• September 15, 2020

बिहार में विकास परियोजना —राज्य में गवर्नेंस से फोकस ही हट गया— प्रधानमंत्री

बिहार में विकास परियोजना —राज्य में गवर्नेंस से फोकस ही हट गया—  प्रधानमंत्री

पीआईबी -(नई दिल्ली ) —- बिहार के गवर्नर श्री फागू चौहान जी, बिहार के मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार जी, केंद्रीय मंत्रिमंडल के मेरे सहयोगी श्री हरदीप सिंह पुरी जी, श्री रविशंकर प्रसाद जी, केंद्रीय और राज्य मंत्रिमंडल के अन्य सदस्य, सांसदगण, विधायकगण और मेरे प्रिय साथियों, आज जिन 4 योजनाओं का उद्घाटन हो रहा है, उनमें पटना शहर के बेऊर और करम-लीचकमें सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांटके अलावा AMRUT योजना केतहत सीवानऔर छपरा में पानी से जुड़े प्रोजेक्ट्स भी शामिल हैं।

मुंगेर और जमालपुर में पानी की कमी को दूर करने वाली जलापूर्ति परियोजनाओं और मुजफ्फरपुर में नमामि गंगे के तहत रिवर फ्रंट डेवलपमेंट स्कीम का भी आज शिलान्यास किया गया है।

शहरी गरीबों, शहर में रहने वाले मध्यम वर्ग के साथियों का जीवन आसान बनाने वाली इन नई सुविधाओं के लिए बहुत-बहुत बधाई।

आज हम Engineer दिवस भी मनाते हैं। ये दिन देश के महान इंजीनियर एम विश्वेश्वरैया जी की जन्म-जयंती का है, उन्हीं की स्मृति को समर्पित है।

बिहार ऐतिहासिक नगरों की धरती है। यहां हज़ारों सालों से नगरों की एक समृद्ध विरासत रही है। प्राचीन भारत में गंगा घाटी के इर्दगिर्द आर्थिक, सांस्कृतिक और राजनैतिक रूप से समृद्ध और संपन्न नगरों का विकास हुआ।

गुलामी के लंबे कालखंड ने इस विरासत को बहुत नुकसान पहुंचाया। आज़ादी के बाद के कुछ दशकों तक बिहार को बड़े और विजनरी नेताओं का नेतृत्व मिला, जिन्होंने गुलामी के काल में आई विकृतियों को दूर करने की भरसक कोशिश की।

एक दौर ऐसा भी आया, जब बिहार में मूल सुविधाओं के निर्माण के बजाय, राज्य के लोगों को आधुनिक सुविधाएं देने के बजाय, प्राथमिकताएं और प्रतिबद्धतताएं बदल गईं। नतीजा ये हुआ कि राज्य में गवर्नेंस से फोकस ही हट गया।

बिहार के गांव और ज्यादा पिछड़ते गए और जो शहर कभी समृद्धि का प्रतीक थे, उनका इंफ्रास्ट्रक्चर बढ़ती आबादी और बदलते समय के हिसाब से अपग्रेड हो ही नहीं पाया। सड़कें हो, गलियां हों, पीने का पानी हो, सीवरेज हो, ऐसी अनेक मूल समस्याओं को या तो टाल दिया गया या फिर जब भी इनसे जुड़े काम हुए वो घोटालों की भेंट चढ़ गए।

जब शासन पर स्वार्थनीति हावी हो जाती है, वोटबैंक का तंत्र सिस्टम को दबाने लगता है तो सबसे ज्यादा असर समाज के उस वर्ग को पड़ता है, जो प्रताड़ित है, वंचित है, शोषित है।

बिहार के लोगों ने इस दर्द को दशकों तक सहा है।

बिहार में एक बहुत बड़े वर्ग ने कर्ज़, बीमारी, लाचारी, अनपढ़ता को अपना भाग्य मान लिया था। एक प्रकार से सरकारों की गलत प्राथमिकताओं के कारण समाज के एक बड़े वर्ग के आत्मविश्वास पर गहरी चोट की गई। गरीब के साथ इससे बड़ा अन्याय भला क्या हो सकता था?

साथियों, बीते डेढ़ दशक से नीतीश जी, सुशील जी और उनकी टीम समाज के इस सबसे कमज़ोर वर्ग के आत्मविश्वास को लौटाने का प्रयास कर रही है। विशेषतौर पर जिस प्रकार बेटियों की पढ़ाई-लिखाई को, पंचायती राज सहित स्थानीय निकाय में वंचित, शोषित समाज के साथियों की भागीदारी को प्राथमिकता दी गई है, उससे उनका आत्मविश्वास बढ़ रहा है।

साल 2014 के बाद से तो एक प्रकार से बुनियादी सुविधाओं से जुड़ी योजनाओं का करीब-करीब पूरा नियंत्रण, ग्राम पंचायत या स्थानीय निकायों को दे दिया गया है। अब योजनाओं की प्लानिंग से लेकर अमलीकरण तक, और उनकी देखरेख का जिम्मा अब स्थानीय निकाय, स्थानीय ज़रूरतों के हिसाब से कर पा रहे हैं। यही कारण है कि अब केंद्र और बिहार सरकार के साझा प्रयासों से बिहार के शहरों में पीने के पानी और सीवर जैसी मूल सुविधाओं के ढांचे में निरंतर सुधार हो रहा है।

बिहार के ग्रामीण क्षेत्र में 57 लाख से ज्यादा परिवारों को पानी के कनेक्शन से जोड़ा गया है।

बीते 1 साल में, जल जीवन मिशन के तहत पूरे देश में 2 करोड़ से ज्यादा पानी के कनेक्शन दिए जा चुके हैं। आज देश में हर दिन 1 लाख से ज्यादाघरों को पाइप से पानी के नए कनेक्शन से जोड़ा जा रहा है। स्वच्छ पानी, मध्यम वर्ग का, गरीब का न सिर्फ जीवन बेहतर बनाता है बल्कि उन्हें अनेक गंभीर बीमारियों से भी बचाता है।

पूरे बिहार में AMRUT योजना के तहत लगभग 12 लाख परिवारों को शुद्ध पानी के कनेक्शन से जोड़ने का लक्ष्य है। इसमें से करीब 6 लाख परिवारों तक ये सुविधा पहुंच भी चुकी है।

शहरीकरण आज के दौर की सच्चाई है। बाबा साहब अंबेडकर ने तो उस दौर में ही इस सच्चाई को समझ लिया था, और वो शहरीकरण के बड़े समर्थक थे। उन्होंने शहरीकरण को समस्या नहीं माना, उन्होंने ऐसे शहरों की कल्पना की थी जहां गरीब से गरीब व्यक्ति को भी अवसर मिलें, जीवन को बेहतर करने के रास्ते उसके लिए खुलें।

शहर ऐसे हों जहां- हर किसी को, गरीब को, दलित को, पिछड़े को, महिलाओं को सम्मानपूर्ण जीवन मिले। जहां- सुरक्षा हो, कानून का राज हो। जहां- समाज, समाज का हर वर्ग एक साथ मिल-जुलकर रह सके। और शहर ऐसे हों जहां- आधुनिक सुविधाए हों, आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर हो। यही तो Ease of living है। यही देश का सपना है, इसी दिशा में देश आगे बढ़ रहा है।

आत्मनिर्भर बिहार, आत्मनिर्भर भारत के मिशन को गति देने के लिए विशेषकर देश के छोटे शहरों को वर्तमान ही नहीं भविष्य की ज़रूरतों के मुताबिक तैयार करना बहुत ज़रूरी है। इसी सोच के साथ AMRUT मिशन के तहत बिहार के अनेक शहरों में ज़रूरी सुविधाओं के विकास के साथ-साथ Ease of Living और Ease of doing Business के लिए बेहतर माहौल तैयार करने पर बल दिया जा रहा है।

AMRUT मिशन के तहत इन शहरों में पानी और सीवरेज के साथ-साथ ग्रीन जोन,पार्क,LED स्ट्रीट लाइट, जैसी व्यवस्थाओं का निर्माण किया जा रहा है।

बिहार के भी 100 से ज्यादा नगर निकायों में साढ़े 4 लाख LED Street Lights लगाई जा चुकी हैं। इससे हमारे छोटे शहरों की सड़कों और गलियों में रोशनी तो बेहतर हो ही रही है, सैकड़ों करोड़ की बिजली की बचत भी हो रही है और लोगों का जीवन आसान हो रहा है।

गंगा जी की स्वच्छता को ध्यान में रखते हुए ही बिहार में 6 हज़ार करोड़ रुपए से अधिक की 50 से ज्यादा परियोजनाएं स्वीकृत की गई हैं। सरकार का प्रयास है कि गंगा के किनारे बसे जितने भी शहर हैं, वहां बड़े-बड़े गंदे नालों का पानी सीधे गंगा जी में गिरने से रोका जाए। इसके लिए अनेकों वॉटर ट्रीटमेंट प्लांटस् लगाए जा रहे हैं।

आज जो पटना में बेऊर और करम-लीचक की योजना का उद्घाटन हुआ है, उससे इस क्षेत्र के लाखों लोगों को लाभ होगा। इसके साथ ही, गंगा जी के किनारे बसे जो गांव हैं, उन्हें ‘गंगा ग्राम’ के रूप में भी विकसित किया जा रहा है। इन गांवों में लाखों शौचालय के निर्माण के बाद अब कचरा प्रबंधन और जैविक खेती जैसे काम के लिए प्रोत्साहन दिया जा रहा है।

नमामि गंगे मिशन के तहत बिहार सहित पूरे देश में 180 से अधिक घाटोंके निर्माण का काम चल रहा है। इसमें से 130 घाट पूरे भी हो चुके हैं। इसके अलावा 40 से ज्यादा मोक्ष धामोंपर भी काम पूरा किया जा चुका है। देश में गंगा किनारे कई जगहों पर आधुनिक सुविधाओं से युक्त रिवरफ्रंट पर भी काम तेजी से चल रहा है।

पटना में तो रिवरफ्रंट का प्रोजेक्ट पूरा हो चुका है और मुज़फ्फरपुर में भी ऐसा ही रिवरफ्रंट बनाने की परियोजना का शिलान्यास किया गया है। जब मुजफ्फरपुर के अखाड़ा घाट, सीढ़ी घाट और चंदवारा घाट को विकसित कर दिया जाएगा, तो ये वहां पर्यटन का भी बड़ा केंद्र बनेंगे।

सरकार ने एक प्रोजेक्ट डॉल्फिन की घोषणा भी की है। इस मिशन का बहुत बड़ा लाभ गंगा डॉल्फिन को भी होगा। गंगा नदी के संरक्षण के लिए, गांगेय डॉल्फिन, का संरक्षण बहुत ज़रूरी है। पटना से लेकर भागलपुर तक का गंगा जी का पूरा विस्तार डॉल्फिन का निवास स्थान है। इसलिए “प्रोजेक्ट डॉल्फिन”से बिहार को बहुत अधिक लाभ होगा, यहां गंगा जी में बायोडायवर्सिटी के साथ-साथ पर्यटन को भी बल मिलेगा।

कोरोना संक्रमण की चुनौती के बीच बिहार के विकास, बिहार में सुशासन का ये अभियान निरंतर चलने वाला है। हम पूरी ताकत, पूरे सामर्थ्य से आगे बढ़ने वाले हैं। लेकिन इसके साथ-साथ हर बिहार वासी, हर देशवासी को संक्रमण से बचाव का संकल्प भूलना नहीं है। मास्क, साफ-सफाई और दो गज़ की दूरी, ये हमारे बचाव के सबसे कारगर हथियार हैं। हमारे वैज्ञानिक वेक्सीन बनाने में दिनरात जुटे हैं। लेकिन हमें याद रखना है-जब तक दवाई नहीं, तब तक ढिलाई नहीं।

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