- May 28, 2019
7वीं आर्थिक गणना का कार्य होगा कॉमन सर्विस सेंटरों के माध्यम से—-क्षेत्रीय प्रबंधक संदीप राणा
करनाल—– भारत सरकार के सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय की ओर से अगले महीने जून में 7वीं आर्थिक गणना का कार्य शुरू किया जा रहा है, शुरूआत किस तिथि से होगी, यह भी जल्द तय होगा। हरियाणा में इस कार्य का जिम्मा आर्थिक एवं सांख्यिकी विशलेषण विभाग को दिया गया है।
खास बात यह है कि इस बार की गणना मैन्युअल ना करके डिजीटल तरीके से की जाएगी और यह कार्य जिलो में चल रहे कॉमन सर्विस सेंटर के सुपरवाईज़रों की देखरेख में पढ़े-लिखे बेरोजगारों की टीम घर-घर जाकर सर्वे के द्वारा पूरा करेगी। इसे लेकर बीती 27 मई को राज्य स्तरीय प्रशिक्षण कार्यशाला शहर के पंचायत भवन में आयोजित की जा चुकी है, जिसमें सांख्यिकीय व योजना विभाग के प्रदेश व जिला स्तर के अधिकारियों के साथ-साथ कॉमन सर्विस सेंटरों के जिला प्रबंधक व जिला समन्वयक को आमंत्रित किया गया था।
कॉमन सर्विस सेंटर के क्षेत्रीय प्रबंधक संदीप राणा ने इस सम्बंध में जानकारी देते हुए बताया कि आर्थिक गणना का कार्य कैसे किया जाना है, इस बारे कार्यशाला में प्रशिक्षण दिया गया। बताया गया कि आर्थिक गणना का कार्य पहली बार कागजी तौर पर ना करके इसे डिजीटल तरीके से किया जाएगा, जिसमें समय की बचत होगी।
गणना करने वाली टीम में शामिल बेरोजगार युवाओं को रोजगार मिलेगा, जो घर-घर जाकर परिवारों का आर्थिक सर्वे करेंगे। उन्होंने बताया कि सर्वे में सामान्य बिन्दु रहेंगे, मसलन परिवार के मुखिया का नाम, कुल सदस्य, व्यवसाय तथा सभी स्त्रोतों से प्राप्त अनुमानित पारिवारिक आय इत्यादि। इसको करने की पूरी जिम्मेदारी कॉमन सर्विस सेंटर की रहेगी, जिसमें सांख्यिकीय एवं योजना अधिकारी सहयोग करेंगे।
जिले में वर्तमान में करीब 750 सीएससी सेंटर हैं, जबकि प्रदेश में इनकी संख्या 15 हजार के लगभग है।
उन्होंने बताया कि सर्वे टीम दिनभर परिवारों के पास जाकर आर्थिक गणना का डाटा एकत्र करेगी और सांय के समय उसे सीएससी के सुपरवाईजर को सौंपेगी।
सुपरवाईजर एकत्र किए गए डाटे को अपनी देखरेख में तैयार करके उसे जिला स्तर पर सांख्यिकी या प्लानिंग अधिकारी के कार्यालय में भेजेंगे, जहां से डाटा प्रदेश व भारत सरकार को जाएगा।
आर्थिक गणना के कार्य को समूचित रूप से सम्पन्न करने के लिए क्षेत्रीय प्रबंधक संदीप राणा ने जिला के सभी परिवारों से अपील की है कि वे एन्यूमरेटर्स अर्थात गणकों को सही-सही जानकारी दें, ताकि एक मुकम्मल सर्वे किया जा सके। क्योंकि उसी के आधार पर भारत सरकार लोगों के लिए नीतियां एवं कल्याणकारी योजनाएं बना सकेगी।