- November 3, 2016
टसर-कोसा उत्पादन में निरंतर वृद्धि
मुंगेली : ——-जिला बनने के पश्चात विगत 04 वर्षो में मुंगेली जिले में टसर कोसा उत्पादन में निरंतर वृद्धि हुई है। कोसा कृमि पालन से महिलाओं की आर्थिक स्थिति सुदृढ़ हुआ है तथा चेहरे में चमक आई है। जिले में कोसा विकास की असीम संभावनाएं विद्यमान है।
वर्ष 2012-13 में रेशम परियोजना केन्द्र किरना के महिला समूह के 15 सदस्यों द्वारा 122400 रूपये की 195500 कोसाफल का उत्पादन किया गया। जिससे प्रत्येक हितग्राहियों को 60 दिवस में 8160 रूपये की आमदनी हुई। इसी तरह वर्ष 2013-14 में 42640 रूपये की 35700 कोसाफल का उत्पादन किया गया।
जिससे प्रत्येक हितग्राहियों को 2842 रूपये, वर्ष 2014-15 में 221000 रूपये की 200300 कोसाफल का उत्पादन किया गया। जिससे प्रत्येक हितग्राहियों को 15786 रूपये तथा वर्ष 2015-16 में 387108 रूपये की 228000 कोसाफल का उत्पादन किया गया। जिससे प्रत्येक हितग्राहियों को 27650 रूपये की आय प्राप्त हुई है।
रेशम परिकेन्द्र किरना में वर्ष 2003-04 में 09 हेक्टेयर क्षेत्रफल में पौधरोपित किया गया। टसर केन्द्र गितपुरी में वर्ष 2009-10 में 11 हेक्टेयर क्षेत्रफल में पौधरोपित किया गया। टसर केन्द्र चिरहुला में वर्ष 2010-11 में 06 हेक्टेयर क्षेत्र में पौधरोपित किया गया।
इसी तरह मनरेगा के तहत टसर पौधरोपण केन्द्र किरना में वर्ष 2015-16 में 10 हेक्टेयर क्षेत्र में पौधरोपण किया गया। मनरेगा के तहत टसर पौधरोपण केन्द्र पीपरलोड में वर्ष 2015-16 में 10 हेक्टेयर क्षेत्रफल में पौधरोपित किया गया। मनरेगा के तहत टसर पौधरोपण केन्द्र पेन्डरी में वर्ष 2015-16 में 10 हेक्टेयर क्षेत्रफल में पौधरोपित किया गया।
मनरेगा के तहत टसर पौधरोपण केन्द्र चन्दरगढ़ी में वर्ष 2015-16 में 10 हेक्टेयर क्षेत्रफल में पौधरोपित किया गया। मनरेगा के तहत टसर पौधरोपण केन्द्र बघमार में वर्ष 2015-16 में 08 हेक्टेयर क्षेत्रफल में पौधरोपित किया गया। मनरेगा के तहत टसर पौधरोपण केन्द्र कुम्हरौली में वर्ष 2015-16 में 10 हेक्टेयर क्षेत्रफल में पौधरोपित किया गया।
नवीन पौधरोपण केन्द्र में 04 वर्ष तक पौधों का रखरखाव, रासायनिक खाद व गोबरखाद डालकर संधारित कार्य किया जायेगा। वर्ष 2020-21 में टसर उत्पादन कार्य से हितग्राहियों को आर्थिक लाभ होगा एवं माली हालत में सुधार आयेगा।
अर्जुन के झाड़ में टसर कृमिपालन का अभिनव प्रयास- मुंगेली जिले के वन क्षेत्र में साजा एवं अर्जुन के झाड़ बिल्कुल ही नहीं हैं, जिससे टसर उत्पादन कर्ता हितग्राही वन क्षेत्र में जाकर टसर ककून का उत्पादन नहीं कर पाते, जिससे टसर ककून से होने वाले आय से हितग्राही वंचित रह जाते है। इसलिए कलेक्टर के निर्देशानुसार वर्ष 2016-17 में रेशम विभाग द्वारा मुंगेली जिले के सड़क के किनारे बड़े अर्जुन झाड़ में टसर कृमिपालन का अभिनव प्रयास किया गया हैं, जिसमें संबंधित ग्राम के हितग्राहियों को समझाइश देकर उनके द्वारा कृमियों का देखभाल विभाग के तकनीकी कर्मचारियों द्वारा किया जा रहा है, यदि इस प्रयास में सफल रहे, तो आगामी वर्ष में कोसा उत्पादन में उत्तरोत्तर वृद्धि होगी।
विकासखण्ड मुंगेली के ग्राम दशरंगपुर में 450 स्वस्थ डिम्ब समूह को ब्रशिंग किया गया जिसमें 87 झाड़ है, ग्राम धरमपुरा में 500 स्वस्थ डिम्ब समूह को ब्रशिंग किया गया जिसमें 96 झाड़ है। ग्राम घुठेली में 450 स्वस्थ डिम्ब समूह को ब्रशिंग किया गया जिसमें 15 झाड़ है। ग्राम दाबो में 700 स्वस्थ डिम्ब समूह को ब्रशिंग किया गया जिसमें 86 झाड़ है ग्राम शीतलदह में 600 स्वस्थ डिम्ब समूह को ब्रशिंग किया गया जिसमें 76 झाड़ है।
इसी तरह विकासखण्ड लोरमी के ग्राम टिंगीपुर में 1000 स्वस्थ डिम्ब समूह को ब्रशिंग किया गया जिसमें 200 झाड़ है, ग्राम कुमरौली में 1300 स्वस्थ डिम्ब समूह को ब्रशिंग किया गया जिसमें 200 झाड़ है, ग्राम डोंगरिया में 1200 स्वस्थ डिम्ब समूह को ब्रशिंग किया गया जिसमें 250 झाड़ है। मुंगेली जिले में रेशम विभाग के गठन होने के पश्चात टसर कोसा उत्पादन के क्षेत्र में उत्तरोत्तर वृद्धि हुई है। कृमिपालकों (हितग्राहियों) को कोसा उत्पादन से होने वाले आय में भी लगातार वृद्धि हो रही है, जिससे महिला हितग्राहियों में टसर कृमिपालन के प्रति विशेष रूचि जागृत हुई है।
वर्ष 2015-16 के टसर कृमिपालन के दौरान कौशल विकास योजना के तहत रेशम परियोजना केन्द्र, किरना में 30 हितग्राहियों को एवं टसर केंद्र, चिरहुला में 20 हितग्राहियों को उन्नत तकनीकी से टसर कृमिपालन कार्य का प्रशिक्षण दिया जा रहा है, ताकि टसर कृमिपालन कार्य नई तकनीकी के साथ उत्पादन में वृद्धि कर सकें।
आयुर्वेद विभाग से 40951 रोगी हुए लाभान्वित- छत्तीसगढ़ राज्य स्थापना एवं मुंगेली जिला बनने के बाद विगत वर्षो में आयुर्वेद विभाग द्वारा रोगी की जांच एवं उपचार कर हजारों व्यक्तियों को लाभान्वित किया गया है। विभिन्न स्थानों में जिला स्तरीय एवं विकासखण्ड स्तरीय जांच शिविर का आयोजन किया गया।
ग्राम सेमरसल में 711, खपरीकला में 626, पैजनिया में 3174, देवरहट में 2346, बघमार में 1270, डिंडौरी में 1644, अखरार में 4027, सिलदहा में 3746, पड़ियाइन में 1244, अण्डा में 1577, भटगांव में 2844, पुरान में 2143, कंतेली में 4805, फंदवानी में 4720, जरहागांव में 1639, पण्डरभट्ठा में 170, चकरभाठा में 1612 मरीजों का उपचार किया गया।