- September 26, 2018
करीब 13,000 करोड़ रुपये का बकाया और चीनी उद्योग पैकेज 5,538 करोड़ रुपये
गन्ना किसानों का करीब 13,000 करोड़ रुपये का बकाया
**************************************************
नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने चीनी उद्योग के लिए 5,538 करोड़ रुपये के पैकेज को मंजूरी दी.
चीनी उद्योग के पैकेज की मंजूरी के बाद अब इसके तहत गन्ना किसानों को उत्पादन सहायता में दोगुना की वृद्धि की गई है जबकि विपणन वर्ष 2018-19 के लिए 50 लाख टन के निर्यात के लिए मिलों को परिवहन सब्सिडी शामिल है.
मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति (सीसीईए) की यहां हुई बैठक में इससे संबंधित खाद्य मंत्रालय के प्रस्ताव को मंजूरी दी. इसमें चीनी मिलों को गन्ना के बकाये के भुगतान में सहयोग के लिए देश में इस समय चीनी के बेशी भंडार की समस्या के समाधान का प्रस्ताव है.
मिलों पर गन्ना किसानों का इस समय करीब 13,000 करोड़ रुपये का बकाया है.
चीनी उद्योग को संकट से उबारने के लिए यह दूसरा सरकारी वित्तीय पैकेज है. इससे पहले जून में सरकार ने 8,500 करोड़ रुपये के पैकेज की घोषणा की थी.
कैबिनेट के अहम फैसले:
1. पटना एयरपोर्ट पर नया टर्मिनल के प्रस्ताव को केंद्र ने दी मंजूरी. 1216 करोड़ का होगा यह टर्मिनल.
2. खाद्य विभाग की शर्तों का पालन करने वाले शुगर मिलों को सहायता प्रदान की जाएगी.
3. मेडिकल काउंसिल ऐक्ट में संशोधन के लिए कैबिनेट ने ऑर्डिनेंस को मंजूरी दी है: अरुण जेटली, वित्त मंत्री
कैबिनेट ने नई टेलीकॉम नीति को हरी झंडी .
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने को नयी दूरसंचार नीति को मंजूरी दे दी. इस नयी नीति को राष्ट्रीय डिजिटल संचार नीति (एनडीसीपी), 2018 का नाम दिया गया है. इसके तहत 2022 तक क्षेत्र में 100 अरब डॉलर का निवेश आकर्षित करने और 40 लाख रोजगार के अवसरों के सृजन का लक्ष्य है.
नीति के मसौदे के तहत एनडीसीपी द्रुत गति की ब्रॉडबैंड पहुंच बढ़ाने, 5 जी और आप्टिकल फाइबर जैसी आधुनिक प्रौद्योगिकी के उचित मूल्य में इस्तेमाल पर केंद्रित है.
मसौदे में कर्ज के बोझ से दबे दूरसंचार क्षेत्र में नयी जान फूंकने के लिए स्पेक्ट्रम शुल्क आदि को तर्कसंगत बनाने का प्रस्ताव किया गया है.
प्रस्तावित नयी दूरसंचार नीति में सभी को 50 मेगाबिट प्रति सेकेंड की गति वाले ब्रॉडबैंड की पहुंच उपलब्ध कराने, 5 जी सेवाओं तथा 2022 तक 40 लाख नए रोजगार के अवसरों के सृजन का प्रावधान है. इसमें डिजिटल संचार तक सतत और कम मूल्य में पहुंच सुनिश्चित करने के लिए ‘स्पेक्ट्रम के महत्तम मूल्य’ के प्रावधान को शामिल किया गया है.
स्पेक्ट्रम का ऊंचा मूल्य तथा अन्य संबंधित शुल्क दूरसंचार सेवा क्षेत्र की प्रमुख चिंता है. इस क्षेत्र पर करीब 7.8 लाख करोड़ रुपये के कर्ज का बोझ है.