायक अवध बिहारी चौधरी ने भाषण के दौरान प्रोटोकॉल का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि विधायकों का भी एक प्रोटोकॉल होता है। लेकिन अभी उसे कोई नहीं मानता। क्षेत्र में जाने पर अधिकारी सम्मान नहीं देते हैं। उन्हें जो शिष्टाचार मिलना चाहिए, वो नहीं मिलता है।
एएम मिलवुड ने एम्फीथियेटर की तर्ज पर विधानसभा को बनाया था। आज से ठीक सौ साल 7 फरवरी 1921 को बिहार विधानसभा का पहला सत्र विधिवत अधिसूचित भवन में हुआ। वह तब बिहार-उड़ीसा विधान परिषद कहलाता था। पहली बैठक को गवर्नर लार्ड सत्येन्द्र प्रसन्न सिन्हा ने संबोधित किया और सदन के अध्यक्ष थे वॉल्टर मॉड। तब सदन के निर्वाचित सदस्यों को चुनने वाले मुट्ठीभर लोग थे। यह संख्या मात्र 2404 थी। इन्हें ही वोट देने का अधिकार था। बाद में यह बढ़कर 3,25,293 हुई। इसके अलावा 1463 यूरोपियन, 370 लैंड होल्डर्स और 1548 विशेष निर्वाचन क्षेत्र के मतदाताओं को ही वोट देने का अधिकार था। आज 7.43 करोड़ से अधिक मतदाता विधानसभा के सदस्यों को चुनते हैं। बीते 100 वर्षों में लोकतांत्रिक संस्थाओं के सतत विकास की यह स्वर्णिम कड़ी है।