- December 29, 2019
प्रदर्शन की रार, वसूली बनी आधार। दंगाई करें भरपाई– सज्जाद हैदर
(वरिष्ठ पत्रकार एवं राजनीति विश्लेषक)
वाह रे देश की सियासत, जब भी जिस नेता को जहाँ भी सियासी अवसर दिखाई देता है वह तुरंत अपनी सियासी रोटियों को सेंकने के लिए निकल पड़ता है। इस प्रकार की राजनीति करने वाले नेता कदापि यह नहीं सोचते कि हमारे द्वारा रचे गए षड़यन्त्र से उस जनता का कितना बड़ा नुकसान होगा जिसको हम भड़काने जा रहे हैं। यह नेता देश को सही दिशा में ले जाने से इतर अपनी राजनीति को चमकाने के लिए ही आतुर रहते हैं।
वर्तमान समय में देश की राजनीति अब इसी ओर चल पड़ी है। जब कोई भी नेता अपनी सियासी जमीन को समाप्त होते हुए देखता है तो वह पूर्ण रूप से इस जुगत में रहता है कि किस प्रकार से सियासी अवसर प्राप्त किया जाए और जनता को भ्रमित करके अपने पाले में किया जा सके जिससे कि राजनीति में बने रहा जा सके। ज्ञात हो कि यही प्रक्रिया काफी समय से जम्मू कश्मीर में बखूबी निभाई जा रही थी जिसका प्रयोग वहाँ कि राजनीति के लिए किया जा रहा था अब उसी प्रकार की रूप रेखा देश के कई कोने में दिखाई दे रही है।
बता दें कि कश्मीर से तुलना इसलिए करनी पड़ी कि कश्मीर की राजनीति पत्थरबाजी पर ही आधारित हो चली थी अभी कुछ दिनों पहले तक कश्मीर की सियासत की यही रूप रेखा बनीं हुई थी। बड़ी बात यह है कि कश्मीर के राजनेता अपने बच्चों को देश के बाहर उच्च शिक्षा ग्रहण करने हेतु भेज देते और कश्मीर के उन अशिक्षित बच्चों को अपना सियासी हथियार बना लेते जोकि जागरूक नहीं हैं। बड़ी ही चिंता का विषय यह है कि जो व्यक्ति इस प्रकार के कृत्यों में लिप्त हो जाते हैं वह यह क्यों नहीं सोचते कि जिन व्यक्तियों के लिए वह इस प्रकार का उपद्रव कर रहे हैं क्या उनकी संताने भी हमारे बीच में हैं अथवा नहीं।
क्या उत्पातियों को इस बात का ज्ञान नहीं की जो भी व्यक्ति हमें इस उत्पात के लिए प्रेरित कर रहा है तो उसका परिवार अथवा उसकी संताने इस प्रकार के कृत्यों में शामिल क्यों नहीं हो रहे हैं…? वह विदेशों में शिक्षा क्यों ग्रहण कर रहे हैं…? यदि इस प्रकार का प्रदर्शन ही जीवन का मूल-भूत आधार है तो क्या कुछ अशिक्षत बेरोजगार नौजवान ही इस आधार का केंद्र रहेंगे।
बड़े ही दुःख का विषय यह है कि अब यह प्रक्रिया देश के कई क्षेत्रों में संचालित करने का प्रयास किया जा रहा है। देश के राजनेता अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षा के कारण कुछ भ्रमित करने वाली पटकथा गढ़कर जनता के सामने प्रस्तुत करके आग को हवा देने का प्रयास करते हैं जोकि हमारे देश के लिए बड़ी ही चिंता का विषय है।
बता दें कि कुछ नेताओं को बैठे बैठाए एक मुद्दा हाथ लग गया है जोकि सरकार के द्वारा लाया गया एक बिल है जिसे एन.आर.सी तथा सी.सी.ए के नाम से जाना जाता है। इसी बिल को आधार बनाकर नेताओं ने सरकार के विरोध में अपना हथियार बनाया और भीड़ का इस्तेमाल अपनी राजनीति को चमकाने के लिए कर दिखाया। भीड़ को उग्र करते हुए कुछ नेताओं ने पीछे से हवा दी जिससे कि भीड़ ने तांडव आरम्भ कर दिया और देखते ही देखते देश के कई क्षेत्रों में हिंसा की आग भड़क गई और देश की तस्वीर बदल गई। बिल के भ्रम से गुमराह हुई भीड़ इन नेताओं के हाथ की कठपुतली बन गई और इन नेताओं ने इस भीड़ का भरपूर इस्तेमाल किया जोकि नहीं करना चाहिए था।
आश्चर्य की बात यह है कि जो भीड़ इस प्रकार की हिंसा का हिस्सा थी उसको इस बिल के बारे में कुछ भी जानकारी ही नहीं है। यह भीड़ पूरी तरह से अनभिज्ञ और अनजान है। लेकिन नेताओं ने भड़का दिया और भीड़ ने उग्रता आरंभ कर दी जबकि यह उग्रता किसी भी दृष्टि से सही नहीं है। लेकिन नेताओं के इशारे पर जिस प्रकार का कृत्य देश के अन्दर किया जा रहा है वह अत्यंत गंभीर है। बड़ा प्रश्न यह है कि क्या उन नेताओं पर भी किसी प्रकार की कार्य़वाही होगी अन्यथा नहीं…? जिन्होंने अपनी सियासी रोटी को सेकने का प्रयास किया।
क्या इस प्रकार के नेता भी कानून के शिकंजे में आएंगे…? यह बड़ा सवाल है। लेकिन सरकार ने भीड़ को सबक सिखाने का फैसला कर ही लिया है दंगाईयों के घर पर कानून डंडा तेज हो गया और भरपाई की नोटिस भेजी जानी आरंभ हो गई। जिससे कि अब ऐसे लोगों में नई स्थिति पैदा हो गई है। लेकिन सरकार का यह कदम न्याय की दृष्टि से सही है। अब कोई भी दंगा एवं हिंसा करने वाला व्यक्ति ऐसा कृत्य करने से पहले जरूर एक बार सोचेगा की हम क्या करने जा रहे हैं।
सरकार के इस प्रकार के निर्णय से जनता के बीच एक बड़ा संदेश निश्चित ही जाएगा साथ ही अन्य क्षेत्रों में भी फैलने वाली हिंसा पर लगाम लगेगी। सरकार की इसी नीति से अब आम आदमी नेताओं की बहकावे में नहीं आएगा। सरकार के इस निर्णय से शांति का वातावरण बनेगा। जिससे की बड़ी ही तेजी के साथ देश में शांति का वातावरण बनता हुआ दिखाई देगा।