- October 6, 2016
पशु पालन भी खेती से जुड़ा महत्वपूर्ण व्यवसाय
रायपुर : पशु पालन भी खेती से जुड़ा महत्वपूर्ण व्यवसाय है। इसे रोजगार और आमदनी से जोड़ने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार ने पांच साल का रोडमेप तैयार कर लिया है। यह रोड मैप किसानों की आमदनी को वर्ष 2022 तक दोगुनी करने के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के लक्ष्य के अनुरूप बनाया गया है। इसके अंतर्गत कई नये कार्यक्रम शुरू किए जा रहे हैं।
आधुनिक एवं वैज्ञानिक तरीके से पशुओं की जांच एवं उपचार सुविधा उपलब्ध करायी जा रही है। प्रदेश के 17 जिलों में रोग अन्वेषण प्रयोग शाला की स्थापना की गई है तथा जिला स्तरीय पशु चिकित्सालय का सुढ़ीकरण कर पशुपालकों को बेहतर पशु चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध करायी जा रही है।
नस्ल सुधार के लिए कृत्रिम गर्भाधान कार्यक्रम चलाया जा रहा है, जिसका कव्हरेज वर्तमान में 40 प्रतिशत है, जिसे पांच वर्षों में 60 प्रतिशत करने का लक्ष्य रखा गया है। वर्तमान में कृत्रिम गर्भाधान के लिए लगभग 14 लाख प्रजनन योग्य मादा पशुओं को कव्हर किया जा रहा है। वर्ष 2022 तक 21 लाख 80 हजार प्रजनन योग्य मादा पशुओं को चिन्हित किया गया है।
प्राकृतिक गर्भाधान वर्तमान में 19 प्रतिशत है, जिसे आगामी पांच वर्ष में 40 प्रतिशत किया जाएगा। वर्तमान में दूरस्थ ग्रामीण क्षेत्रों में 1350 गौ/भैंस वंशीय सांड सेवारत है, जिसे वर्ष 2022 तक कुल 5920 साड़ों का वितरण किया जाएगा।
विभागीय योजनाओं का विस्तार
वर्ष 2016-17 में इन योजनाओं के तहत राज्य सरकार के इस पंच-वर्षीय रोडमैप से लगभग 19 हजार से ज्यादा परिवार लाभान्वित होंगे। जो इस समय पशुपालन में लगे हुए है। प्रतिवर्ष योजना में 50 प्रतिशत वृद्धि कर वर्ष 2022 तक 4 प्रतिशत ग्रामीण परिवारों को योजना के अंतर्गत लाभान्वित किया जाएगा। छत्तीसगढ़ में पशुधन विकास विभाग की ओर से ग्रामीण बैकयार्ड कुक्कुट इकाई अनुदान पर नर सुअर का वितरण, बकरा वितरण तथा सांड वितरण योजना चलायी जा रही है।
राज्य पोषित डेयरी उद्यमिता के अंतर्गत वर्ष 2016-17 में 2 से 15 पशुओं की डेयरी स्थापना के लिए अधिकतम 12 लाख रूपये व्यय पर सामान्य वर्ग को 50 प्रतिशत तथा अनुसूचित जाति, जनजाति वर्ग के हितग्राहियों को 66.6 प्रतिशत अनुदान दिया जायेगा। वर्ष 2016-17 में 264 डेयरी स्थापित करने का लक्ष्य है। छत्तीसगढ़ में लगभग छह लाख परिवार भेड़ और बकरी पालन करते हैं। सभी परिवार गरीबी रेखा के अंतर्गत आते हैं।
राज्य सरकार ने राज्य बकरी उद्यमिता विकास योजना के तहत इन परिवारों के बेरोजगार युवाओं को रोजगार उपलब्ध कराकर उनकी आमदनी बढ़ाने का लक्ष्य रखा गया है। वर्ष 2022 तक इन परिवारों के लिए दो हजार 181 बकरी इकाई स्थापित करने की कार्य-योजना बनाई गई है। छत्तीसगढ़ पशुधन के मामले में सम्पन्न राज्य है।
प्रदेश में वर्तमान में एक करोड़ 50 लाख 18 हजार पशुधन है। इनमें 98 लाख 13 हजार गौवंशीय तथा 13 लाख 90 हजार भैंस वंशीय पशु शामिल हैं। इसी प्रकार भेड़-बकरियों की संख्या लगभग 34 लाख है। चार लाख 39 हजार सूकर भी पशुपालकों के पास है।
प्रदेश में वर्ष 2014-15 में एक हजार 232 मीटरिक टन दूध का उत्पादन हुआ था। इस वर्ष में प्रति व्यक्ति प्रति दिन दूध की उपलब्धता 130 ग्राम रही। छत्तीसगढ़ में विकासखंड स्तर पर 332 तथा पंचायत स्तर पर 1146 पशु चिकित्सा संस्थाएं कार्यरत हैं। पशुपालन विभाग पशुपालकों को पशु स्वास्थ्य और पशु नस्ल सुधार की सेवाएं, उनकी आय बढ़ाने वैज्ञानिक पद्धतियों से पशुपालन तथा कम लागत की तकनीकों का प्रचार-प्रसार करते हुए पशु पालकों की आर्थिक उन्नति के लिए प्रयासरत है।
पशुपालकों की आय पांच वर्ष में दोगुनी करने के लिए पशुपालन में आधुनिक तौर-तरीके अपनाने, पशुओं का नस्ल सुधारने, उत्पादकता बढ़ाने तथा पशुपालन व्यवसाय में लागत कम करने पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है।
छत्तीसगढ़ में भैंस से दूध उत्पादन एवं बकरा से मांस उत्पादन को छोड़कर अन्य पशुओं की उत्पादकता राष्ट्रीय औसत से कम है, इसे राष्ट्रीय औसत के समकक्ष या अधिक लाने के लिए अनेक कार्य प्रस्तावित हैं। इससे प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से पशुओं की उत्पादकता बढ़ेगी एवं पशुपालकों की आय में 30 प्रतिशत तक की वृद्धि हो सकेगी।
कलस्टर एप्रोच में सेक्टरवार पशुपालन को बढ़ावा देने विकासखंड स्तर पर गौ, भैंस, बकरा, सूकर, कुक्कुट आदि पालन के लिए ग्रामों को चिन्हित कर क्लस्टर बनाये जाएंगे। कलस्टर में मोबाइल सुविधा तथा ग्रामवार पशुधन संख्या, वार्षिक एवं प्रतिदिन अनुमानित दुग्ध, अण्डा, मांस उत्पादन शासकीय, अशासकीय पशु चिकित्सा संस्थायें गौ सेवक आदि की मेपिंग कराई जाएगी।