- July 9, 2019
किसान बागवानी फसलों के संरक्षित खेती मॉडल अपनाएं
चण्डीगढ़—– – हरियाणा के कृषि एवं किसान कल्याण मन्त्री श्री ओम प्रकाश धनखड़ ने कहा है कि किसानों को बाजार की मांग के अनुरूप अपने फसल चक्र, फसल प्रबंधन एवं फसल विपणन प्रबंधन की अवधारणा बदलनी होगी तथा धान गेंहू के फसल चक्र से हटकर स्वयं को बागवानी की ओर मोडऩा होगा व बागवानी फसलों की संरक्षित खेती मॉडल को अपनाना होगा।
श्री धनखड़ आज नई दिल्ली में किसानों की आय वर्ष 2022 तक दोगुनी की करने के प्रधान मंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के लक्ष्य को आगे बढ़ाने के लिए केन्द्रीय कृषि एवं किसान मंत्री श्री नरेन्द्र सिंह तोमर की अध्यक्षता में हुई राज्यों के कृषि मंत्रियों के मंथन सत्र में बोल रहे थे।
श्री धनखड़ ने कहा है कि पिछले साढ़े चार वर्षों के कार्यकाल में हरियाणा में किसानों की बेहतरी के लिए जितना कार्य हुआ है उतना पहले कभी नहीं हुआ। वर्तमान सरकार ने जोखिम फ्री व्यक्ति, जोखिम फ्री पशु व जोखिम फ्री गांव बनाने के विजन के साथ योजनाएं तैयार की हैं।
उन्होंने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी के समय किसान के्रडिट कार्ड जारी करने की योजना आरंभ की गई थी और फसली ऋण ब्याज दर 18 प्रतिशत से घटाकर दो प्रतिशत तक लाई गई और अब केन्द्र व प्रदेश की वर्तमान सरकार ने फसल ऋण ब्याज को जीरो प्रतिशत किया है।
उन्होंने कहा कि हरियाणा में शीघ्र ही प्रधान मंत्री किसान सम्मान निधि की तर्ज पर मुख्य मंत्री किसान सम्मान निधि योजना लागू करने का प्रस्ताव है। इसके साथ-साथ हम मंडी सुधार में काफी आगे बढ़े हैं। फसल बीमा योजना में हरियाणा में बेहतर प्रदर्शन किया है और देश में अव्वल स्थान हासिल किया है। किसानों को करोड़ों रुपये के मुआवजे वितरित किए हैं।
कृषि मंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने किसानों का रूझान परम्परागत फसलों की बजाय बागवानी व अन्य नकदी फसलों की ओर हो, इसके लिए राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में पैरी-एग्रीकल्चर अवधारणा लागू करने का भी प्रस्ताव तैयार किया है ताकि दिल्ली सहित राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में दूध, फल-फूल, सब्जी, दही अंडे व अन्य डेरी उत्पाद की मांग को पूरा किया जा सके।
जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए हर सम्भव प्रयास किए जा रहे हैं। 140 गांवों को जैविक गांव घोषित किया गया है तािक किसान समूह के माध्यम से अपने उत्पादों का ब्रांड बना कर उपभोक्ताओं तक पहुंचा सके।
उन्होंने कहा कि जब एग्रो टेक जैसे मेलों में भी बड़ी-बड़ी कम्पनियों के मालिक स्वयं स्टाल लगाकर अपने उत्पाद बेच रहे हैं तो किसानों को बाजार में न बैठने की अपनी सामाजिक मानसिकता बदल कर बेचने की कला सीखनी ही होगी। यही समय की जरूरत भी है।
उन्होंने बताया कि हरियाणा में एग्रो बिजनस स्कूल खोलने का निर्णय लिया है ताकि सूचना प्रौद्योगिकी के बदलते परिदृश्य के अनुरूप किसान भी बाजार के कार्यचातुर्य सीख कर अपने उत्पादों को सीधे उपभोक्ताओं को बेच सकें।
इस दिशा में नाबार्ड, बैंकिंग व्यवस्था के साथ-साथ समाज के प्रबुद्ध लोगों को किसानों के सहयोग के लिए आगे आना होगा तभी हम प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने वर्ष 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने के लक्ष्य को हासिल कर सकते हैं।