विद्युत मंत्रालय– ग्रामीण विद्युतीकरण की परिभाषा पर आधारित बहस अपना महत्व खो चुकी है

विद्युत मंत्रालय– ग्रामीण विद्युतीकरण की परिभाषा पर आधारित बहस अपना महत्व खो चुकी है

दिल्ली — विद्युतीकृत गांव की परिभाषा एक विरासत का मुद्दा है। परिभाषा के तहत 10 प्रतिशत विद्युतीकृत परिवारों वाले गांव को विद्युतीकृत गांव कहा जाता है और इसका अर्थ घरेलू विद्युतीकरण के अंतर्गत केवल 10 प्रतिशत परिवारों को विद्युतीकृत करने तक सीमित नहीं है।
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राज्यों से प्राप्त रिपोर्टों के आधार पर ग्रामीण क्षेत्रों में घरेलू विद्युतीकरण स्तर 82 प्रतिशत से अधिक है। यह 47 प्रतिशत से लेकर 100 प्रतिशत तक है।

यदि परिभाषा ही कारण होती तो घरेलू विद्युतीकरण के इस स्तर को प्राप्त नहीं किया जा सकता था।

देश के विभिन्न राज्यों व क्षेत्रों में विद्युतीकरण स्तर का यह अंतर प्राथमिक रूप से आकार, भौगोलिक विषमता, अवस्थिति, संसाधन आदि कारकों पर आधारित है और इन कारणों में राज्यों द्वारा ग्रामीण विद्युतीकरण के लिए किए गए प्रयास भी शामिल हैं।

सरकार इस विरोधाभास से बाहर आ चुकी है और सरकार ने 31 दिसंबर, 2018 तक सार्वभौमिक घरेलू विद्युतीकरण के लक्ष्य की प्राप्ति के लिए “प्रधानमंत्री सहज बिजली हर घर योजना- सौभाग्य” योजना का शुभारंभ किया है। इसलिए वर्तमान परिदृश्य में ग्रामीण विद्युतीकरण की परिभाषा पर आधारित बहस अपना महत्व खो चुकी है।

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