कोलकाता — भारत का पहला अंतर्राष्ट्रीय संग्रहालय

कोलकाता —  भारत का पहला  अंतर्राष्ट्रीय संग्रहालय

भोपाल -(अरूण राठौर/आशीष शर्मा)——-अन्तर्राष्ट्रीय संग्रहालय दिवस पर राज्य संग्रहालय में विश्व के प्रमुख संग्रहालय छायाचित्र प्रदर्शनी का आयोजन किया गया।

प्रदर्शनी में संसार के प्रसिद्ध संग्रहालय एवं उनके पुरावशेषों का प्रदर्शन किया गया है।

आयुक्त पुरातत्व श्री अनुपम राजन ने बताया कि अन्तर्राष्ट्रीय संग्रहालय दिवस वर्ष 1977 से इन्टरनेशनल कांउसिल ऑफ म्यूजियम के तत्वावधान में विश्व के सभी संग्रहालयों में मनाया जा रहा है। इसका उद्देश्य हमारी विरासत की सुरक्षा के प्रति जन-सामान्य को जागरूक बनाना तथा अधिक से अधिक लोगों को संग्रहालय की गतिविधियों से जोड़ना है।

उन्होंने कहा कि संग्रहालय शिक्षा का प्रमुख केन्द्र होते हैं, जो हमारे गौरवशाली इतिहास, विरासत एवं संस्कृति की जानकारी देते हैं।

राज्य संग्रहालय, भोपाल में आयोजित इस प्रदर्शनी में विश्व के महत्वपूर्ण संग्रहालयों की पुरा-सामग्री के छायाचित्र प्रदर्शित किये गये हैं।

विदेशी संग्रहालयों के छायाचित्रों के साथ-साथ देश के महत्वपूर्ण संग्रहालय जैसे इण्डियन म्यूजियम कोलकाता, प्रिंस ऑफ वेल्स म्यूजियम मुम्बई, नेशनल म्यूजियम दिल्ली, इंदिरा गाँधी मानव संग्रहालय भोपाल, सप्रे संग्रहालय भोपाल एवं राज्य संग्रहालय भोपाल के छायाचित्र प्रमुख आकर्षण का केन्द्र हैं।

आयुक्त पुरातत्व ने बताया कि 17वीं-18वीं शताब्दी में यूरोप के कई देशों में संग्रहालय स्थापित किये जा रहे थे। उसी दौरान भारत में भी विरासत की सुरक्षा को देखते हुए ईस्वी सन 1773 में सर विलियम जोन्स ने रॉयल एशियाटिक सोसायटी की कोलकाता में स्थापना की। सोसायटी ने वर्ष 1814 में भारत का प्रथम संग्रहालय स्थापित किया, जिसे आज भारतीय संग्रहालय कोलकाता कहा जाता है।

उन्होंने बताया कि भारत में 19वीं शताब्दी, संग्रहालय आन्दोलन का महत्वपूर्ण समय था, जब न केवल ब्रिटिश शासकों ने अपितु देशी रियासतों द्वारा भी पुरातत्व विभाग की स्थापना कर संग्रहालय स्थापित किया गया।

मध्य भारत में 1876 में रायपुर संग्रहालय स्थापित किया गया। उसी समय धार की भोज शाला में सरस्वती की प्रतिमा प्राप्त हुई और धार रियासत द्वारा 1902 में संग्रहालय को स्थापित किया गया।

प्रदेश के प्राचीन संग्रहालयों में धार (ईस्वी सन 1902), एडवर्ड म्यूजियम भोपाल (ई.स. 1909) गूजरी महल ग्वालियर संग्रहालय (ई.स. 1932) आदि महत्वपूर्ण हैं जो स्वतंत्रता के पूर्व स्थापित किये गये थे। स्वतंत्रता के पश्चात विन्ध्य प्रदेश द्वारा धुबेला में ई.स. 1955 में संग्रहालय स्थापित किया गया।

मध्यप्रदेश में संग्रहालयों की स्थापना निरंतर चलती रही, जिसके परिणाम स्वरूप वर्तमान में 34 संग्रहालय मध्यप्रदेश पुरातत्व विभाग के अधीन संचालित हैं।

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