- May 9, 2017
नदियों का संरक्षण कर जलवायु परिवर्तन के गहराते खतरे की चुनौती का सामना करने का प्रयास
भोपाल (सुनीता दुबे)–मध्यप्रदेश में नर्मदा नदी संरक्षण से आरंभ हुआ अभियान देश-विदेश में मिसाल बनेगा। नदियों का संरक्षण कर जलवायु परिवर्तन के गहराते खतरे की चुनौती का सामना करने का प्रयास किया जायेगा। पिछले 141 दिनों से जारी नमामि देवि नर्मदे-सेवा यात्रा के समापन दिवस 15 मई को नदी संरक्षण की कार्य-योजना जारी करने के लिए आज भोपाल की प्रशासन अकादमी में नदी-जल-पर्यावरण संरक्षण पर मंथन हुआ।
मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान, केन्द्रीय वन एवं पर्यावरण राज्य मंत्री श्री अनिल माधव दवे, प्रदेश के वन, योजना एवं आर्थिक-सांख्यिकी मंत्री डॉ. गौरीशंकर शेजवार, मैग्सेसे पुरस्कार विजेता श्री राजेन्द्र सिंह सुप्रसिद्ध नर्मदा साहित्यकार श्री अमृतलाल वेगड़, एन.जी.टी. के जस्टिस दलीप सिंह, फिल्म अभिनेता श्री जैकी श्रॉफ, फिल्म निर्माता श्री प्रकाश झा भी मौजूद थे। लगभग 200 सौ जल-पर्यावरण विशेषज्ञ, भू-गर्भ शास्त्री, वैज्ञानिक, यमुना बॉयो ड्रायवर्सिटी, गंगा अभियान, पर्यावरण संस्थाओं के प्रतिनिधि, भारतीय प्रशासनिक और वन सेवा के अधिकारियों ने पाँच सत्रों में समूह चर्चा कर प्रस्तुतिकरण दिया। कार्यक्रम के कुछ मुख्य बिन्दु इस प्रकार है:-
मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान
‘जब तक साँस की डोर है, नर्मदा सेवा नहीं छूटेगी’।
‘माँ नर्मदा की सेवा का यह जज्बा, जुनून ता उम्र कायम रहेगा’।
समाज के जुड़ने से शासन द्वारा शुरू नर्मदा सेवा यात्रा ऐतिहासिक जन-आन्दोलन बन चुकी है।
राजनीति, साहित्य, कला आदि विविध क्षेत्रों से लोग जुड़े सेवा यात्रा से।
भावी पीढ़ी, जीव-जन्तु के लिये नदी बचाना है।
जल पर मानव सहित जीव-जन्तु, पेड़-पौधे का समान अधिकार परंतु मानव ने इसे नष्ट करने का पाप किया है।
नदी संरक्षण पाप का वास्तविक प्रायश्चित है।
अगर आज न जागे तो किसान संतानें हरे-भरे खेत नहीं देख पायेंगी।
बेतवा, क्षिप्रा, ताप्ती की धार टूट गई है, नर्मदा धार टूटी तो स्थिति भयावह हो जायेगी।
विश्व नागरिक हैं हम, अपने यहाँ से नदी, जल, पर्यावरण बचा कर योगदान दें हम।
नियम बनाने से कुछ नहीं होगा। प्रत्यक्षत: लोगों के जुड़ने से ही योजना हो रही है साकार।
नर्मदा सेवा यात्रा से जागी है लोगों में चेतना, छोटी बच्ची ने दूसरी बच्ची का हाथ पकड़ कर नर्मदा में पुष्प डालने से रोका। कहा कि इससे नर्मदा प्रदूषित हो जायेगी।
पर्यावरण का शोषण नहीं, दोहन हो। उत्खनन निश्चित मात्रा में हो।
विकास और पर्यावरण का संतुलन बनाकर काम करे।
मध्यप्रदेश में माँ नर्मदा जीवित इकाई, नुकसान पहुँचाने वाला होगा दंड का भागी।
मध्यप्रदेश की धरती पर ऐसा काम हो जो विश्व की नदियों के लिये उदाहरण बन जाये।
सब नदियाँ माता हैं, माता को मैला न करे।
नर्मदा किनारे विर्सजन कुण्ड, मुक्तिधाम, चेंजिंग रूम बनेंगे, तट खुले में शौच मुक्त होंगे।
धारा अविरल बनाने के लिये 2 जुलाई को 6 करोड़ पौधे नर्मदा तट पर लगेंगे।
सीवेज का एक बूँद भी पानी नर्मदा में नहीं जायेगा।
केन्द्रीय वन एवं पर्यावरण राज्य मंत्री श्री अनिल माधव दवे
नर्मदा मध्यप्रदेश और गुजरात दोनों की जीवन रेखा है।
जंगल कटने और रेत उत्खनन से नर्मदा सूखेंगी तो जीवन सूख जायेगा।
जो प्यास बुझाये वही नदी गंगा है।
विजन को साकार रूप देने के लिये मुख्यमंत्री को बधाई।
मध्यप्रदेश की सिंचाई क्षमता बढ़ने से ही अन्न उत्पादन में 20 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई।
नर्मदा का जल ग्रहण क्षेत्र एक लाख किलोमीटर है जिसमें केवल प्राकृतिक खेती हो। रासायनिक खाद के इस्तेमाल से हो रही हैं अनेकों बीमारियाँ।
एक गाय से 20 एकड़ में खेती होती है।
नदी एक बार स्वस्थ हुई तो सहायक नदियाँ भी स्वच्छ, सुन्दर और स्वस्थ हो जायेंगी।
अभिनेता श्री जैकी श्राफ
पुरानी पीढ़ी को सोचना है कि वे भावी पीढ़ी के लिये क्या छोड़ रहे हैं।
हर व्यक्ति अधिक से अधिक तुलसी का पौधा लगायें। इससे पर्यावरण ही नहीं मनुष्य भी स्वस्थ रहता है।
अपने परिजन के जन्म-दिन पर एक पौधा जरूर लगायें।
उन्होंने अपनी बात कुछ इस तरह खत्म की- ‘पेड़ काटने कुछ लोग आये थे मेरे गाँव में, धूप बहुत है कहकर बैठ गये उसी की छाँव में’
जल पुरुष श्री राजेन्द्र सिंह
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने नीर, नारी और नदी के सम्मान को पुन: प्रतिष्ठित करने की कोशिश की।
नारी, जननी का सम्मान किये बिना नदी का सम्मान संभव नहीं।
संतों का काम अपने हाथ में लेने वाले मुख्यमंत्री को बधाई।
मुख्यमंत्री ने नई चेतना जगाई, नजरिया बदला अगर सम्पूर्ण दस्तावेज का पालन हो गया तो देश ही नहीं दुनिया में होगी नई मिसाल।
इतिहास जल्दी बदल जाता है लेकिन मुख्यमंत्री ने भूगोल बदलने का काम हाथ में लिया है।
भारतीय संस्कृति प्रकृति से केवल लेना ही नहीं इसे देना भी सिखाती है।
मुख्य सचिव श्री बसंत प्रताप सिंह
नर्मदा यात्रा से करीब 25 लाख लोग जुड़े हैं, लोगों को सक्रिय कर यात्रा से जोड़ा गया है।
गाँव के बुजुर्ग पारम्परिक बुद्धिमत्ता के संवाहक, यात्रा में इनकी बात सुनी गई।
नर्मदा किनारे रहने वालों के सुझाव लेकर इन पर अमल होगा।
मृदा-जल संरक्षण के लिये किसानों को बाँटे जा रहे हैं मृदा कार्ड।
नर्मदा तटों की शुचिता के लिये 5 किलोमीटर तक नहीं होगी शराब की दुकान। यात्रा के दौरान 24 लाख लोगों ने लिया नशा मुक्ति का संकल्प।
नर्मदा यात्रा से प्रेरणा लेकर सहायक नदियों के संरक्षण की मुहिम भी हुई शुरू।