• June 9, 2017

समस्या –पौंग डेम विस्थापित–सिर्फ उठा-बैठक

समस्या –पौंग डेम विस्थापित–सिर्फ उठा-बैठक

शिमला —————-मुख्यमंत्री श्री वीरभद्र सिंह ने राजस्थान सरकार से पौंग बांध विस्थापितों को पुनः स्थापित करने के लंबित मामले को निश्चित समय सीमा में हल करने को कहा है ताकि प्रभावित परिवारों को शीघ्र न्याय मिल सके।

मुख्यमंत्री आज हिमाचल सरकार तथा राजस्थान सरकार के मध्य पौंग डेम विस्थापितों के शेष परिवारों को पुनः स्थापित तथा भूमि आबंटित करने के लंबित पड़े मामलों को हल करने के लिए आयोजित की गई बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे। 1

बैठक में दोनों सरकारों के प्रतिनिधि मंत्री तथा वरिष्ठ अधिकारी बीच विस्तृत विचार-विमर्श के उपरांत यह निर्णय लिया गया कि राजस्थान में भूमि के आबंटन से संबंधित पौंग डेम विस्थापितों के लंबित पड़े सभी मामलों की समीक्षा तथा आबंटन की प्रक्रिया 30 सितम्बर, 2017 तक पूरी कर दी जाएगी।

हिमाचल सरकार इस संबंध में राजस्थान सरकार को सभी आवश्यक दस्तावेज सौंपना सुनिश्चित करेगी। राजस्थान सरकार इन मामलों में शीघ्र स्वीकृति प्रदान करेगी। बैठक में यह निर्णय लिया गया कि दस्तावेजों में किसी भी प्रकार की कमी रहने की स्थिति में हिमाचल सरकार के राहत एवं पुनर्वास उपायुक्त को व्यक्तिगत तौर पर सम्पर्क किया जा सकता है, ताकि समय बर्बाद न हो।

राजस्थान सरकार ने निर्णय लिया कि बीकानेर में उपनिवेशण आयुक्त के कार्यालय में प्रत्येक माह के प्रथम सोमवार को शेष बचे पौंग डेम विस्थापितों को भूमि आबंटित करने के लिए विशेष शिविर लगाए जाएंगे।

हिमाचल सरकार के राहत एवं पुनर्वास उपायुक्त पात्र विस्थापितों के बीच इन शिविरों का विस्तृत प्रचार को सुनिश्चित बनाएंगे। इसके अतिरिक्त, उपायुक्त या उनकी ओर से कोई अधिकारिक प्रतिनिधि शिविरों में उपस्थित रह कर भूमि आबंटन की प्रक्रिया में सहयोग देंगे।

राजस्थान उपनिवेशण नियम, 1972 (राजस्थान कनाल कॉलोनी में पौंग डेम विस्थापितों को सरकारी भूमि का आबंटन) का नियम 4-ए उन विस्थापितों को भूमि के आबंटन में कुछ बाधाएं उत्पन्न करता है, जिन्होंने परिवार नियोजन नियमों का पालन नहीं किया है।

राजस्थान सरकार अभी तक इस नियम को लागू करने के मामले में उदारवादी रही है। लेकिन कुछ मामलों में इस नियम के चलते भूमि आबंटन में बाधा उत्पन्न हो रही है। राजस्थान सरकार ने ऐसे मामलों की पुनः समीक्षा करने तथा भविष्य में इन पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करने पर सहमति जाहिर की।

बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि जहां आवश्यक हुआ तो नियम 7-ए लागू किया जाएगा तथा राजस्थान सरकार नियमों में उल्लेखित 18 प्रतिशत ब्याज के प्रावधान पर भी विचार करेगी।

सिंचाई सुविधा का अभाव, मालिकाना हक के चलते भूमि से अलगाव, भूमि की किस्त जमा करने में परेशानी जैसी अन्य समस्याओं पर भी विशेष रूप से विचार किया गया। प्रधान सचिव राजस्व तथा राजस्थान सरकार के उपनिवेशण आयुक्त ने तीन माह की समयावधि में इन सभी समस्याओं का निवारण करने का आश्वासन दिया।

दोनों सरकारें उच्च न्यायालय में लंबित पड़े विभिन्न मामलों की स्थिति पर पुनः सहमति बनाएगी तथा बैठक में लिए गए निर्णय को ध्यान में रखते हुए एक संयुक्त शपथ पत्र जमा कराएगी, ताकि इस तरह के सभी मामले निपटाए जा सकें।

राजस्थान सरकार ने भूमि के आबंटन के लिए पर्याप्त भूमि चिन्हित कर ली है तथा यदि न्यायालय से आदेश हुए तो पात्र परिवारों को चिन्हित कर उन्हें अतिरिक्त भूमि आबंटित करने का भी प्रावधान करेगी।

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