312 वर्ष पुराने न्यूटन के तीसरे नियम ” अजय शर्मा ” का संशोधन सही

312 वर्ष पुराने न्यूटन के तीसरे नियम ” अजय शर्मा ” का  संशोधन सही

312 वर्ष पुराने न्यूटन के तीसरे नियम में भारतीय द्वारा सुझाया गया संशोधन सही , कुछ प्रयोगों की जरुरत ।

अमेरिकन एसोसिएसन आॅफ फिजिक्स टीचर्ज के प्रेज़िडैट प्रोफैसर गौरड्न पी. रामसे ने रिपोर्ट में इस सच्चाई की पुष्टि की. अपनी 22 अगस्त की रिपोर्ट में कहा कि अजय कें प्रयोगों से न्यूटन का नियम गलत सिध हो सकता है.

अजय 105वी इंडियन साइस काग्रेस 2018 ( मार्च 16-20) में इस शोध को प्रस्तुत कर चुके है। उनका शोध प्रोसीडिग्ज में छपा भी है।

देश विदेश में अजय के शोध को मिल रही है वैज्ञानिक मान्यता.

इस तरह अब कुछ प्रोयोगो की ज़रुरत है. इन पर लगभग 10-12 लाख रुपया खर्च आयेगा. जबकि भारत के गगनयान का खर्च दस हजार करोड रुपये है. ये प्रयोग 3-4 महीनो में हो सकते हैं.

शिमला के शोधकर्ता एंव डिप्टी डिस्ट्रिक्ट एजुकेशन आफिसर अजय शर्मा ने जुलाई 1 अगस्त 2018 में अमेरिकन एसोसिएशन आॅफ फिजिक्स टीचर्ज की कान्फरैस में वाशिगटन में शोधपत्र प्रस्तुत किया। इस शोधपत्र में न्यूटन के तीसरे नियम में खामियां दर्शाने वाले प्रयोगों की रूप रेखा प्रस्तुत की और विज्ञान के आधार भूत नियम में संशोधन सुझाया।

चर्चा के दौरान एक अमेरिकी वैज्ञानिक ने यहां तक कहा कि अगर आप प्रयोगों द्वारा न्यूटन की खामी को सिद्ध कर देते हैं तो यह भारत नोबेल प्राईज का हकदार होगा। अमेरिकन ऐसोसिएशन के प्रैंजीडैट प्रोफैसर गौर्डन ने 22 अगस्त की रिपोर्ट में लिखा कि अजय द्वारा सुझाए गए प्रयोगों में न्यूटन का तीसरा नियम गलत साबित हो सकता है।

अजय ने दसवीं तक शिक्षा हिमाचल के हमीरपूर जिले के गांव चकमोह के सरकारी स्कूल से हासिल की। वे पिछले 35 वर्षो से आइंस्टीन, न्यूटन और आर्किमिडीज के नियमों में अन्र्तराष्ट्रीय जनरलज और शोधपात्रिकाओ में संशोधन कर चुके है। उनकी दो पुस्तके ’ बियोड न्यूटन एंड आर्किमिडीज (पृ0 325) और ’ बियोड आइंस्टीन एंड ई त्र एम सीट ’ (पृ0 545) केम्ब्रिज से प्रकाशित हो चुकी है।

लगभग सवा तीन साल पहले माननीय साइंस एंड टैक्नोलीजी मंत्री डा0 हर्ष वर्धन ने इन्हें मूल्याकन हेतु भेजा। अभी तक विज्ञान एंव टैक्नोलोजी विभाग से अजय को कोई रपट नहीं मिली है।

न्यूटन के तीसरे नियम के अनुसार क्रिया और प्रतिक्रिया बराबर होती है। न्यूटन ने नियम 1686 में प्रिन्सिपिया नामक पुस्तक में दिया था . जबकि अजय को संशोधित नियम के अनुसार क्रिया प्रतिक्रिया से कम बराबर या ज्यादा भी हो सकती है। न्यूटन ने नियम 1686 में प्रिन्सिपिया नामक पुस्तक में, पृष्ट 20 पर दिया था .

शर्मा के अनुसार न्यूटन के नियम को मुख्य खामी यह है कि यह वस्तु के आकार और संरचना की अनदेखी करता है। अगर हम 100 ग्राम भार की रबड़ की गोल गेंद को 1 मीटर ऊचाई से फर्श पर गिराते है। तो गेंद टकरा कर 1 मीटर ऊचाई तक वापिस आ जाती है।

इस तरह क्रिया और प्रतिक्रिया बराबर हुए और न्यूटन का नियम सही है।

अब 100 ग्राम भार की रबड़ की वस्तुओं का आकार गोलाकार, छतरीनुमा, अनियमित आकार फलैट या स्पाट भी हो सकता है। अगर इन वस्तुओं को 1 मीटर ऊचाई से गिराये ंतो ये 1 मीटर तक वापिस नही उठती है। इस तरह प्रतिक्रिया, क्रिया से कम हुई। इसका कारण यह हैं कि न्यूटन का तीसरा वस्तु के आकार की अनदेखी करता है। जबकि अजय का नियम वस्तु के आकार की व्याख्या करता है।

हैरानी की बात है कि अजय वैज्ञानिक चांद, मंगल, सूरज तक जाने की बात करते हैं। पर नवीं दसवी कक्षा के ये साधारण से प्रयोग अभी तक किये ही नही गए है। अजय विज्ञान जगत का ध्यान इसी तरफ खीच रहे है।

अंतरराष्ट्रीय शोधपत्रिका ’ फाऊडेशन आफ फिजिक्स’’ के चीफ एडिटर फ्रांसीसी वैग्यानिक प्रोफैसर कारलोस रोबैली ने 10 जून की रिपोर्ट में अजय के काम को उपयोगी बताया है। अजय अपने शोधपत्र को 105 वी इंडियन साइंस काग्रेंस 2018, में भी प्रस्तुत कर चुके है। उनका पेपर फिजिकल साइसिस की प्रोसीडिग्ज में पृष्ठ 153-154 पर छपा है।

इस तरह अब कुछ प्रोयोगो की ज़रुरत है. इन पर लगभग 10-12 लाख रुपया खरच आयेगा. भारत के गगन् यान क खर्च दस हजार करोड रुप्ये है. पेशे से शिक्षक अजय शर्मा सरकार से आग्रह कर रहे है कि वे उन्हें प्रयोगों की सुविधाएं दे। इससे वे शोध को अन्तिम रूप से दर्शा सकेगे। यह भारतीय विज्ञान के लिये महान उपलब्धि होगी

अजय शर्मा
मो०– 941845o899
ईमेल- ajoy.plus@gmail.com

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