- May 8, 2020
श्रम सुधारों की घोषणा—तीन माह के लिए फेक्ट्री इंस्पेक्टर नहीं होंगे, बार-बार निरीक्षण—कारखानों में 12 घंटे की पाली
मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रदेश में औद्योगिक गतिविधियों को बढ़ाकर रोजगार के अवसरों में वृद्धि, नये निवेश को प्रोत्साहित करने और श्रमिकों के हितों की रक्षा के उद्देश्य से श्रम सुधारों की घोषणा की है।
श्री चौहान ने कहा कि इन श्रम सुधारों से कोविड महामारी से प्रभावित उद्योगों एवं व्यवसायों को पुन: पटरी पर लाने के साथ ही आर्थिक क्षेत्र की चुनौतियों को अवसर में बदला जा सकेगा। कोरोना के विश्वव्यापी संकट ने अर्थव्यवस्था पर गहरा प्रभाव डाला है। अब धीरे-धीरे स्थितियां सामान्य होती जा रही है।
प्रदेश में अब आर्थिक गतिविधियों की पुन: शुरूआत हो गयी है। बदली हुई परिस्थितियों में पुराने उद्योग अपने स्थान परिवर्तन पर विचार कर रहे है। वहीं नये उद्योग अपने लिये अनुकूल वातावरण वाले स्थान को प्राथमिकता दे रहे है। बंद आर्थिक गतिविधियों को गति देने के लिये श्रम सुधारों को लागू करने वाले मध्यप्रदेश देश का पहला राज्य है।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने आज फेसबुक लाइव के माध्यम से श्रम कानूनों में किए गए परिवर्तनों की जानकारी दीं। उन्होने कहा कि कोरोना संकट के पश्चात उद्योगों को जरूरी रियायतें देने के लिए उठाए गए कदम कारखाना मालिकों को और श्रमिकों के मध्य परस्पर सहयोग का वातावरण निर्मित करेंगे।
विभिन्न तरह की अनुमतियों के लिए उद्योग क्षेत्र को बड़ी राहत प्रदान की गई है। प्रक्रियाओं को सरल बनाया गया है और दफ्तरों के चक्कर लगाने के काम से मुक्ति दी गई है।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने बताया कि पूरे विश्व में कोरोना का संकट है। हमारा देश और प्रदेश भी इससे अछूता नहीं है। हमें लड़कर कोरोना को पराजित करना है। इसके साथ ही अर्थव्यवस्था पर जो बुरा प्रभाव पड़ा है उसे कम करने के लिए और अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के प्रयास किए जा रहे हैं। प्रधानमंत्री श्री मोदी इस दिशा में प्रभावी नेतृत्व कर रहे हैं।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि मध्यप्रदेश में आर्थिक गतिविधियों की पुन: शुरूआत की गई है। नए उद्योगों को अनुकुल वातावरण उपलब्ध करवाया जा रहा है। श्रम सुधार करने के पीछे मुख्य उद्देश्य अन्य स्थानों से स्थानंतरित हो रहे उद्योगों और नए स्थापित होने वाले उद्योगों को आकर्षित करना है। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि प्रदेश में सरलता से नए उद्योग लग सकेंगे, लोगों को रोजगार के अवसर मिलेंगे और श्रमिकों के हितों की रक्षा होगी। उद्योग जगत में विश्वास का वातावरण बनेगा।
दुकानों के समय में वृद्धि
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि कोरोना ने सोशल डिस्टेंसिंग के महत्व से परिचित करा दिया है। बाजारों में भीड़ न हो इस उद्देश्य से प्रदेश की दुकानों के खुले रहने का समय सुबह 8 से रात्रि 10 के स्थान पर सुबह 6 से रात्रि 12 बजे तक रहेगा। इसके लिए आवश्यक अधिसूचना जारी कर दी गई है। कारखानों में कार्य की पाली आठ घंटे से बढ़ाकर 12 घंटे कर दी गई है। कारखाना मालिक अब खुद शिफ्ट परिवर्तित कर सकेंगे।
मंडी अधिनियम बदला
श्री चौहान ने कहा कि मध्यप्रदेश में मंडी अधिनियम में परिवर्तन कर किसानों को घर बैठे उपज विक्रय, निजी मंडियों में फसल बेचने जैसे विकल्प उपलब्ध करवाए गए हैं। प्रतिस्पर्धा बढ़ने से किसानों को अच्छे दाम मिलेंगे।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि प्रदेश में श्रमिकों के हित से कोई समझोता नहीं होगा। श्रम कानूनों में जो संशोधन किए गए हैं, उसके फलस्वरूप प्रदेश को आगे बढ़ाने में सहयोग मिलेगा। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने विस्तारपूर्वक श्रम सुधारों की जानकारी प्रदान की।
पंजीयन और लाइसेंस सिर्फ एक दिन में
पंजीयन और लाइसेंस का कार्य तीस दिन के स्थान पर एक दिन में होगा। इससे कारखानों दुकानों, ठेकेदारों, बीड़ी निर्माताओं, मोटर परिवहन कर्मकार, मध्यप्रदेश भवन तथा अन्य संनिर्माण कर्मकार अधिनियम में आने वाली निर्माण एजेंसियों का पंजीयन/लाइसेंस एक दिन में मिलेगा।
लोक सेवा गारंटी अधिनियम में संशोधन की अधिसूचना जारी कर दी गई है।
कारखाना लाइसेंस नवीनीकरण अब एक साल की बजाय दस साल में कराये जाने का प्रावधान किया गया है।
कारखाना लाइसेंस नवीनीकरण अब एक साल की बजाय दस साल
ठेका श्रम अधिनियम में केलेण्डर वर्ष की जगह संपूर्ण ठेका अवधि के लिए लाइसेंस जारी किया जाएगा।
नए कारखानों का पंजीयन/लाइसेंस जारी करने की आनलाइन व्यवस्था होगी।
स्टार्टअप उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए उन्हें सिर्फ एक बार पंजीयन कराना होगा। नवीनीकरण करवाने की जरूरत नहीं होगी।
कारखानों में 12 घंटे की पाली, ओवरटाइम बढ़ा
कारखानों में कार्य करने की पालियां 8 घंटे से बढ़कर 12 घंटे की होंगी। सप्ताह में 72 घंटे की ओवरटाइम मंजूरी दी गई है। कारखाना नियोजक उत्पादकता बढ़ाने के लिए सुविधानुसार शिफ्टों में परिवर्तन कर सकेंगे। इस संबंध में अधिसूचना जारी कर दी गई है।
एक ही रजिस्टर, एक ही रिटर्न
कारखानों में कार्य की प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए श्रम कानूनों के अंतर्गत 61 रजिस्टर रखने और 13 रिटर्न दाखिल करने की जगह एक ही रजिस्टर और एक ही रिटर्न दाखिल करने की व्यवस्था की गई है। रिटर्न फाइल करने के लिए स्व-प्रमाणन हो सकेगा।
नहीं होंगे, बार-बार निरीक्षण
कारखाना अधिनियम में तीन माह के लिए फेक्ट्री इंस्पेक्टर के निरीक्षण से मुक्ति होगी।
नियोजक अपने द्वारा चुने गए थर्ड पार्टी निरीक्षक से कारखाने का निरीक्षण करवा सकेंगे। पहले थर्ड पार्टी निरीक्षक को पंजीकृत करने का कार्य मुम्बई से होता था। अब यह अधिकार श्रमायुक्त मध्यप्रदेश को होगा। इसी तरह 50 से कम श्रमिकों को नियोजित करने वाली संस्थाओं को अलग-अलग श्रम कानूनों में निरीक्षण की परिधि से बाहर कर दिया गया है। अब इनमें निरीक्षण केवल श्रमायुक्त की अनुमति से शिकायतों के आधार पर हो सकेगा।
ट्रेड युनियन और कारखाना प्रबंधक सुविधा से विवाद हल करेंगे
मध्यप्रदेश औद्योगिक संबंध अधिनियम के प्रावधानों को आगामी आदेश तक शिथिल कर दिया गया है। अब कारखानों में ट्रेड युनियन और कारखाना प्रबंधक अपनी सहूलियत से विवादों का हल कर सकेंगे। इसके लिए लेबर कोर्ट नहीं जाना होगा।
पहले से चल रहे उद्योगों के लिए औद्योगिक विवाद अधिनियम के अंतर्गत दंड की विभिन्न धाराओं में कंपाउंडिंग का प्रावधान किया जा रहा है। इससे विवादों का हल न्यायालय जाए बगैर हो जाएगा। यह प्रस्ताव भारत सरकार को भेजा गया है।
श्रमिकों का चयन और नियोजन
मध्यप्रदेश में अगले एक हजार दिनों में नए उद्योगों और निवेशकों को आमंत्रित करने की दृष्टि से औद्योगिक विवाद अधिनियम की धारा 25 जो सुरक्षा से संबंधित है, को छोड़कर शेष प्रावधानों को शिथिल किया गया है। उद्योग मालिक सुविधानुसार श्रमिकों का चयन कर सकेंगे। ऐसे उद्योग जहाँ 100 से कम मजदूर काम करते हैं वहां मध्यप्रदेश औद्योगिक नियोजन के प्रावधानों से छूट दी गई है। अधिकांश छोटे और मंझोले उद्योग उत्पादकता बढ़ाने के लिए आवश्यकता के अनुसार श्रमिक रख सकेंगे।
50 अधिक श्रमिक वाली स्थापनाओं पर लागू औद्योगिक नियोजन अधिनियम अब 100 से अधिक स्थापनाओं पर लागू होगा। इससे छोटे उद्योगों को राहत मिलेगी। इस बारे में अधिसूचना जारी कर दी गई है।
पूर्व से लागू श्रम सुधार
औद्योगिक विवाद अधिनियम अब 100 मजदूरों वाली स्थापना की जगह 300 मजदूरों वाली स्थापना पर लागू किया गया है। उद्योगों और स्थापनाओं में कांट्रेक्ट कर्मियों को फिक्स टर्म एम्पालायमेंट की सुविधा दी गई है।
श्रम कानूनों में निरीक्षण व्यवस्था ज्यादा पारदर्शी बनाई गई है।विभिन्न सेवाओं के लिए सिंगल विण्डो सिस्टम का इंतजाम है। महिला श्रमिकों को कारखानों में तथा आय.टी. उद्योगों में रात्रिकालीन में कार्य की अनुमति है। विभिन्न श्रम कानूनों में पंजीयन और रिटर्न दाखिल करने की प्रक्रियाएं ऑनलाइन है। इसके लिए लेबर कोर्ट नहीं जाना होता है।
भारत सरकार को भेजे गए प्रमुख प्रस्ताव
कारखाना अधिनियम में ऐसी इकाइयाँ जो बिजली से चल रही है वहाँ 10 मजदूरों के नियोजन पर पंजीयन कराना होता है। इसकी सीमा 50 तक बढ़ाई जाए। इस प्रावधान से पूर्ण क्षमता का उपयोग कर उत्पादन बढ़ाया जा सकेगा। कारखाना अधिनियम में बिना बिजली के उपयोग से चलने वाली इकाइयों में बीस मजदूरों के नियोजन पर पंजीयन कराना होता है। श्रमिकों की सीमा हटाने का प्रस्ताव भारत सरकार को भेजा गया है।
ठेका श्रम अधिनियम के अंतर्गत ठेकेदारों को 20 श्रमिक के नियोजन पर पंजीयन कराना पड़ता था। अब 50 श्रमिक नियोजित करने पर पंजीयन कराना होगा। संशोधन से छोटे उद्योगों को कारखाना अधिनियम के अंतर्गत पंजीयन कराने से मुक्ति मिलेगी।
50 से कम श्रमिक नियोजित करने वाले ठेकेदार बिना पंजीयन के भी कार्य कर सकेंगे। इससे छोटे ठेकेदार राहत का अनुभव करेंगे। ठेका श्रम अधिनियम में इस छूट के लिए भारत सरकार को प्रस्ताव भेजा गया है।
ठेका श्रम अधिनियम, अन्तर्राज्यीय प्रवासी कर्मकार अधिनियम तथा मोटर परिवहन कर्मकार अधिनियम के अंतर्गत दण्डात्मक कार्यवाहियों का समझौते से निराकरण करने के लिए कम्पाउंडिंग की व्यवस्था करने का प्रस्ताव भारत सरकार को भेजा गया है।