• September 30, 2018

रेलवे की महत्ता कभी कम नहीं होगी:- मुख्यमंत्री

रेलवे की महत्ता कभी कम नहीं होगी:- मुख्यमंत्री

** रेलवे राष्ट्रीय एकता का प्रतीक है और देश को जोड़ता है
** रेलवे सेफ्टी फंड-रेलवे सेफ्टी बिल–
** रेलवे टिकट पर हमने सेस
** जब तक निचले स्तर के रेलकर्मियों की बात हम नहीं सुनेंगे और रेलकर्मियों को अवेयर नहीं करेंगे, तब तक रेल संरक्षा संभव नहीं है।
** रेलवे में निजीकरण असंभव है। हम इस मसले पर हमेशा आप सभी के साथ खड़े हैं।
** रक्षा मंत्रालय के बाद रेल मंत्रालय दूसरा सबसे बड़ा मंत्रालय है, जिसके पास सबसे अधिक सम्पत्ति है
************************************************************

पटना —-मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार ईस्ट सेंट्रल रेलवे कर्मचारी यूनियन के 17वें स्थापना दिवस समारोह एवं 7वें क्षेत्रीय रेलवे युवा सम्मेलन में शामिल हुए। चिरैयाटाड़ पुल के पास स्थित न्यू रेलवे कॉलोनी के सामुदायिक भवन में आयोजित समारोह में ईस्ट सेंट्रल रेलवे कर्मचारी यूनियन के प्रेसिडेंट श्री विश्वमोहन सिंह ने मुख्यमंत्री को अंगवस्त्र एवं स्मृति चिन्ह भेंटकर उनका अभिनंदन किया।

समारोह को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने आयोजकों को इस कार्यक्रम में आमंत्रित करने के लिए धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि जब हम रेल मंत्री थे, तब आॅल इंडिया मेंस फेडरेशन से हमारा भावनात्मक लगाव था। व्यक्तिगत रूप से हम सभी को जानते थे और रेलवे के विस्तार, उसकी कमियों एवं रेल कर्मियों से जुड़ी समस्याओं का समाधान करने के लिए लोगों से लगातार चर्चा भी किया करते थे।

उन्होंने कहा कि मेरे रेल मंत्री रहते एक दुर्घटना के कारण हमने इस्तीफा दे दिया था। हालांकि उस समय तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी ने मेरा इस्तीफा रिजेक्ट कर दिया था लेकिन हमारे आग्रह के बाद उन्होंने दुबारा मेरा इस्तीफा स्वीकार किया। उसके बाद हमें ट्रांसपोर्ट और एग्रीकल्चर विभाग की जिम्मेदारी मिली। कुछ समय बाद अटल जी ने कहा कि पटरियाॅ फिर मिलेंगी और दुबारा हमें रेल मंत्रालय की जिम्मेवारी दी गयी। उस समय हमने सबसे पहले रेलवे सेफ्टी को लेकर प्रधानमंत्री के स्तर पर मीटिंग कराई, जिसमें प्लानिंग कमीशन, रेल मंत्रालय, प्रधानमंत्री कार्यालय और वित्त मंत्रालय के अधिकारी शामिल हुये। मिटिंग में ये बातें सामने आयी कि रेलवे सेफ्टी फंड बनना चाहिए, इसके बाद हमने रेलवे ट्रैक रिप्लेस करने, सिग्नल सिस्टम ठीक करने, रेल डिब्बा बदलने को लेकर 17 हजार करोड़ रूपये का प्रस्ताव दिया और रेलवे टिकट पर हमने सेस लगाने की भी बात कही। हमने केन्द्र से 12 हजार करोड़ रुपये की माॅग की और 5 हजार करोड़ रुपये सेस के जरिये एकत्रित करने की योजना बनाई। तत्कालीन वित्त मंत्री श्री यशवंत सिन्हा ने रेलवे सेफ्टी फंड की घोषणा की और आज परिणाम सामने है। उस समय रेल संरक्षा के मद्देनजर हम माइक्रो डिटेल लेवल पर अनुश्रवण करते थे।

मुख्यमंत्री ने कहा कि उस समय ईस्टर्न सेंट्रल रेलवे के अंदर दानापुर, सोनपुर, समस्तीपुर और कटिहार जोन थे, जो तकरीबन घाटे में चल रहे थे। उसके बाद हमने धनबाद और मुगलसराय को ईस्टर्न जोन में जोड़ने को कहा और आज ईस्टर्न सेंट्रल रेलवे घाटे का नहीं मुनाफे का रेल है। उस समय हमने कहा था कि जब तक निचले स्तर के रेलकर्मियों की बात हम नहीं सुनेंगे और रेलकर्मियों को अवेयर नहीं करेंगे, तब तक रेल संरक्षा संभव नहीं है। रेल सेफ्टी के सन्दर्भ में सभी रेलवे फेडरेशन को साथ लेकर अलग-अलग जोन में जाकर मैंने संवाद कार्यक्रम करवाया, जिसमें रेलवे फेडरेशन और यूनियन से जुड़े सभी बड़े अधिकारी मौजूद थे। हमने रेल कर्मचारियों से कहा कि आप निर्भीक होकर अपनी समस्याएं रखें, इसके बाद रेलवे सेफ्टी बिल के साथ ही पूरी स्कीम तैयार की गयी। आज मुझे बेहद खुशी है कि रेलवे की स्थिति में काफी सुधार और बदलाव आया है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि भले ही सड़कों की स्थिति जितनी सुधर जाए, हवाई सेवाओं का विस्तार हो जाए लेकिन रेलवे की भूमिका कभी समाप्त नहीं होगी। उन्होंने कहा कि पहले

सड़क में गड्ढे थे या गड्ढे में सड़क, लोगों को पता ही नहीं चलता था लेकिन आज रुरल सड़कों की भी मेंटेनेंस पाॅलिसी बना दी गयी है। रेलवे यूनिटी का प्रतीक है, जो देश को जोड़ता है। ऐसे में परिवहन सेवाओं का चाहे जितना विस्तार हो जाए, रेलवे की महत्ता कभी कम नहीं होगी। रेलयात्रियों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। आवश्यकता के अनुरूप रेलयात्रियों एवं रेलकर्मियों की सुविधा का इंतजाम भी किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि रेलवे में निजीकरण असंभव है। हम इस मसले पर हमेशा आप सभी के साथ खड़े हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि रेलवे में एक उम्र के बाद पायलट या रेलवे सेफ्टी से जुड़े जो कर्मी हैं, उन्हें काम करने में कई प्रकार की दिक्कतें होने लगती हैं, इसके मद्देनजर हमने अपने रेल मंत्री के कार्यकाल में तय किया कि एक उम्र सीमा के अंदर अगर कोई कर्मी चाहे तो वह रिटायरमेंट ले सकता है और उनकी जगह उनके किसी परिजन को नौकरी दी जायेगी। उन्होंने कहा कि रेलकर्मियों को उत्साहित रखे बिना सुगमतापूर्वक रेल चलाना संभव नहीं है।

तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ0 ए0पी0जे0 अब्दुल कलाम ने हरनौत रेल कारखाने का शिलान्यास किया, जो अब बनकर तैयार है। ईस्ट सेंट्रल रेलवे 5 डिविजन वाला हो गया है, जिसको देखते हुए यहाँ मेंटेनेंस का काम होना चाहिए। उन्होंने कहा कि बड़ी संख्या में युवा रेल कर्मी हैं। आज के इस युवा सम्मलेन में युवाओं को प्रेरित करना चाहिए कि रेलवे में संरक्षा बहुत ही आवश्यक है। सुगमतापूर्वक रेल का संचालन और उसकी संरक्षा के संदर्भ में युवा कर्मियों को प्रेरित करिये। उन्होंने कहा कि जो भी सहयोग की आवश्यकता होगी, हम करते रहेंगे। रक्षा मंत्रालय के बाद रेल मंत्रालय दूसरा सबसे बड़ा मंत्रालय है, जिसके पास सबसे अधिक सम्पत्ति है। रेलकर्मियों की जो भी समस्याएं हैं, उसे देखना चाहिए ताकि उनका मनोबल ऊॅचा रहे। युवा रेलकर्मियों से आह्वान करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि आप सभी को यह हमेशा ध्यान में रखना चाहिए कि आप वैसे संगठन और संस्था से जुड़े हुए हैं जो राष्ट्रीय एकता का प्रतीक है और देश को जोड़ता है इसलिए रेल परिचालन सुगमतापूर्वक होना चाहिए।

समारोह को पूर्व मंत्री श्री नरेंद्र सिंह, आॅल इंडिया रेलवे मेंस फेडरेशन के जेनरल सेक्रेटरी श्री शिवगोपाल मिश्र, ईस्ट सेंट्रल रेलवे कर्मचारी यूनियन के प्रेसिडेंट श्री विश्वमोहन सिंह ने भी संबोधित किया।

इस अवसर पर ईस्ट सेंट्रल रेलवे कर्मचारी यूनियन के यूनियन के कार्यकारी अध्यक्ष श्री मुरारी सिंह, महामंत्री श्री एस0एन0पी0 श्रीवास्तव, यूनियन के एडिशनल सेक्रेटरी श्री पी0के0 पाण्डेय सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति, ईस्ट सेंट्रल रेलवे कर्मचारी यूनियन से जुड़े अन्य पदाधिकारी एवं कर्मचारी उपस्थित थे।

Related post

साड़ी: भारतीयता और परंपरा का विश्व प्रिय पोशाक 

साड़ी: भारतीयता और परंपरा का विश्व प्रिय पोशाक 

21 दिसंबर विश्व साड़ी दिवस सुरेश सिंह बैस “शाश्वत”- आज से करीब  पांच वर्ष पूर्व महाभारत काल में हस्तिनापुर…
पुस्तक समीक्षा :कमोवेश सभी कहानियां गोरखपुर की माटी की खुशबू में तर-बतर है

पुस्तक समीक्षा :कमोवेश सभी कहानियां गोरखपुर की माटी की खुशबू में तर-बतर है

उमेश कुमार सिंह——— गुरु गोरखनाथ जैसे महायोगी और महाकवि के नगर गोरखपुर के किस्से बहुत हैं। गुरु…
पुस्तक समीक्षा : जवानी जिन में गुजरी है,  वो गलियां याद आती हैं

पुस्तक समीक्षा : जवानी जिन में गुजरी है,  वो गलियां याद आती हैं

उमेश कुमार सिंह :  गुरुगोरखनाथ जैसे महायोगी और महाकवि के नगर गोरखपुर के किस्से बहुत हैं।…

Leave a Reply