- August 14, 2017
10 वर्षों के लम्बे संर्घष के बाद भूमि पर कब्जा
जयपुर————- यह दास्तां भरतपुर जिले की सेवर ग्राम सेवा सहकारी समिति की है, जिसने 10 वर्षों के लम्बे संघर्ष के बाद अपने भूखण्ड पर हुए अतिक्रमण को मुक्त कराकर पुनः कब्जे में लिया। वर्ष 1934 में पंजीकृत इस समिति की गिनती राजस्थान की उन पुरानी सहकारी समितियों में होती है, जिनका पंजीयन स्वतंत्रता से पूर्व का है। बात 2007 से शुरू होती है जब समिति के 76×105 वर्गफीट के भूखण्ड पर लोगों ने अतिक्रमण कर पक्के निर्माण करा लिए थे।
अतिक्रमण के कारण समिति के पास सीमित स्थान हो गया एवं गोदाम के सामने ऎसी स्थिति होने से गोदाम तक पहुंचना कठिन था वहीं समिति के व्यापार में भी रूकावट पैदा हो रही थी। अतः समिति ने जमीन से अतिक्रमण हटाने के लिए समिति अध्यक्ष श्री सूप सिंह द्वारा संचालक मण्डल के पदाधिकारियों को साथ लेकर प्रयास करने की पहल की गई।
सबसे पहले अतिक्रमणकारियों को समझाया गया लेकिन अतिक्रमण हटाने को लेकर कोई भी तैयार नहीं हुआ। तब समिति द्वारा न्यायालय में वाद दायर किया गया। न्यायालय द्वारा समिति के पक्ष में निर्णय जारी किया, जिसके विरूद्ध अतिक्रमणकारी उच्च न्यायालय की शरण में गए। किन्तु वहां से भी उनका वाद खारिज हो गया।
उच्च न्यायालय के आदेशों के बावजूद अतिक्रमणकारी नहीं हटे, तब समिति ने सहकारिता विभाग एवं जिला कलक्टर के सहयोग से संयुक्त कार्यवाही द्वारा जमीन को बलपूर्वक अतिक्रमणकारियों से 2 वर्ष के प्रयासों के बाद मुक्त कराया जा सका। आज समिति के सभी 594 सदस्यों में खुशी की लहर है और उन्हें अपनी जमीन वापिस मिल गई है।
सहकारिता विभाग ने समिति के प्रयासों एवं जज्बे को देखते हुए एवं भूखण्ड पर पुनः अतिक्रमणकारी काबिज न हो इसके लिए समिति के इस भूखण्ड पर शॉपिंग कॉम्पलेक्स बनाने के लिए 22.50 लाख रुपये की सहायता देने का निर्णय किया है।
कॉम्पलेक्स बनाने के लिए भरतपुर नगर निगम ने भी स्वीकृति प्रदान कर दी है। यह शॉपिंग कॉम्पलेक्स आईसीडीपी परियोजना के तहत बनाया जाएगा। इसके अंतर्गत 15 दुकानें निर्मित होगी। शॉपिंग कॉम्पलेक्स के निर्माण से भरतपुर नगर एवं समिति के कार्यक्षेत्र के 8 गांवों सेवर, बमनपुरा, मालीपुरा, सहका नगलां, झीलरा, नगलां तेरहियां, मरोली तथा मलाह के उपभोक्ताओं को सुविधा उपलब्ध होगी।
इस शॉपिंग कॉम्पलेक्स में बैंकिंग सुविधाओं से लेकर दैनिक आवश्यकताओं की सभी जरूरतों को लोगों के लिए उपलब्ध कराने की योजना बनाई गई है तथा किसानों को उनकी आवश्यकताओं के लिए भी संसाधन उपलब्ध कराने का प्रबंध किया गया है।