- March 2, 2017
20 मार्च को जाटों का प्रदर्शन –हरियाणा में कुल 38 धरने चल रहें हैं
दिल्ली————-अपनी मांगों को लेकर जाटों ने संसद मार्ग थाने के बाहर घेराव किया.जाट आरक्षण संघर्ष समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष यशपाल मलिक ने पुलिस से कहा कि या तो 50 हजार लोगों की गिरफ्तारी दिखाएं या फिर शाम की रोटी जाट थाने के बाहर ही खाएंगे.
काफी देर तक मान-मनौव्वल के बाद अब जाटों ने 20 मार्च को प्रदर्शन करने को कहा है.
जाट नेता ने कहा कि 20 मार्च को सभी जाट अपने ट्रैक्टर ट्रॉली व अन्य गाड़ियों से सुबह 8 बजे दिल्ली के आसपास हाइ-वे से कूच करेंगे. यहां वे दिल्ली आने जाने वाले रास्ते को रोकेंगे. ताकि दिल्ली से बाहर जहां कोई रोकेगा वहीं सड़क पर जाट बैठेंगे, अनिशिचिकाल के लिए. फिर मामला चाहे 10 दिन चले या 10 साल चले.
जाट आरक्षण संघर्ष समिति के राष्ट्रीय महासचिव कारी मोहम्मद हसन बाल्यान ने इस मौके पर कहा कि अगर हरियाणा में आंदोलनकारियों के साथ सरकार कोई सख्ती करती है तो राजस्थान, पंजाब, यूपी, दिल्ली के जाट दिल्ली जाम करेंगे.
हरियाणा के सभी जिलों में कुल 38 धरने हरियाणा में चल रहे हैं. जंतर मंतर पर आयोजित आज प्रदर्शन के दौरान यशपाल मलिक को आंदोलनकारियों ने जाट रत्न घोषित किया.
जाट आरक्षण संघर्ष समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष यशपाल मलिक का दावा है कि निजी वाहनों से करीब 10 हजार जाट आंदोलनकारी दिल्ली पहुंचे हैं. शुक्रवार को करीब दो सौ ट्रैक्टर-ट्राली से भी हजारों लोग आएंगे.
जाट अपनी मांगों को लेकर राष्ट्रपति को ज्ञापन देने वाले हैं.
फरवरी 2016 में जाट आरक्षण आंदोलन के दौरान हरियाणा में मारे गए 18 जाट युवाओं के परिजनों को नौकरी.
जाट युवकों पर दर्ज केस वापस लेने व सांसद राजकुमार सैनी पर कार्रवाई करने की मांग.
जेलों में बंद जाट समाज के 67 युवाओं को रिहा करने की मांग.
जाट आरक्षण को संविधान की नौवीं सूची में डाला जाए.
कुरुक्षेत्र से बीजेपी सांसद राजकुमार सैनी की संसद सदस्यता रद्द की जाए.
जातीय द्वेष फैलाने वाले अधिकारियों, कर्मचारियों पर कार्रवाई हो.
19 फरवरी को रोहतक के जसिया में चल रहे धरने के मंच से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी करने पर सोमबीर नामक युवक के खिलाफ पुलिस ने देशद्रोह का केस दर्ज किया.
21 फरवरी को रोहतक के छारा गांव निवासी चिंटू नामक युवक ने भी मंच से मोदी के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी की.
पुलिस ने उस पर भी देशद्रोह और लोगों की भावनाएं भड़काने का केस दर्ज किया है.
इसलिए और उलझ गया है मामला:
जाट आरक्षण के दौरान हिंसा के आरोपियों पर सीबीआई की ओर से दर्ज केस राज्य सरकार वापस नहीं ले सकेगी.
सीबीआई के केस दर्ज करने के बाद तकनीकी तौर पर राज्य सरकार उसे अपने स्तर पर वापस नहीं ले सकती.
ऐसे केस जांच के बाद सीबीआई के क्लोजर रिपोर्ट देने पर ही बंद हो सकते हैं.