• November 7, 2016

नंदी गौशालाएं आदर्श गौशालाएं-गृहमंत्री

नंदी गौशालाएं आदर्श गौशालाएं-गृहमंत्री

जयपुर, 7 अक्टूबर। प्रदेश के प्रत्येक जिले में जो गौशालाएं उत्कृष्ट एवं आदर्श रूप से कार्य कर रही हैं तथा स्वयं को नंदी गौशाला के रूप में स्थापित करने की इच्छुक हैं, उन गौशालाओं को नंदी गौशाला के रूप में चिन्हीकृत कर विशेष प्रोत्साहन सहायता राशि प्रदान की जायेगी।

गृह मंत्री एवं मंत्रीमंडलीय उप समिति के अध्यक्ष श्री गुलाब चंद कटारिया की अध्यक्षता में सोमवार को शासन सचिवालय स्थित उनकेे कक्ष में गौशाला संरक्षण एवं संवद्र्धन हेतु आयोजित मंत्रीमण्डलीय उप समिति की बैठक में अनेक महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए विभिन्न बिन्दुओं पर विचार-विमर्श किया गया।

श्री कटारिया ने बताया कि प्रत्येक पंजीकृत गौशाला के बीमार पशुओं को समय पर उपचार उपलब्ध कराने के उद्देश्य सेे एक उप केन्द्र व पशु चिकित्सा अधिकारी से जोड़ने का प्रस्ताव है। गौशालाओं में बीमार पशुओं के उपचार के लिये विधायक कोष से एक एम्बुलेंस भी उपलब्ध कराने के प्रयास किये जायेंगे।

सरकार द्वारा गौशालाओं के बीमार पशुओं की देख-रेख एवं उनकी बीमारी अन्य पशुओं को न लगे, इसके लिये अलग से बाड़े बनाने का भी निर्णय लिया गया है। गृह मंत्री ने बताया कि मंत्रीमण्डलीय उप समिति ने गौवंश संरक्षण संवद्र्धन के लिये अतिरिक्त अधिभार लगाकर मुख्यमंत्री गौ-संरक्षण कोष बनाया जाना प्रस्तावित किया है।

उन्होंने बताया कि उप समिति के निर्णयानुसार मण्डी शुल्क पर 10 प्रतिशत गौग्रास का अधिभार, कार्पोरेट सोशियल रेस्पोंसबिल्टी में प्राविधित कुल राशि का 5 प्रतिशत गौसंरक्षण के लिए आरक्षित करने एवं देवस्थान के ऎसे धार्मिक ट्रस्ट, जिनकी वार्षिक आय 5 करोड़ या इससे अधिक है, ऎसे ट्रस्टों की कुल आय पर 5 प्रतिशत अधिभार निर्धारित कर मुख्यमंत्री गौ संरक्षण कोष में जमा कराया जाना प्रस्तावित किया है।

श्री कटारिया ने बताया कि राज्य सरकार प्रदेश की गौशालाओं के संवद्र्धन एवं गौ-संरक्षण के लिये अनेक महत्वपूर्ण कदम उठाने जा रही है। उन्होंने बताया कि चारा जलाने पर कानूनी रोक लगाकर एक चारा बैंक की स्थापना प्रत्येक जिले पर किया जाना भी प्रस्तावित किया गया है।

उन्होंने बताया कि प्रत्येक जिले की एक ऎसी गौशाला जो उत्कृष्ट एवं आदर्श रूप से कार्य कर रही है, उसको विशेष प्रोत्साहन सहायता राशि प्रदान करने का भी बैठक में निर्णय लिया गया है। उन्होंने बताया कि चारागाह एवं गोचर भूमि की पैमाइश एवं सीमांकन किया जायेगा तथा पत्थरगढ़ी व पिलर गाढ़ने की कार्यवाही राजस्व व ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज विभाग के माध्यम से की जायेगी, इस कार्य में यथा संभव नरेगा योजना के माध्यम से पत्थरगढ़ी का भुगतान किया जायेगा।

गृह मंत्री ने बताया कि बैठक में राज्य की पंजीकृत गौशालाओं को बड़े गौवंश के लिये 32 रुपये एवं 3 वर्ष से छोटे गौवंश के लिये 16 रुपये की दर से जनवरी, फरवरी एवं मार्च 2017 का तीन माह का अनुदान दिया जाना प्रस्तावित किया गया है। उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री गौ-संरक्षण कोष में प्रत्येक राज्य कर्मचारी से यह आग्रह किया जाना प्रस्तावित है कि पे-बैण्ड 1 से 6 को एक रुपये प्रतिदिन, पे-बैण्ड 7 से पीबी. 3 तक 2 रुपये प्रतिदिन एवं पे-बैण्ड 4 का 3 रुपये प्रतिदिन लिया जायेगा।

कृषि मंत्री एवं उप समिति के सदस्य श्री प्रभुलाल सैनी ने बैठक से संबंधित जानकारी देते हुए बताया कि प्रदेश में लगभग एक हजार 600 गौशालाएं हैं, जिनमें छोटे-बड़े लगभग 5 लाख 20 हजार पशु हैं, इनके लिये बजट से पूर्व तीन माह में 200 करोड़ का अतिरिक्त खर्चा आने की संभावना है। इसके लिये धार्मिक संगठनों, गौशाला के मालिकों एवं सामाजिक संगठनों को जोड़ा जायेगा।

उन्होंने बताया कि उप समिति के प्रस्तावों को मंत्री मण्डलीय बैठक में भिजवाया जायेगा। उप समिति की बैठक में गोपालन निदेशक श्री राजेन्द्र किशन एवं संबंधित अधिकारी भी उपस्थित थे।

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