- December 11, 2016
छोटी जोत वाले किसानों के लिये तकनीक विकसित करें
पेसूका –(कृषि मंत्रालय )—–केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री राधा मोहन सिंह ने कृषि वैज्ञानिकों से अपील की है कि वे देश में छोटी जोत वाले किसानों की विशाल संख्या देखते हुए उनकी जरूरतों के हिसाब से तकनीक विकसित करें और उनके प्रसार पर जोर दें।
केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री ने ये बात आज कासरगोड, केरल स्थित केन्द्रीय रोपण फसल अनुसंधान संस्थान (Central Plantation Crops Research Institute,सीपीसीआरआई) के शताब्दी समारोह समापन कार्यक्रम में कही। श्री राधा मोहन सिंह ने इस अवसर पर किसान मेला का उद्घाटन किया और नारियल अनुसंधान एवं विकास पर अन्तर्राष्ट्रीय परिसंवाद तथा रोपण फसल परिसंवाद में हिस्सा लिया।
श्री सिंह ने कहा कि केरल में कृषि जोत, राष्ट्रीय औसत 1.15 हेक्टेयर के मुकाबले 0.22 हेक्टेयर है, इसलिए खेती को लाभकारी बनाने के लिए एकीकृत कृषि प्रणाली और Low Volume – High Value फसलें अपनाने की जरूरत है।
केन्द्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि नारियल के साथ काली मिर्च, केला, जायफल, अनानास, अदरक, हल्दी, जिमीकंद को शामिल कर बहु फसलचक्र प्रणाली अपनाने से प्रदेश के किसानों का लाभ होगा। श्री सिंह ने कहा कि सीपीसीआरआई ने अपने 100 वर्ष के सफर में Plantation Crops की खेती में नई – नई तकनीक विकसित कर देश को आगे बढ़ाया है।
श्री राधा मोहन सिंह ने कहा कि भारत, दुनिया के अग्रणी नारियल उत्पादक राष्ट्रों में शामिल है। इसमें केरल का योगदान उल्लेखनीय है । वर्ष 2014-15 में केरल का 32 प्रतिशत क्षेत्रफल और 24 प्रतिशत उत्पादन देश में अंकित किया गया है। कोकोनट डेवलेपमेन्ट बोर्ड के आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2015-16 में नारियल उत्पादों का कुल 1450 करोड़ रूपये का निर्यात किया गया है।
केन्द्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि राज्य की जैव विविधता नीति बनाने में केरल अग्रणी रहा है। केरल राज्य का पशुधन एवं मात्स्यिकी सेक्टर भी महत्वपूर्ण क्षेत्र हैं। राज्य की कृषि क्षमताओं को देखते हुए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) ने राज्य में 5 अनुसंधान संस्थान (केंद्रीय रोपण फसल अनुसंधान संस्थान CPCRI, भारतीय मसाला फसल अनुसंधान संस्थान IISR, केंद्रीय कंदीय फसल अनुसंधान संस्थान CTCRI, केंद्रीय समुद्र मात्स्यिकी अनुसंधान संस्थान CMFRI, केन्द्रीय मात्स्यिकी प्रौद्योगिकी संस्थान CIFT) और 14 कृषि विज्ञान केन्द्र स्थापित किए हैं। इसके अलावा केन्द्र सरकार, राज्य कृषि विश्वविद्यालयों को भी support करती रही है।
श्री सिंह ने कहा कि कृषि मंत्रालय ने किसानों के हित में कई योजनाएं शुरू की है। केरल में प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (PMKSY) के तहत प्रदेश में कारपुझा एवं मुवात्तुपुझा स्थानों पर मार्च 2018 तक सिंचाई योजना पूरा करने का लक्ष्य है।
सॉयल हेल्थ कार्ड योजना के तहत केरल में जहां 7,05,420, सॉयल हेल्थ कार्ड वितरित करने का लक्ष्य था उसमें से अभी तक केवल 1,32,828 सॉयल हेल्थ कार्ड ही वितरित किए गये हैं। परंपरागत कृषि विकास योजना (PKVY) के तहत कुल 119 कलस्टर काम कर रहे हैं जिन्हें 382.22 लाख रुपये की राशि जारी की जा चुकी है जिसके संदर्भ में प्रदेश सरकार दवारा उपयोगिता प्रमाण पत्र प्रतीक्षित है।
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) किसानों के लिए एक क्रांतिकारी बीमा योजना है लेकिन केरल में अब तक यह योजना लागू नहीं हो पायी है। राष्ट्रीय कृषि बाजार (ई नैम) में अब तक ई पोर्टल के माध्यम से 6 सितंबर 2016 तक 250 मंडियों को जोड़ा गया है और मार्च 2018 तक कुल 585 मंडियों को जोड़े जाने का लक्ष्य है परंतु केरल में ई मंडी स्कीम लागू नहीं की जा सकी है। केन्द्रीय कृषि मंत्री ने राज्य सरकार से आग्रह किया कि प्रदेश सरकार किसानों के हित में भारत सरकार की विभिन्न योजनाओं को पूरी तरह लागू करे।
श्री राधा मोहन सिंह ने इस अवसर पर संस्थान के शताब्दी वर्ष में कृषि से जुड़े विभिन्न कार्यक्रम आयोजित करने के लिए संस्थान के वैज्ञानिकों, अधिकारियों और कर्मचारियों की सराहना की।