“आयुष्मान कार्ड” बनाने के लिए अभियान

“आयुष्मान कार्ड” बनाने के लिए अभियान

भोपाल : — मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि आयुष्मान भारत योजना के अंतर्गत पात्र हितग्राहियों को एक वर्ष में 05 लाख रूपए तक की नि:शुल्क उपचार सुविधा मिलती है। इसके अंतर्गत अधिकांश बीमारियां कवर्ड हैं। योजना का प्रदेश के प्रत्येक पात्र हितग्राही को लाभ दिलाया जाए। ‘आयुष्मान कार्ड’ बनाने के लिए अभियान चलाया जाए। मध्यप्रदेश में यह योजना आयुष्मान भारत निरामयम् योजना के नाम से संचालित की जाएगी।

मुख्यमंत्री श्री चौहान आज मंत्रालय में आयुष्मान भारत योजना की बैठक ले रहे थे। बैठक में लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. प्रभुराम चौधरी, मुख्य सचिव श्री इकबाल सिंह बैंस, अपर मुख्य सचिव स्वास्थ्य श्री मोहम्मद सुलेमान, प्रमुख सचिव वित्त श्री मनोज गोविल आदि उपस्थित थे।

01 करोड़ 49 लाख आयुष्मान कार्ड, 5.85 करोड़ हितग्राही

अपर मुख्य सचिव स्वास्थ्य ने बताया कि प्रदेश में अभी 01 करोड़ 49 लाख लोगों के आयुष्मान कार्ड बन गए हैं। योजना अंतर्गत प्रदेश के लगभग 5.85 करोड़ गरीब एवं मध्यम वर्ग के व्यक्तियों के कार्ड बनाए जाने हैं। इस वर्ष इनमें से 60 प्रतिशत व्यक्तियों के कार्ड बनाए जाने का लक्ष्य है।

717 अस्पतालों में कैशलेस उपचार सुविधा

योजना के अंतर्गत प्रदेश के कुल 717 शासकीय एवं संबद्ध निजी चिकित्सालयों में पात्र हितग्राहियों को कैशलेस उपचार की सुविधा है। अब इसके अंतर्गत कोविड का इलाज भी कराया जा सकता है।

अब पंचायतों एवं नगरीय निकायों के माध्यम से भी कार्ड बनेंगे

योजना के अंतर्गत अभी तक सम्बद्ध शासकीय व निजी चिकित्सालयों के अलावा लोक सेवा केन्द्र तथा कॉमन सर्विस सेंटर में जाकर आयुष्मान कार्ड बनवाना होता था, परन्तु अब पंचायतों एवं नगरीय निकायों के माध्यम से कार्ड बनाने की भारत सरकार से स्वीकृति प्राप्त हो गई है।

अधिक से अधिक निजी अस्पतालों को संबद्ध किया जाए

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने निर्देश दिए कि इस योजना के अंतर्गत अधिक से अधिक निजी अस्पतालों को संबद्ध किया जाए, जिससे मरीज अपनी सुविधा अनुसार जहां चाहें इलाज करवा सकें। योजना में वर्तमान में प्रदेश में 282 निजी चिकित्सालय संबद्ध हैं, जबकि उत्तरप्रदेश में 1542, राजस्थान में 1498, महाराष्ट्र में 1243 व गुजरात में 802 निजी अस्पताल संबद्ध है।

561 करोड़ रूपए की राशि का भुगतान

योजना के अंतर्गत शासकीय अस्पतालों में इलाज करवाने पर 60 प्रतिशत व्यय केन्द्र सरकार एवं 40 प्रतिशत व्यय राज्य सरकार उठाती है। वहीं निजी चिकित्सालयों में इलाज कराने पर शत-प्रतिशत भुगतान शासन द्वारा किया जाता है। योजना अंतर्गत अभी तक प्रदेश में 4 लाख 14 हजार 509 प्रकरणों में 561 करोड़ रूपए की राशि का भुगतान किया जा चुका है।

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