- October 1, 2017
शुभप्रभात —“खुद पीड़ित”—शैलेश कुमार
कहने वाले कहते है की तुम अहंकार को छोडो
पर दिल में जो विराजमान है ,कैसे उसके दिल को तोड़ें।
कहने वाले कहते है की सत्य ,अहिंसा पूजों ,
पर मेरे समझ से परे है भाई , कैसे उसको पूजूँ।
कहने वाले ये भी कहते ,कर्म -धर्म अपनाओं
दया ,दान और सेवा भी तुमको अपनाना होगा।
पर मैं कहता हूँ दया , दान और सेवा से क्या होगा ,
तम देश में रज लूटेरा ,सत्व बन गया है वाला।
उपदेशक की लघु -लघुता खुद लुटे जाते हैं ,
जहाँ शिव आक्रोश में काम खुद भस्म हुआ था ,
लेकिन आज उपदेशक ही खुद भस्म हुआ जाता है।
कहने वाले कहने को कहते हैं बहुत बड़ा हूँ,
छाया में देखा है उनको , गीता को गाली बकता है।
खुद मोटर और विमान में उड़ उड़ कर उड़ता है
लेकिन शिष्यों को चड्डी और कट्टा पहनने को कहता है।
कहने वाले कहते है की तुम अहंकार को छोडो
कामरूप का कामेश्वर बनकर खुद इठलाता रहता है।
कही धरा पर , कहीं स्वर्ग में ,नव में विचरण करता है
भोले मानस के मन में वह राम, कृष्ण , कहलाता है।
कहने वाले कहते है की तुम अहंकार को छोडो
लेकिन पांच विकार से खुद पीड़ित हुआ जाता है।