- January 10, 2018
बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ : 2017 में लिंगानुपात में 95 अंकों की उछाल
झज्जर(जनसंपर्क विभाग)—— लिंगानुपात के लिए कभी देश भर में चर्चित झज्जर जिला से वर्ष 2018 की शुरुआत में अच्छी खबर है। बीते वर्ष 2017 में झज्जर जिला के भीतर जन्म लेने वाले बच्चों में प्रति हजार लड़कों पर 920 लड़कियों ने जन्म लिया है।
लिंगानुपात की यह दर 2010 से लेकर अब तक एक वर्ष के दौरान सर्वाधिक रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान के उपरांत झज्जर जिला में लिंगानुपात में 95 अंकों का उछाल आया है।
उपायुक्त सोनल ने इस उपलब्धि के लिए झज्जर जिला के लोगों को बधाई दी है। बता दे कि बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ कार्यक्रम के तहत झज्जर जिला में उपायुक्त के नेतृत्व में जिला प्रशासन विशेषकर महिला एवं बाल विकास विभाग, स्वास्थ्य विभाग, विकास एवं पंचायत विभाग आदि संयुक्त प्रयास में वर्ष 2017 के दौरान तेजी रही।
उपायुक्त की पहल पर महिला एवं बाल विकास विभाग ने आपकी बेटी-हमारी बेटियां अभियान तथा स्वास्थ्य विभाग की ओर से पीएनडीटी टास्क फोर्स साल भर एक्टिव रही। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से सटा होने के कारण झज्जर जिला में लिंगानुपात में सुधार के लिए वर्ष भर संवेदनशील प्रयास हुए।
मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल के अतिरिक्त प्रधान सचिव डा. राकेश गुप्ता ने वीडियो कांफ्रेंस के जरिए लिंगानुपात में सुधार के लिए जिला के प्रयासों की निरंतर निगरानी रखी।
उपायुक्त सोनल गोयल ने बताया कि झज्जर जिला में लिंगानुपात में सुधार के लिए हुए प्रयासों की नोबल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी ने भी प्रशंसा की थी। वहीं लाडपुर गांव में भारत सरकार के महिला एवं बाल विकास मंत्रालय में संयुक्त सचिव के मोसेस चलाई भी इन सुधारों को लेकर प्रभावित थे। उन्होंने बताया कि लिंगानुपात को लेकर सामुदायिक एकजुटता, गर्भवती महिलाओं का नगरीय व ग्रामीण इलाकों में घर-घर जाकर पंजीकरण करना तथा कम लिंगानुपात वाले गांवों में जाकर लोगों को जागरूक करने से बदलाव नजर आया है।
ऐसे आया बदलावडिप्टी सिविल सर्जन डा राकेश गुप्ता ने जानकारी देते हुए बताया कि बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ कार्यक्रम के आरंभ होने के उपरांत जिला में पीसी-पीएनडीटी एक्ट व एमटीपी के लिंग जांच करने वालों की धरपकड़ के लिए 30 रेड की गई है। एएनएम, आशा व आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं ने बड़ी भूमिका निभाई।
महिला एवं बाल विकास विभाग की जिला कार्यक्रम अधिकारी सुनैना ने बताया कि लोगों को जागरूक करने के लिए नुक्कड़ नाटर, बाजार, पौधरोपण, बेटियों के जन्म पर कुआं पूजन, बेटियों को जन्म देने वाली माताओं को सम्मानित करना, घर पर नेम प्लेट आदि प्रयास वर्ष भर जारी रहे। पंचायती राज संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने भी इस अभियान में बढ़-चढ़ कर भागीदारी की। जिसका नतीजा यह हुआ कि 2017 का लिंगानुपात बड़े सामाजिक बदलाव की ओर संकेत कर रहा है।
लिंगानुपात की स्थिति
वर्ष—————–लिंगानुपात
2017—————— 920
2016—————— 885
2015—————— 849
2014—————— 825
2013—————— 755
2012—————— 779
2011—————— 815
2010—————— 802
(आंकड़े स्वास्थ्य विभाग की ओर से जारी है)
सांझी मदद :– समाज के लिए कुछ बेहतर करने की सोच, सामाजिक सद्भाव के लिए दान करने वालों को प्रोत्साहन तथा जरूरतमंदों की मदद के लिए आगे आने की परिकल्पना को साकार करने में उपायुक्त सोनल गोयल की पहल पर सांझी मदद कार्यक्रम आरंभ होगा। उपायुक्त गुरुवार को
निस्वार्थ पहल के तहत बाल भवन में बनाए गए विशेष केंद्र का शुभारंभ करेगी। इस केंद्र पर जिला का कोई भी निवासी जरूरतमंदों के लिए पुराने कपड़े, जूते, किताबे, खिलौने व खेल सामग्री का दान कर सकता है।
उपायुक्त ने बताया कि वॉल ऑफ काइंडनेस या नेकी की दीवार का प्रयोग भारत सहित दुनिया के अलग-अलग देशों में मानवीय मूल्यों की परंपरा को आगे बढ़ाने में बेहद लोकप्रिय साबित हुआ है।
नेपाल का भूकंप हो या उत्तराखण्ड की त्रासदी, बिहार में आई बाढ़ आदि घटनाओं के उपरांत जरूरतमंदों की मदद करने में झज्जर जिला के लोगों ने बढ़-चढ़ कर अपना योगदान दिया है।
समाज में सभी भौतिक रूप से हर व्यक्ति समान नहीं है किसी के पास अधिक संसाधन है किसी को जीवन में मौलिक जरूरतें भी उपलब्ध नहीं हो पाती। इसलिए झज्जर जिला में करूणा का भाव केवल हादसों के उपरांत जनमानस के पुनर्वास में नहीं बल्कि जीवन में स्थाई तौर पर स्थापित करने के लिए जिला प्रशासन, झज्जर सांझी मदद का प्रयास कर रहा है।
उपायुक्त सोनल गोयल ने चैरिटी बिगेन्स एट हॉम पर आगे बढ़ते हुए जिलावासियों से उम्मीद करते हुए कहा कि जीवन के उतार-चढ़ाव के संघर्षों में हमारे साथ अस्तित्व करने वाले जरूरतमंद अभावग्रस्त लोगों के प्रति योगदान की भावना निरंतर आगे बढ़ती रहे। जीवन में कुछ बेहतर करने की सोच, आशा-उत्साह-उमंग में हर जिलावासी अपना योगदान दें।
सांझी मदद कार्यक्रम की नोडल अधिकारी एवं जिला परिषद की सीईओ शिखा ने जानकारी देते हुए बताया कि झज्जर जिला में में कोई भी व्यक्ति या सामाजिक संस्था इस्तेमाल में आ सकने वाले अपने पुराने कपड़े, जूते, खिलौने, किताबें व खेल का सामान का योगदान कर सकता है।
आपके पुराने कपड़े व जूते किसी जरूरतमंद को ठंड से बचाने में काम आएंगे, पुरानी किताब अभाव से जूझते किसी बालक के चेहरे पर शिक्षा के दीप का तेज लाएंगी, घर में रखे पुराने खिलौने बचपन की मुस्कान को आगे बढ़ाएंगे तथा व्यक्तित्व के सर्वांगीण विकास का अभिन्न अंग खेल जरूरतमंदों को जीवन में आगे बढऩे की प्रेरणा देगा।
जिला प्रशासन के प्रयास सांझी मदद में बाल भवन, झज्जर आकर योगदान किया जा सकता है।