• December 24, 2019

“मशरूम एक पोषक आहार”—13 मिलियन परिवार के पास 0.4 हेक्टेयर से कम कृषि योग्य भूमि

“मशरूम एक पोषक आहार”—13 मिलियन परिवार के पास 0.4 हेक्टेयर से कम कृषि योग्य भूमि

(संपर्क –संदीप कपूर —– मुख्यमंत्री का मीडिया प्रभारी)

पटना —— समस्तीपुर के पूसा स्थित डॉ. राजेन्द्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय में मशरूम दिवस के अवसर “मशरूम एक पोषक आहार” विषय पर आयोजित कार्यक्रम का उद्घटान बिहार के उद्योग मंत्री श्री श्याम रजक नें किया।

उन्होनें वहां लगाए गए विभिन्न प्रकार के मशरूमों की प्रदर्शनी को भी देखा।

उद्योग मंत्री नें कहा कि बिहार एक कृषि प्रधान राज्य है जहाँ की एक बड़ी आबादी (76%) कृषि पर ही निर्भर है। परन्तु आज किसान का बेटा किसान नहीं बनना चाहता। राज्य के कुल 13 मिलियन परिवार के पास 0.4 हेक्टेयर से कम कृषि योग्य भूमि है। बढती जनसँख्या के कारण भूमि विभाजन इसका एक प्रमुख कारण है। इसके अलावा सिंचाई की कमी, जलवायु परिवर्तन कृषि क्षेत्र की प्रमुख समस्याए है।

हम बचपन से पढ़ते आ रहे हैं कि किसानो के पास साल में 6 महीना कोई काम नहीं होता है। कृषि से जुड़े मजदूरों को सालों भर रोजगार मुहैया करानें के लिए “मनरेगा” योजना चलाई गयी। परन्तु सीमांत किसानों को सालों भर रोजगार के लिए उन्हें स्वयं सोचना होगा इसके लिए आवश्यक है कि वे कृषि से सम्बन्धी कोई पूरक रोजगार अपनाएँ ऐसे में मशरूम उत्पादन एक वेहतर विकल्प हो सकता है।

श्री रजक नें कहा कि विशेषकर ग्रामीण युवकों को इसमें रूचि लेनी चहिये। क्यूंकि मशरूम की खेती में कम भूमि, सिंचाई हेतु कम जल एवं कम पूंजी की आवश्यकता पड़ती है। तथा मशरूम जलवायु परिवर्तन के साथ सामंजस्य रखनें वाला है। यह पौष्टिक तथा औषधीय गुणों से भरपूर खाद्य पदार्थ है।

मशरूम में कई तरह के मिनरल्स व विटामिन जैसे पोटैशियम, फास्फोरस, मैग्नीशियम, सोडियम, विटामिन सी, थाइमिन, फोलेट, विटामिन डी, प्रोटीन, कैल्शियम, आयरन आदि पाए जाते हैं। इसमें प्रोटीन की मात्रा दूध के समान पायी जाती है इसलिए इसे प्रत्येक आदमी को अपने भोजन में शामिल करना उनके स्वास्थ्य के लिए काफी बेहतर होगा।

कम समय एवं कम लागत में मशरूम उत्पादन से अच्छी आमदनी प्राप्त होती है। मशरूम उत्पादन के प्रति महिलाओं की जागरुकता बढ़ी है यह अच्छी बात है। मशरूम उत्पादन के क्षेत्र में महिलाओं की बढ़ती भागीदारी पर काफी प्रसन्नता होती है। यह एक ऐसा व्यवसाय है जिसे घर बैठे महिलाएं अपनें रोज-मर्रा के काम करते हुए भी आसानी से कर सकती हैं।

बिहार में आज मशरूम का कुल उत्पादन 5600 टन है एवं 50 हज़ार से अधिक परिवार इस कार्य में लगे हुए हैं। बिहार सरकार भी मशरूम की खेती के लिए प्रोत्साहन दे रही है। उद्योग मंत्री नें किसानों से कहा की आप मशरूम की खेती करें उद्योग विभाग भी अपनी तरफ से इसकी ब्रांडिंग और मार्केटिंग हेतु हर संभव मदद करेगा।

श्री रजक नें कहा कि पहले मशरूम जाड़े में तथा हिमाचल जैसे पाहडी राज्यों में ही उगाई जाती थी। परन्तु राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय पूसा द्वारा विभिन्न प्रजातियाँ विकसित की गयी है जिससे बिहार में भी सालों भर मशरूम उगाया जा सकता है।

पिछले कई वर्षों से लगातार डॉ राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय (पूसा) नें राष्ट्रीय मशरूम दिवस समारोह मनाकर लोगों को मशरूम के औषधीय गुणों से अवगत करनें की सराहनीय पहल की है। इसके लिए मैं डॉ राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय (पूसा) तथा कुलपति श्री रमेश चन्द्र श्रीवास्तव जी का दिल से धन्यावाद करना चाहत हूँ।

इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलपति, सभी प्रोफेसरगण तथा किसान भाई मौजूद रहे।

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