बगडी वासियों के लिए वरदान

बगडी वासियों के लिए  वरदान

जयपुर ————प्रदेश की मुख्यमंत्री श्रीमती वसुन्धरा राजे की दूरगामी सोच का पूरे राज्य में मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन अभियान का सफलता पूर्वक क्रियान्वयन किया जा रहा है, वही मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन अभियान का द्वितीय चरण बहुआयामी कायाकल्प का अभियान साबित हो रहा है। इस अभियान से प्रदेश में हर व्यक्ति की पेयजल संबंधित समस्या का समाधान होगा वही क्षेत्र व प्रदेश के विकास को ओर गति मिल सकेगी। 111

दौसा जिला कलेक्टर श्री नरेश कुमार शर्मा की निर्देशन में जिला स्तरीय समिति, मुख्य कार्यकारी अधिकारी, जिला परिषद, दौसा नोडल अधिकारी, अधीक्षण अभियन्ता मुख्यमंत्राी जल स्वावलम्बन अभियान, अधीशाषी अभियन्ता वाटरशेड, के द्वारा कार्य सम्पादित किया जा रहा है।

दौसा जिले में 9 दिसम्बर 2016 को मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन अभियान के द्वितीय चरण का शुभारम्भ जिला प्रभारी मंत्री अरूण चतुर्वेदी ने ग्राम पंचायत सैथल के ग्राम भैयापुरा में भाटी की बगीची सैथल में श्रमदान कर शुभारम्भ किया। द्वितीय चरण में जिले की 37 ग्राम पंचायतों के 130 ग्रामों का चयन किया गया है इसके तहत 2266 कार्य विभिन्न विभागों के द्वारा करवाये जायेंगे।

प्रदेश को जल के क्षेत्रा में आत्मनिर्भर बनाने के लिए राज्य सरकार द्वारा हर सम्भव प्रयास किये जा रहे है। मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन अभियान की सफलता के लिए हर ग्रामीण को सहयोग करना होगा। यह आम जन का अभियान है।

पेयजल समस्या के निस्तारण के लिये सभी ग्राम वासी जल संरक्षण में सहयोग कर मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन अभियान को सफल बनाने में आमजन का पूर्ण सहयोग मिला।

अभियान के दौरान जिले की पंचायत समिति लालसोट की ग्राम पंचायत बगडी में फार्म पौण्ड, खेत तलाई निर्माण कार्य की स्वीकृति जारी कर सहायक अभियन्ता पीआईए लालसोट के द्वारा कार्य पूर्ण करवाया गया। इस कार्य पर 1.38658 लाख रूपये का व्यय किया गया। इस कार्य के सम्पादन से पूर्व ग्राम मे विद्यमान कठिनाईयां यथा पानी की कमी, दूर करने पर उपलब्धता एवं अन्य परिस्थिति से निपटने के लिए कई पूर्ण प्रसाय किये गये , लेकिन सफलता नही मिली।

मुख्यमंत्री द्वारा संचालित यह अभियान बगडी वासियों के लिए भी वरदान साबित होगा। बगडी में फार्म पौण्ड बनाने से उसमे वर्षा का पानी रूकेगा, जिससे किसानों की बारानी भूमि को सिंचित मे परिवर्तित करने मे मदद मिलेगी व किसानों की फसलों के उत्पादन मे वृद्धि होगी ।

अधिक उत्पादन से किसानों को पैदावार के अच्छे दाम मिलेगें , जिससे किसानों के जीवन स्तर मे सुधार होगा। इसके साथ ही साथ ही आस पास के कुओं, हैण्ड पम्पो व एकल बिन्दुओं आदि मे भू-जल स्तर मे वृद्धि होगी।

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