- June 23, 2016
भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक में स्टार्ट अप के लिए कोषों के कोष की स्थापना
14वें और 15वें वित्त आयोग के काल में दस हजार करोड़ रुपए का एफएफएस कॉर्पस बनाया जाएगा। यह योजना की प्रगति और कोष उपलब्धता की शर्त के साथ होगा। एफएफएस कॉर्पस में 2015-16 में 500 करोड़ रुपए दिए गए और एफएफएस कॉर्पस के लिए 2016-17 में 600 करोड़ रुपए का आवंटन है। आशा है कि इस कोष से 18 लाख लोगों को रोजगार मिलेगा।
औद्योगिक नीति एवं संवर्धन विभाग द्वारा कुल बजटीय समर्थन से अनुदान सहायता का प्रावधान किया जाएगा। औद्योगिक नीति और संवर्धन विभाग स्टार्ट अप इंडिया कार्य योजना के अनुरूप कार्य की समीक्षा करेगा।
एफएफएस औद्योगिक नीति एवं संवर्धन विभाग की स्टार्ट अप इंडिया कार्य योजना से बना है। एफएफएस के दैनिक कार्य संचालन प्रबंधन के लिए सिडबी की विशेषज्ञता का उपयोग किया जाएगा। कार्य प्रदर्शन की निगरानी और समीक्षा को स्टार्ट अप कार्य योजना के लागू होने से जोड़ा जाएगा ताकि समय-सीमा में और उपलब्धियों के अनुसार योजना लागू हो सके। 10 हजार रुपए का कॉर्पस 60 हजार करोड़ रुपए के इक्विटी जुटाने का केन्द्र बिन्दु होगा। इससे स्टार्ट अप उद्यमों के लिए स्थायी धन स्रोत मिलेगा और बड़े पैमाने पर रोजगार सृजन में मदद मिलेगी।
बड़े स्तर पर रोजगार सृजन के लिए स्टार्ट अप के माध्यम से नवाचार प्रेरित उद्यम और कारोबार में तेजी लाना महत्वपूर्ण है। उद्यम पूंजी के बारे में एक विशेषज्ञ समिति ने कहा है कि भारत में अगले दस वर्षों में उच्च स्तरीय 2500 कारोबार स्थापित करने की क्षमता है और इस उद्यम सफलता के लिए 10 हजार स्टार्ट अप फैलाने की आवश्यकता होगी।
स्टार्ट अप के समक्ष अनेक चुनौतियां हैं। इनमें घरेलू जोखिम पूंजी की सीमित उपलब्धता, पारंपरिक बैंक वित्त की अड़चनें, सूचना एकत्रीकरण की असमर्थता और साख एजेंसियों के समर्थन का अभाव है। बड़ी संख्या में सफल स्टार्ट अप को विदेशी उद्यम पूंजी कोषों ने धन दिया है और कई स्टार्ट अप ऐसे धन पोषण के लिए देश से बाहर स्थापित होने की कोशिश में है।
फंड ऑफ फंड्स को चलाने के लिए एक समर्पित कोष बनाने से इन समस्याओं का समाधान निकलेगा और नवाचारी स्टार्ट अप को सहायता मिलेगी ताकि वे पूर्ण कारोबार वाले उद्यम हो सकें। इसके लिए स्थापना स्तर, प्रारंभिक स्तर और विकास स्तर पर समर्थन आवश्यक है। व्यक्तिगत कोष में सरकारी योगदान से निवेशक को निजी पूंजी में भागीदारी के लिए प्रोत्साहन मिलेगा और इससे व्यापक संसाधनों को जुटाने में मदद मिलेगी।