- December 18, 2017
महिला सशक्तिकरण — से ही नए भारत का निर्माण–उप राष्ट्रपति
भोपाल :——- उप राष्ट्रपति श्री एम. वेकैंया नायडू ने कहा है कि महिला सशक्तिकरण से ही नए भारत का निर्माण होगा। उन्होंने कहा कि संसद और विधान सभाओं में महिलाओं को आरक्षण देने के कानून का सभी राज्यों को समर्थन करना चाहिये। उन्होंने कहा कि महिला सशक्तिकरण के लिए कानून के साथ इसे लागू करने की संकल्प शक्ति भी जरूरी है। श्री नायडू आज यहां स्थानीय जम्बूरी मैदान पर महिला स्व-सहायता समूहों के राज्य-स्तरीय प्रशिक्षण सह सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे।
श्री नायडू ने सम्मेलन के आयोजन को ऐतिहासिक, अद्भुत और अपूर्व बताते हुए महिला स्व-सहायता समूहों को प्रोत्साहन देने के लिए मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान की भूरी-भूरी प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि यह सुंदरतम् सम्मेलन है। सुंदर मुख्यमंत्री हैं और महिला सशक्तिकरण के लिये एक सशक्त संकल्प लिया गया है। उन्होंने महिला स्व-सहायता समूहों से 23 लाख परिवारों को जोड़ने की पहल के लिये भी प्रदेश सरकार को बधाई दी।
श्री नायडू ने कहा कि नारी अब अबला नहीं सबला है और बेटियां अब बोझ नहीं वरदान हैं। वे पूरी क्षमता से विभिन्न क्षेत्रों में अपनी जिम्मेदारी निभा रही हैं। देश की रक्षा मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण हैं। विदेश मंत्री श्रीमती सुषमा स्वराज हैं और श्रीमती सुमित्रा महाजन संसद में स्पीकर हैं। उन्होंने कहा कि आज़ादी की लड़ाई में भी महिलाओं ने अप्रतिम योगदान दिया है।
उप राष्ट्रपति ने कहा कि समाज मे महिला सशक्तिकरण के माध्यम से परिवर्तन की लहर आई है। समाज का नज़रिया बदलने की जरूरत है। मध्यप्रदेश ने महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में इतिहास बनाया है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री श्री चौहान द्वारा महिलाओं के स्व-सहायता समूहों को बैंक लोन उपलब्ध कराने की पहल सराहनीय है।
श्री नायडू ने कहा कि भारत में महिलाओं को सम्मान दिया जाता है। इसलिये इस धरती को भारत माता कहा गया है। उन्होंने कहा कि सरकारी नौकरियों में महिलाओं को आरक्षण देने और स्थानीय निकायों में 50 प्रतिशत आरक्षण देने से समाज में बड़ा परिवर्तन आयेगा।
उन्होंने कहा कि यदि महिलाओं को आगे बढ़ने के अवसर दें तो वे समाज में बड़ा परिवर्तन ला सकती हैं और अपने अधिकारों की रक्षा स्वयं कर सकती हैं। उन्होंने कहा कि परिवार में यदि महिलाएं आगे बढ़ें तो पूरे परिवार में समृद्धि लाती हैं।
उप राष्ट्रपति ने कहा कि स्व-सहायता समूह आंदोलन दक्षिण भारत में ही सीमित था। अब इस आन्दोलन ने मध्यप्रदेश में भी तेज गति पकड़ ली है। उन्होंने बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ आंदोलन को भी आगे बढ़ाने की जरुरत बताते हुए कहा कि प्रत्येक व्यक्ति पास के कुछ न कुछ प्रतिभा है। इसलिये प्रतिभाओं का पूरा उपयोग किया जाना चाहिए।
पर्याप्त प्रशिक्षण देकर आगे बढने के अवसर उपलब्ध कराये जाना चाहिए। उन्होंने इस दिशा में मुख्यमंत्री श्री चौहान द्वारा किये जा रहे प्रयासों की सराहना की। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने मूल मंत्र रिफार्म, फरफार्म और ट्रान्सफार्म को अमल में लाने पर बल दिया है।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने की घोषणाएं
मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि महिलाओं के स्व-सहायता समूह के फेडरेशन को टेक होम राशन निर्माण की फैक्ट्री चलाने की जिम्मेदारी दी जायेगी। उनके उत्पादों की बिक्री के लिये बड़े शहरों में बाजार स्थापित किये जायेंगे। शहरों में स्थित मॉल में किराये से दुकानें लेकर इनके उत्पादों का प्रदर्शन और बिक्री की जायेगी।
महिला स्व-सहायता समूहों के फेडरेशन को मिलने वाले पांच करोड़ रुपये तक के लोन की बैंक गारंटी सरकार लेगी। उन्होंने कहा कि राज्य आजीविका मिशन के अंतर्गत गठित और अन्य स्व-सहायता समूह द्वारा लिये गये ऋण पर देय ब्याज का तीन प्रतिशत ब्याज सरकार चुकायेगी। उन्हें स्टाम्प शुल्क नहीं लगेगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि नये मध्यप्रदेश और नये भारत के निर्माण में आर्थिक रूप से सशक्त महिलायें मुख्य भूमिका निभायेंगी। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश में महिलाओं के स्व-सहायता समूह के माध्यम से नारी शक्ति की नई चेतना का उदय हुआ है। ग्रामीण मध्यप्रदेश में महिलायें नेतृत्व संभाल रही हैं। उन्होंने कहा कि महिलाओं को पूरा सम्मान और आदर मिलना चाहिए।
उन्होंने महिलाओं के सम्मान में मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना और लाड़ली लक्ष्मी योजना की पृष्ठभूमि की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि महिलाओं को अवसर देने के कारण आज वे स्थानीय शासन को सक्षमता के साथ चला रही हैं। सरकारी नौकरियों में भी महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण दिया जा रहा है।
शिक्षकों की भर्ती में उन्हें 50 प्रतिशत आरक्षण दिया गया है। उन्होंने महिला बाल विकास और पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग को महिला स्व-सहायता समूहों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के प्रयास करने के लिये बधाई दी।
मुख्यमंत्री ने की स्व-सहायता समूहों के उत्पादों की ब्रांडिंग
मुख्यमंत्री ने राज्य आजीविका मिशन के अंतर्गत गठित महिलाओं के स्व-सहायता समूह के उत्पादों को ब्रांडेड कंपनियों के उत्पादों से बेहतर बताते हुये कहा कि वे स्वयं इन उत्पादों का उपयोग शुरु करेंगे। उन्होंने आजीविका समूहों द्वारा निर्मित जड़ी-बूटी युक्त साबुन, कुटकी चावल, अगरबत्ती, रोस्टेट अलसी, गुड़ और फल्ली दाने की चिक्की, फूल मालाएं, हल्दी पाउडर जैसे उत्पादों की चर्चा करते हुये कहा कि वे स्वयं इन उत्पादों की ब्रांडिंग करेंगे। सरकार इन उत्पादों को खरीद कर इन्हें प्रोत्साहित करेगी। स्व-सहायता समूहों की सहायता और मार्गदर्शन के लिये तकनीकी सलाहकार और विशेषज्ञ जोड़े जायेंगे।
मुख्यमंत्री ने गरीब परिवारों के लिये किये जा रहे प्रयासों का उल्लेख करते हुये बताया कि कोई भी गरीब व्यक्ति बिना घर के नहीं रहेगा। उसके पास रहने के लिये जमीन का टुकड़ा होगा। शहरों में आवास के लिये मल्टी स्टोरी फ्लैट बनाये जा रहे हैं। प्रधानमंत्री आवास योजना की सहायता से पक्का घर बनाने के लिये उन्हें मदद दी जायेगी। इसके लिये अभियान चलाया जायेगा।
श्री चौहान ने कहा कि बच्चों को मुफ्त में पाठ्य-पुस्तकें दी जा रही हैं। उन्हें स्कूली गणवेश दिया जायेगा। इसकी सिलाई का काम महिलाओं के स्व-सहायता समूह को दिया जायेगा। बारहवीं कक्षा में पास होने वाले मेधावी विद्यार्थियों की पढ़ाई का खर्चा सरकार उठायेगी। उज्जवला योजना के अंतर्गत ग्रामीण बहनों को गैस कनेक्शन दिये जा रहे हैं। चरण पादुका योजना के अंतर्गत महुआ, तेंदुपत्ता और अन्य वनोपज बीनने वाली बहनों को चप्पलें और पानी की कुप्पी दी जायेगी। उन्हें वनोपज संग्रहण का पूरा परिश्रमिक दिलवाया जायेगा।
हर जिले में होगा महिला शक्ति-संगम
मुख्यमंत्री ने कहा कि स्व-सहायता समूह आर्थिक रूप से खुद को समृद्ध बनाने के अलावा सामाजिक जन-जागरण का काम भी करेंगे। इसमें नशा-मुक्ति, बाल विवाह रोकने, बेटी बचाओ-बेटी बढ़ाओ अभियान चलाने जैसे काम शामिल होंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि बेटियों की गरिमा को धूमिल करने वाले नर-पिशाचों को फांसी देने का कानून बनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि हर जिले में महिला शक्ति-संगम आयोजित होगा। इसके माध्यम से आर्थिक कल्याण और सामाजिक जन-जागरण के काम को आगे बढ़ाया जायेगा।
पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री श्री गोपाल भार्गव ने अपने स्वागत भाषण में बताया कि महिलाओं के स्व-सहायता समूहों को बैंक लोन उपलब्ध कराये गये हैं। इनसे 1 लाख 50 हजार परिवार जुड़े हैं। अगले साल 5 लाख परिवारों को जोड़ने की कार्य योजना बनायी जायेगी।
उपराष्ट्रपति ने स्व-सहायता समूह के उत्पादों की प्रदर्शनी का अवलोकन किया। इस अवसर पर महिला स्व-सहायता समूह के सदस्यों ने अपने अनुभव साझा किये । शिवपुरी की श्रीमती दाना जाटव, मंडला की श्रीमती शशि मसराम और डिण्डोरी की श्रीमती विमला नागदेव ने अपने विचार व्यक्त हुये बताया कि कैसे उन्होंने स्व-सहायता समूहों से जुड़कर अपने परिवार की आर्थिक समृद्धि का रास्ता तय किया।
पूर्व मुख्यमंत्री श्री बाबूलाल गौर, अनुसूचित जाति कल्याण एवं नर्मदा घाटी विकास राज्य मंत्री श्री लाल सिंह आर्य, सहकारिता राज्य मंत्री श्री विश्वास सारंग, संस्कृति, पर्यटन राज्य मंत्री श्री सुरेन्द्र पटवा, सांसद श्री आलोक संजर, भाजपा राज्य अध्यक्ष श्री नंदकुमार सिंह चौहान, भोपाल महापौर श्री आलोक शर्मा, विधायक श्री सुरेन्द्रनाथ सिंह, श्री विष्णु खत्री एवं बड़ी संख्या स्व-सहायता समूह की सदस्य महिलाएं उपस्थित थीं। महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती अर्चना चिटनीस ने आभार व्यक्त किया।
मुख्यमंत्री की घोषणाएँ-
स्व-सहायता समूहों के ऋण लेने पर कोई स्टाम्प ड्यूटी नहीं।
स्व-सहायता समूहों द्वारा निर्मित सामग्री के विक्रय के लिए बड़े शहरों में व्यवस्था की जाएगी।
जिला, ब्लॉक, पंचायत स्तरों पर प्रशिक्षण के लिए आवश्यकतानुसार भवन उपलब्ध कराये जाएंगे। जहाँ आवश्यकता होगी, वहां भवन किराये पर लेकर समूहों को दिये जाएंगे।
शासकीय शालाओं की यूनिफॉर्म सिलने का कार्य समूहों को दिया जाएगा।
आँगनबाड़ियों में बच्चों तथा माताओं के लिये गुणवत्तापूर्ण खाद्य सामग्री निर्माण और प्रदाय करने का कार्य भी चरणबद्ध तरीके से महिला समूहों के फेडेरेशन को दिया जायेगा।
योग्य समूहों के परिसंघों को पाँच करोड़ रूपये की राशि की सीमा तक बैंकों से ऋण लेने पर सरकार द्वारा गारंटी दी जाएगी।
महिला स्व-सहायता समूहों को तीन प्रतिशत अतिरिक्त ब्याज अनुदान तीन लाख रूपये तक की ऋण सीमा तक दिया जाएगा।
प्रत्येक स्व-सहायता समूह के परिसंघ को संकुल स्तर पर अनाज भण्डारण हेतु आवश्यकतानुसार व्यवस्था की जाएगी।
स्व-सहायता समूहों द्वारा तैयार जैविक कीटनाशक, जैविक खाद, जैविक कल्चर, सरकार खरीदेगी और किसानों को देगी।
विकासखण्ड स्तर पर मृदा परीक्षण प्रयोगशाला के संचालन का दायित्व स्व-सहायता समूह एवं उनके परिसंघ को दिये जाएंगे।
ग्रामीण क्षेत्रों में विद्युत बिल वसूलने की जिम्मेदारी स्व-सहायता समूहों को दी जायेगी। उन्हें छह हजार रुपये मानदेय दिया जायेगा। औसत से ज्यादा राजस्व वसूली करने पर उन्हें पंद्रह प्रतिशत की दर से प्रोत्साहन राशि दी जायेगी।