• August 29, 2017

’आस्था के नाम पर हिंसा बर्दाश्त नहीं—प्रधानमंत्री के कथनी व करनी में अन्तर- –मायावती

’आस्था के नाम पर हिंसा बर्दाश्त नहीं—प्रधानमंत्री के कथनी व करनी में अन्तर- –मायावती

नई दिल्ली——————बी.एस.पी. की राष्ट्रीय अध्यक्ष, पूर्व सांसद व पूर्व मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश सुश्री मायावती जी ने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा कल ’मन की बात’ में यह कहने पर कि ’आस्था के नाम पर हिंसा बर्दाश्त नहीं की जायेगी’, पर प्रश्नचिन्ह लगाते हुये जानना चाहा कि बीजेपी की कथनी व करनी में अन्तर क्यों तथा परमपूज्य बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर की पुण्यतिथि के दिन 6 दिसम्बर (सन् 1992) को अयोध्या में कोर्ट, कानून व संविधान का उल्लंघन करते हुये सरकारी संरक्षण में हिंसा व विध्वंस को क्या कहा जायेगा और क्या उसके लिये बीजेपी का शीर्ष नेतृत्व देश से माफी माँग कर अपनी नेक नीयती का सबूत देगा?

डेरा प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह को साध्वियों के साथ बलात्कार के मामले में सी.बी.आई. कोर्ट द्वारा दोषी करार दिये जाने के बाद सरकारी संलिप्तता व संरक्षण के कारण बीजेपी-शासित राज्य हरियाणा में, गुजरात में सन् 2002 की तरह ही, हिंसा की आग में जल उठने के संदर्भ में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा यह कहना कि ’आस्था के नाम पर हिंसा बर्दाश्त नहीं की जायेगी,’ जिसे आज अखबारों में काफी प्रमुखता के साथ प्रदर्शित किया है, वास्तव में बीजेपी के कथनी और करनी में व्यापक अन्तर के स्वभाव को साबित करता है।

रेडियो पर श्री मोदी द्वारा कही गई ’मन की बात’ में अगर थोड़ी भी सच्चाई व ईमानदारी होती तो पंजाब व हरियाणा हाईकोर्ट की इस सम्बंध में सख्त कानूनी व संवैधानिक रूख को देखते हुये हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री मनोहरलाल खट्टर को अब तक जरूर बर्खास्त कर देना चाहिये था। लेकिन ऐसा नहीं किया गया है, जो यह साबित करता है कि बीजेपी का शीर्ष नेतृत्व केवल उपदेश देने व बड़ी-बड़ी बातें करने में ही रूचि रखता है परन्तु ज़मीनी कार्रवाई नदारद। यही कारण है कि पुराने अनुभवों को देखते हुये प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के ताजा बयान पर भी अनेकों सवालिया निशान लग गये हैं।

सुश्री मायावती ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने मन की बात कार्यक्रम में लोगों को याद दिलाया कि 15 अगस्त को लाल किले से भी वे कह चुके हैं कि भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में आस्था के नाम पर हिंसा की कोई जगह नहीं है, परन्तु हरियाणा की ताजा घटना यह साबित करती है कि उनकी पार्टी की सरकार पहली ही परीक्षा में बुरी तरह से फेल साबित हुई है फिर भी बीजेपी नेतृत्व पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ा है और वे इसका संज्ञान लेने को तैयार नहीं है। वास्तव में बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व को अपना यह अहंकारी स्वभाव बदलना होगा कि वे लोग देश, कानून व संविधान से ऊपर है तथा वे जो सोचते है वही देशभक्ति है। इस संकीर्ण सोच व मानसिकता से देश का अब तक काफी नुकसान हो चुका है और यह हानि लगातार बढ़ती ही जा रही है।

बी.एस.पी केन्द्रीय कार्यालय,
4, गुरूद्वारा रकाबगंज रोड,
नई दिल्ली – 110001

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