- September 5, 2017
शिक्षक दिवस—संगीत, नृत्य एवं नाट्य के चित्ताकर्षक कार्यक्रम
जयपुर————- शिक्षक दिवस की पूर्व संध्या पर प्रदेश के शिक्षकों द्वारा बिड़ला सभागार में संगीत, नृत्य एवं नाट्य के चित्ताकर्षक कार्यक्रम प्रस्तुत किए गए।
सांस्कृतिक संध्या के अध्यक्ष शिक्षा राज्य मंत्री श्री वासुदेव देवनानी थे। उन्होंने शिक्षकों द्वारा प्रस्तुत सांस्कृतिक प्रस्तुतियों की सराहना की तथा कहा कि शिक्षक समाज को शिक्षा से आलोकित ही नहीं करते बल्कि सांस्कृतिक उत्सवधर्मिता से भी समाज को जोड़ते हैं।
सांस्कृतिक संध्या का आगाज़ जयपुर मंडल द्वारा भारत वंदना से किया गया।
संध्या में जब राजस्थान की धोरा धरा की महिमा का बखान करते नृत्य ‘धरती धोरा री..’ की प्रस्तुति झुंझुनू के शिक्षकों द्वारा की गई तो दर्शक जैसे भाव विभोर हो उठे। अजमेर मंडल के शिक्षकों ने बाद में कव्वाली ‘देश की खातिर हम जान गंवा देंगे..’ की प्रस्तुति दी तो संस्कृत शिक्षा की शिक्षिका कविता राय ने एकल नृत्य ‘कारी-कारी अंधिरी रात..’ के जरिए जैसे जीवन से जुड़ी संवेदना को अपनी भाव-मुद्राओं से उजागर किया।
डॉ. रचना तिवारी द्वारा प्रस्तुत संस्कृत गीत ‘ग्राम ग्राम गच्छाम’, श्रीगंगानगर की श्रीमती अंजू पसरीचा एवं साथियों द्वारा प्रस्तुत पंजाबी गिद्दा नृत्य, अलवर की श्रीमती अनुरिता का विष्णु वंदना लिए एकल नृत्य, राजेन्द्र डांगी का तबला वादन, चूरू मंडल के शिक्षकों द्वारा राजस्थानी समूह नृत्य तथा प्रकाशचन्द्र शर्मा के देशभक्ति समूह नृत्य ने सांस्कृतिक संध्या में अपना अलग रंग जमाया।
सांस्कृतिक संध्या में सीकर के श्री विद्याधर नेहरा एवं साथियों का समूह भैंरू नृत्य, अजमेर मंडल द्वारा शिक्षा के उजास से जुड़ा सामुहिक गीत ‘ज्ञान की जोत बढ़ाकर हम बढ़ते जाएंगे…’ तथा हनुमानगढ़ के श्री बलविन्दर एवं साथियों का पंजाबी भांगड़ा भी दर्शकों को बहुत पंसद आया।
सांस्कृतिक संध्या में अजमेर मंडल की प्रस्तुति युगल नृत्य ‘डिग्गीपुरी का राजा…’ और मुकेश कुमार एवं साथियों द्वारा प्रस्तुत सामूहिक गीत ‘ढोला बेगो बेगो चाल भतृहरी मेला में…के जरिए लोक आस्था को जैसे बखूबी स्वर दिया गया था।
सांस्कृतिक संध्या में भक्त कवयित्री मीरा के जीवन से जुड़ी नृत्य नाटिका ‘मीरा’ विशेष आकर्षण लिए थी। जयपुर मंडल की श्रीमती मीरा सक्सेना द्वारा निर्देशित इस नृत्य नाटिका में कलाकारों ने मीरा की कृष्ण भक्ति के साथ ही उनके जीवन से जुड़ी मानवीय संवेदना को गहरे से जैसे जिया था।