- May 28, 2019
शहीद को सम्मान-सरकारी स्कूल का नाम शहीद हवा सिंह लांबा राजकीय माध्यमिक विद्यालय
जिला मुख्यालय के अंतिम छोर पर बसे वीरों की देवभूमि कहे जाने वाले गांव धारौली की सामाजिक संस्था मां-मातृभूमि सेवा समिति द्वारा 10 अगस्त 2017 को हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल खट्टर, हरियाणा के राज्यपाल प्रो. कप्तान सिंह सोलंकी, माननीय जनरल श्री बिपिन रावत सेना प्रमुख,उपायुक्त रेवाड़ी, जिला शिक्षा अधिकारी झज्जर एवं झज्जर के उपायुक्त को पत्र लिखकर 1965 भारत-पाक युद्ध में देश के लिए सर्वोच्च बलिदान देने वाले गांव धारौली के शहीद जवान शहीद हवा सिंह लांबा के सम्मान में मार्ग और सरकारी स्कूल का नाम रखने की मांग की थी ।
मां-मातृभूमि सेवा समिति के अध्यक्ष युद्धवीर सिंह लांबा ने बताया कि भारतीय सेना की 4 ग्रेनेडियर में शहीद हवा सिंह लांबा सुपुत्र स्वर्गीय श्री श्योचन्द धारौली एक सिपाही (लांस नायक) थे जिनका सेना क्रमांक 2640752 था जिन्होंने 1965 के भारत-पाक युद्ध के दौरान अद्भुत वीरता का प्रदर्शन करते 6 सितंबर 1965 में दुश्मनों से लड़ते हुए देश पर अपने प्राण न्यौछावर कर दिये थे और शहीदों में अपना नाम अमर किया।
भारत की एकता और अखंडता पर प्राण न्यौछावर करने वाले भारत माँ के वीर सपूत शहीद हवा सिंह लांबा का नाम कोसली में शहीद यादगार स्मारक में संगमरमर पत्थर में भी लिखा हुआ हैं।
माननीय श्री वेद मलिक, जनरल, भारतीय थल सेना अध्यक्ष द्वारा 16 दिसंबर 1999 को 1965 भारत-पाक युद्ध में देश के लिए सर्वोच्च बलिदान देने वाले गांव धारौली के शहीद जवान “शहीद हवा सिंह लांबा” के सम्मान में प्रमाण पत्र जारी किया था ।
उपायुक्त महोदय झज्जर ने क्रमांक 1115 / विकास दिनांक 27 मई 2019 के माध्यम से 1965 भारत-पाक युद्ध में धारौली के इस वीर सपूत का नाम अमर बनाए रखने के लिए धारौली के सरकारी स्कूल का नाम बदल कर शहीद हवा सिंह लांबा राजकीय माध्यमिक विद्यालय रखने की स्वीकृति प्रदान की ।
21 ½ महीने बीतने के बाद धारौली के सरकारी स्कूल का नामकरण शहीद हवा सिंह लांबा के नाम पर होना, स्कूल और गांव के लिए यह गर्व की बात है। शहीदों का मान-सम्मान करना हर सरकार का कर्तव्य है।
शहीदों की शहादत के कारण ही आज हम सभी खुली हवा में सांस ले रहे हैं। शहीदों ने सीने पर गोली खाकर देश के लिए बलिदान दिया है।
शहीद वीरों को सच्चा सम्मान देने के लिए जरूरी है कि उनके नाम से सरकारी जगहों का नामकरण हो, ताकि आने वाली पीढि़यों में शहीदों के संस्कारों का समावेश हो, आने वाली पीढि़यों को शहीदों के शौर्य, पराक्रम, राष्ट्रभक्ति और बलिदान से प्रेरणा मिल सके ।
विद्यार्थियों में देशसेवा उत्पन्न करने के लिए व शहीदों के जीवन से रू-ब-रू कराने के लिए सरकारी स्कूलों के नाम शहीदों के नाम पर रखे जाएं ।
युद्धवीर सिंह लांबा ने बताया कि सीमाओं पर सैनिक जागते हैं तब हम चैन से अपने घर में सोते हैं, जिन शहीदों के त्याग के कारण आज हम सुरक्षित महसूस करते हैं, हम सभी का फर्ज बनता है कि हम उनकी शहादत का सम्मान करें।
शहीद हमारे राष्ट्र की धरोहर हैं। बच्चों में देश प्रेम और शहीदों के प्रति सम्मान प्रकट करने के लिए शहीदों के नाम से स्कूलों के नाम रखे जाएं।
संपर्क —
युद्धवीर सिंह लांबा
अध्यक्ष, मां मात्रभूमि सेवा समिति
वीपीओ– धरौली
मो०- 9466676211