मेरे गीत ! गर ह्रदय पर वजन हो, तभी दौड़िए – सतीश सक्सेना

मेरे गीत !  गर ह्रदय पर वजन हो, तभी दौड़िए – सतीश सक्सेना

आज बेहद ह्यूमिड मौसम में, पसीने से तर बतर, ओखला बर्ड सेंक्चुरी के साथ साथ दौड़ते हुए 49.09 मिनट में 6.8 Km की दूरी तय की !

कम से कम 2 Km रोज दौड़ते हुए,लगातार 100 दिन दौड़ने का व्रत 30 मई से लिया है , आज 26 मई तक रोज दौड़ते हुए 132.85 Km की दूरी तय कर चुका हूँ , पिछले 8 माह से 134 बार रनिंग करते हुए आजतक 1035.60 Km दौड़ चुका हूँ और यह सब बिना किसी ट्रेनिंग और अपने 62 वर्षीय शरीर के साथ कुछ ज्यादा ही सावधानी बरतते हुए किया है !

1000 km की दौड़ पार करते हुए, अब मुझे लगता है कि अनावश्यक सावधानी और तेज दौड़ने पर कुछ हो जाने का भय,मानवीय शक्ति को बेवजह डर में फंसाए रखता है नतीजा अथाह मानवीय शक्ति,मन के चंगुल में फंसकर अपने बैरियर कभी नहीं तोड़ पाती और इंसान पूरे जीवन,अपने मन का दास बनने को मजबूर रहता है अतः मन पर निर्दयता पूर्वक चोट करनी ही होगी !

अतः कल से 10 km एक स्पीड पर दौड़ने का प्रयत्न रहेगा और पहला टारगेट 10 km दूरी को 70 मिनट में आराम से दौड़ते हुए पूरा करने का मन है जो कि अब तक का मेरा पर्सनल बेस्ट है !

इस इलाके में यह मेरा पहला रन था और अगर मौसम में आद्रता कम होती तो इस खूबसूरत माहौल में यमुना के साथ साथ, दौड़ने का आनंद कुछ और ही होता ! दौड़ने में दुखी मन को भी राहत मिलती है ….

क्या पता भूल से दिल रुलाया कोई
गर ह्रदय पर वजन हो, तभी दौड़िए !

वायदे कुछ किये थे, किसी हाथ से
मरते दम तक निभाना,तो भी दौड़िए !

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