पंजाब एंड महाराष्ट्र का-ऑपरेटिव बैंक (पीएमसी बैंक) के अधिग्रहण में दिलचस्पी

पंजाब एंड महाराष्ट्र का-ऑपरेटिव बैंक (पीएमसी बैंक) के अधिग्रहण में दिलचस्पी

पंजाब एंड महाराष्ट्र का-ऑपरेटिव बैंक (पीएमसी बैंक) के अधिग्रहण में दिलचस्पी

बिजनेस स्टैंडर्ड —– इस्पात कारोबार के दिग्गज संजीव गुप्ता के लिबर्टी समूह, जसपाल सिंह बिंद्रा की अगुआई वाले सेंट्रम समूह और भारतपे तथा मुंबई और हैदराबाद के दो कारोबारी परिवारों ने संकटग्रस्त पंजाब ऐंड महाराष्ट्र को-ऑपरेटिव बैंक (पीएमसी बैंक) के अधिग्रहण में दिलचस्पी दिखाई है। यह पहला मौका है जब कारोबार, गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों और धनाढ्य निवेशकों ने शहरी सहकारी बैंक के अधिग्रहण पर बातचीत के लिए इच्छा जताई है। यह घटनाक्रम भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के आंतरिक कार्यकारी समूह की रिपोर्ट के एक महीने बाद हुआ है जिसमें कॉरपोरेट को बैंक का स्वामित्व देने की सिफारिश की गई थी।

एक सूत्र ने कहा, ‘पीएमसी बैंक का स्वामित्व हासिल करने वाला शहरी सहकारी बैंक के तौर पर इसका परिचालन जारी रखेगा। शहरी सहकारी बैंक के लाइसेंस के स्वत: सार्वभौम बैंक लाइसेंस में बदलने की संभावना नहीं है।’ बैंक के लिए इच्छुक निवेशकों के सामने आने से बैंक के जमाकर्ताओं के लिए राहत की बात है।

गुप्ता को ब्रिटिश स्टील को बचाने के लिए जाना जाता है और बैंकिंग क्षेत्र उनके लिए नया नहीं है। गुप्ता दो बैंकों – कॉमनवेल्थ ट्रेड बैंक और वेलैंड बैंक का परिचालन कर रहे हैं। कॉमनवेल्थ ट्रेड बैंक गुप्ता के जीएफजी अलायंस का हिस्सा है। जीएफजी अलायंस का राजस्व 20 अरब डॉलर का है जबकि लिबर्टी हाउस मुख्य रूप से स्टील और ऊर्जा कारोबार से जुड़ा है। गुप्ता उस समय चर्चा में आए जब नवंबर 2016 में लिबर्टी हाउस ने टाटा स्टील यूके की वेस्ट यॉर्कशर और चीन की इकाइयों के अधिग्रहण के लिए बातचीत शुरू की थी। दोनों पक्षों ने अप्रैल 2017 में सौदे को पूरा किया।

सेंट्रम समूह ने भारतपे के साथ साझेदारी की है। एक सूत्र ने कहा, ‘मौजूदा कारोबारी साझेदारी को आगे बढ़ाते हुए फिनटेक कंपनी डिजिटल भुगतान को बढ़ावा दे रही है।’

पीएमसी बैंक के दो कारोबारी परिवारों के बारे में अभी स्पष्ट नहीं हो पाया है। हालांकि उनमें से एक संभवत: टेक्सटाइल कारोबार से जुड़े हैं।

आर गांधी समिति (2015) की राय थी कि 20,000 करोड़ रुपये की कारोबारी इकाई को स्वैच्छिक तौर पर बहु-राज्य शहरी सहकारी बैंक से वाणिज्यिक बैंक में तब्दील करने पर विचार किया जा सकता है ताकि एकसमान नियमन सुनिश्चित हो सके। पीएमसी बैंक की 2018-19 की सालाना रिपोर्ट के अनुसार उसके पास 11,617.34 करोड़ रुपये जमा थी और उसकी परिसंपत्तियां 8,383.33 करोड़ रुपये की थी यानी उसका कुल कारोबार 20,000.67 करोड़ रुपये का था।

इस साल की शुरुआत में सारस्वत सहकारी बैंक और कॉसमॉस सहकारी बैंक ने खुद को वाणिज्यिक बैंक में तब्दील करने के लिए आरबीआई से मंजूरी लेने की योजना बनाई थी। सारस्वत बैंक का कुल कारोबार 60,000 करोड़ रुपये और कॉसमॉस का 26,000 करोड़ रुपये से अधिक था।

सूत्रों ने कहा कि पीएमसी बैंक के अधिग्रहण से इस क्षेत्र में व्यापक बदलाव आएगा और पूंजी तथा तकनीक हासिल करने के प्रयास में बाधा आएगी तथा कारोबारी संचालन का स्तर खराब बना रह सकता है।

एक वरिष्ठ बैंकर ने कहा, ‘आरबीआई शहरी सहकारी बैंक के नियमन को मुख्यधारा के बैंकों की तरह बनाने का प्रयास कर रहा है और दोहरे नियमन को दूर कर रहा है ताकि ये बैंक अपेक्षाकृत ज्यादा आकर्षक बन सकें।’

2019 में आरबीआई ने कहा था कि 500 करोड़ रुपये तथा इससे अधिक की परिसंपत्ति वाले शहरी सहकारी बैंकों को बड़ी उधारी पर केंद्रीय रिपॉजिटरी ऑफ इन्फॉर्मेशन रिपोर्टिंग प्रारूप के दायरे में लाया जाएगा। इन बैंकों को त्वरित सुधारात्मक कार्रवाई के दायरे में भी लाया गया था। इसके साथ ही 100 करोड़ रुपये जमाओं वाले शहरी सहकारी बैंकों के लिए प्रबंधन बोर्ड बनाना अनिवार्य किया गया था।

आरबीआई के ताजा आकंडों के अनुसार शहरी सहकारी बैंकों (अधिसूचित और गैर-अधिसूचित) की संख्या 2003-04 में 1,926 थी जो 2018-19 में घटकर 1,544 रह गई है। इस दौरान सबसे ज्यादा 73 विलय महाराष्ट्र के शहरी सहकारी बैंकों में हुआ, जबकि गुजरात में 33 शहरी सहकारी बैंकों का विलय हुआ।

आरबीआई की वित्तीय स्थायित्व रिपोर्ट, जुलाई 2020 के अनुसार सितंबर 2019 से मार्च 2020 तक 54 अधिसूचित शहरी सहकारी बैंकों के प्रदर्शन में स्थायित्व देखा गया। इन बैंकों का पूंजी पर्याप्तता अनुपात दोनों तिमाही में 9.8 फीसदी रहा। उनका सकल गैर-निष्पादित आस्तियां इस दौरान 10.5 फीसदी से घटकर 9.9 फीसदी रह गई। संपत्ति पर रिटर्न भी सुधरकर ऋणात्मक 3.6 फीसदी से ऋणात्मक 1.8 फीसदी पर आ गया और तरलता कवरेज अनुपात 34 फीसदी पर स्थिर रहा।

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