• July 10, 2018

भौतिक सम्पदा अधिकार और बौद्धिक सम्पदा के संरक्षण का वचन–श्री सुधीर चौधरी,(एडीजीपी) प्रशासन

भौतिक सम्पदा अधिकार और बौद्धिक सम्पदा के संरक्षण का वचन–श्री सुधीर चौधरी,(एडीजीपी) प्रशासन

चंडीगढ़—–हरियाणा के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (एडीजीपी) प्रशासन, श्री सुधीर चौधरी ने कहा कि सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में हासिल की गई प्रगति में अनेक बुद्धिजीवियों का योगदान है और इस बौद्धिक सम्पदा का संरक्षण करना समाज के लिए किया जाना अनिवार्य है।

श्री सुधीर चौधरी हरियाणा पुलिस अकादमी, मधुबन में ‘बौद्धिक सम्पदा अधिकार संरक्षण’ विषय पर आयोजित तीन दिवसीय क्षेत्रीय प्रशिक्षण कार्यक्रम के शुभारंभ अवसर पर उपस्थित प्रतिभागियों को सम्बोधित कर रहे थे। इस कार्यक्रम का आयोजन राष्ट्रीय पुलिस अकादमी हैदराबाद के सहयोग से हरियाणा पुलिस अकादमी द्वारा किया गया है, जिसमें जम्मू-कश्मीर, पंजाब, हिमाचल, उत्तराखंड, चंडीगढ़, दिल्ली व हरियाणा के 30 पुलिस अधिकारी भाग ले रहे हैं। यह कार्यक्रम 11 जुलाई तक चलेगा।

उन्होंने कहा कि सूचना प्रौद्योगिकी में हुए विकास से अब विश्व एक गांव के रूप में नजदीक आ गया है और हम घर बैठे दूर देश मे उपलब्ध नए शोध एवं तकनीक के बारे में जानकारी हासिल कर सकते हैं। वर्तमान परिवेश में तकनीकी द्वारा समाज को अनेक लाभ प्रदान किये जा रहे हैं।

श्री चौधरी ने अपने संबोधन में कहा कि समाज को वर्तमान उन्नत तकनीक के दौर में लाने के लिए अनेक बुद्धिमान व्यक्तियों ने अपनी बुद्धि का प्रबल योगदान दिया है। यदि उनके कार्यों को संरक्षित नहीं किया गया तो नये-नये आविष्कार नहीं होंगे और मानव सभ्यता के विकास की गति धीमी पड़ जाएगी। भारत में व्यापार सम्बंधी भौतिक सम्पदा अधिकार समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं और बौद्धिक सम्पदा के संरक्षण का वचन दिया है।

यदि किसी लेखक की रचना को कॉपीराइट, किसी इंजीनियर के डिजाईन या किसी आविष्कारक के पेटेंट की रक्षा नहीं की जाती है तो इससे इन व्यक्तियों के हितों पर दूरदर्शी और नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। ये व्यक्ति अपने जीवन का बहुत सारा समय नई खोज, नई रचना करने, तकनीक का विकास करने में लगाते हैं। अपनी बौद्धिक क्षमता से जो नई चीजें ये बनाते है इन पर ही इनकी आजीविका निर्भर रहती है।

उन्होंने कहा कि आज देश की शोहरत बौद्धिक संपदा अधिकारों के संरक्षण के साथ जुड़ी है। कानून लागू करने वाली एजेंसी के रूप में हमें यह एहसास करते रहना चाहिए कि बौद्धिक संपदा अधिकार के संरक्षण के लिए कार्य करते हुए हम राष्ट्र सम्मान को बढ़ाने के लिए बड़ी जिम्मेदारी निभा रहे हैं। उन्होंने कहा कि हमारे यहां भी शोध होते है पर हम प्राय: किसी किसान, मजदूर या सामान्य व्यक्ति द्वारा किए गए नए कार्य को प्रोत्साहित नहीं करते। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि इस प्रशिक्षण कार्यक्रम के जरिए प्रतिभागी बौद्धिक अधिकारों का संरक्षण हेतु अपने भूमिका निभाने में कामयाब रहेंगे।

राष्ट्रीय पुलिस अकादमी के सहायक निदेशक श्री भूषण गुलाब राव बोरसे ने प्रशिक्षण कार्यक्रम के उद्देश्य से अवगत कराते हुए कहा कि इस कार्यक्रम में इस विषय के प्रशिक्षक तैयार किए जाएगें जो आगे चलकर बौद्धिक संपदा अधिकार के बारे में अपने-अपने राज्य में पुलिसकर्मियों को प्रशिक्षण देेंगे। राष्ट्रीय पुलिस अकादमी ने देश में मानव तस्करी, गुमशुदा बच्चे, जेंडर सेंसीटाईजेशन, बातचीत कौशल व बौद्धिक संपदा अधिकार विषय को लेकर अलग-अलग पुलिस अकादमियों में प्रशिक्षण कार्यक्रम आरंभ किए हैं।

हरियाणा पुलिस अकादमी को बौद्धिक संपदा अधिकार विषय पर प्रशिक्षण के लिए चुना गया है, जिसके तहत यह प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है। इसके साथ अन्य विषयों को लेकर पश्चिमी बंगाल, तेलगाना, महाराष्ट्र व मध्यप्रदेश की पुलिस अकादमियों में प्रशिक्षण कार्यक्रम आरंभ किए गए हैं।

अकादमी के जिला न्यायवादी श्री शशीकांत शर्मा ने कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत करते हुए मुख्य अतिथि तथा प्रतिभागियों का स्वागत किया। अकादमी के पुलिस अधीक्षक श्री सुमेर प्रताप सिंह ने अकादमी की ओर से मुख्य अतिथि, विशिष्ट अतिथि तथा प्रतिभागियों का आभार व्यक्त किया।

उन्होंने कार्यक्रम के आयोजन के लिए नेशनल पुलिस अकादमी के निदेशक, हरियाणा के पुलिस महानिदेशक तथा हरियाणा पुलिस अकादमी के निदेशक का भी आभार व्यक्त किया। इस अवसर पर कार्यक्रम के सहसंयोजक डीएसपी श्री विवेक चैधरी, सहायक जिला न्यायवादी श्री अजय कुमार, श्री रामपाल व अकादमी प्रशिक्षक भी उपस्थित रहे।
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