• April 28, 2017

बी.एस.पी. संगठन में फेरबदल व जनाधार को बढ़ाने की कवायद

बी.एस.पी. संगठन में  फेरबदल व  जनाधार को बढ़ाने की कवायद

गजरात में ग़रीबों, दलितों, आदिवासियों, पिछड़े वर्गों व धार्मिक अल्पसंख्यकों आदि का आत्म-सम्मान के साथ जीना मुश्किल।

नई दिल्ली, 28 अप्रैल, 2017: बी.एस.पी. की राष्ट्रीय अध्यक्ष, सांसद (राज्यसभा) व पूर्व मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश सुश्री मायावती ने उत्तर प्रदेश में पार्टी संगठन में आवश्यक फेरबदल करने के बाद आज से दूसरे राज्यों की समीक्षा बैठक प्रारम्भ की, जिसके तहत् गुजरात राज्य में पार्टी संगठन की गतिविधियों व सर्वसमाज में पार्टी के जनाधार को बढाने से सम्बन्धित कार्याे की वहाँ के वरिष्ठ व जिम्मेवार पदाधिकारियों के साथ आज यहाँ बैठक कर गहन समीक्षा की।1

गुजरात राज्य में इस वर्ष विधानसभा के आमचुनाव होने हैं, इसलिये इसको भी ध्यान में रखकर उन्होंने पार्टी के लोगों को विशेष दिशा-निर्देश दिया। पश्चिमी भारत के राज्य गुजरात में वैसे तो दलितों की जनसंख्या काफी कम है तथा उनकी राजनीतिक शक्ति ज्यादा नहीं है, परन्तु ऊना- बर्बर दलित उत्पीड़न काण्ड के फलस्वरुप गुजरात के दलितों में अपने आत्म-सम्मान व स्वाभिमान के साथ-साथ जो राजनीतिक चेतना जगी है उससे वहाँ के दलितों, आदिवासियों व अन्य पिछड़ों का जीवन स्तर बदल कर बेहतर हो सकता है।

बी.एस.पी. के लोगों से गुजरात राज्य के राजनीतिक हालात का समुचित फीडबैक लेने के बाद सुश्री मायावती जी ने अपने सम्बोधन में कहा कि जिस प्रकार से मण्डल आयोग की सिफारिशों के तहत् शिक्षा व सरकारी नौकरी के क्षेत्र में आरक्षण की व्यवस्था करने के लिये पिछड़े वर्ग की लड़ाई लड़ी उसी प्रकार आदिवासी समाज की लड़ाई को भी अपनी लड़ाई समझकर संघर्ष करना होगा तभी उनकी उपेक्षा व शोषण पर विराम लगाया जा सकता है।

गुजरात राज्य में खासकर दलितों व आदिवासी समाज व सर्वसमाज के अन्य गरीबों की हालत काफी दयनीय है। वहाँ भी बड़े-बड़े पूँजीपतियों व धन्नासेठों का बोलबाला है तथा सामाजिक ताना-बाना काफी बिगड़ा हुआ व विचलित करने वाला है। धार्मिक अल्पसंख्यकों में से खासकर मुस्लिम समाज के लोगों के साथ जबर्दस्त भेदभाव है तथा उन्हें इन्साफ किसी स्तर पर नहीं मिल पा रहा है।

सुश्री मायावती ने कहा कि गुजरात के तमाम् मजलूम आपसी भाईचारे के आधार पर एकजुटता पैदा करके विधानसभा के इसी वर्ष होने वाले चुनाव को लड़ते हैं तो भाजपा के रुप में वहाँ स्थापित जातिवादी व साम्प्रदायिक पार्टी को सत्ता से बाहर का रास्ता दिखाया जा सकता है।

बी.एस.पी. केन्द्रीय कार्यालय
4, गुरूद्वारा रकाबगंज रोड,
नई दिल्ली – 110001

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