- May 24, 2016
तीन देशों के मेल का नया आधार चाबहार संपर्क समारोह :- प्रधानमंत्री
रोज़े-हिज्रो-शबे-फ़ुर्क़ते-यार आख़र शुद
ज़दम इन फ़ालो-गुज़श्त अख़्तरो कार आख़र शुद्
(अर्थ : जुदाई के दिन खत्म हो गए, इंतजार की रात खत्म हो रही है, हमारी दोस्ती हमेशा बरकरार रहेगी)
हम इस अनूठे आयोजन के लिए महामहिम रोहानी के प्रति आभारी हैं। राष्ट्रपति अशरफ गनी, आपकी मौजूदगी के लिए आपको धन्यवाद।
आर्थिक सहयोग के लिए एजेंडा हमारी प्राथमिकता है। हम अपने उद्देशय में एक हैं। हमारा समान लक्ष्य शांति और समृद्धि के नए रास्तों की तलाश करना है।
हम विश्व से जुड़ना चाहते हैं।
वास्तव में इस क्षेत्र के लिए यह नया सवेरा है। महामहिम,ईरान-अफगानिस्तान और भारत अपनी समृद्धि और प्राचीन संपर्कों की वास्तविकता को अच्छी तरह जानते हैं।
सदियों से कला और संस्कृति, विचार और ज्ञान, भाषा और परंपराओं के आधार पर हम एक दूसरे से जुडे हैं।
इतिहास की हलचल में भी हमारे समाजों ने एक-दूसरे से संपर्क करना नहीं छोड़ा। आज हम अपने सहयोग का नया अध्याय लिखने के लिए मिल रहे हैं।
महामहिम, त्रिपक्षीय परिवहन तथा ट्रांजिट कॉरिडोर की स्थापना पर थोड़ी देर पहले हुआ हस्ताक्षर इस क्षेत्र के इतिहास की दिशा बदल सकता है। यह हमारे तीन देशों के मेल का नया आधार है।
कॉरिडोर से इस समूचे क्षेत्र में वाणिज्य का निर्बाध प्रवाह काफी तेज हो जाएगा। पूंजी एवं प्रौद्योगिकी के प्रवाह से चाबहार में नये औद्योगिक बुनियादी ढांचे का मार्ग प्रशस्त हो सकता है।
गैस आधारित उर्वरक संयंत्र, पेट्रोरसायन, फार्मास्यूटिकल्स और आईटी शामिल होंगे। कॉरिडोर के मुख्य मार्ग ईरान के चाबहार बंदरगाह से होकर गुजरेंगे।
यह ओमान की खाड़ी के मुहाने पर जहां अवस्थित है, उसकी विशेष रणनीतिक अहमियत है।
अफगानिस्तान को शेष दुनिया के साथ व्यापार के लिए एक आश्वस्त, कारगर एवं कहीं ज्यादा अनुकूल मार्ग उपलब्ध हो जाएगा।
इस समझौते से हासिल होने वाले आर्थिक लाभ के दायरे में हमारे तीनों राष्ट्रों के अलावा भी कई अन्य क्षेत्र होंगे। इसकी पहुंच मध्य एशियाई देशों की गहराइयों तक भी हो सकती है।
यह दायरा जब अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन कॉरिडोर से जुड़ जाएगा, तो यह एक किनारे पर दक्षिण एशिया को और दूसरे किनारे पर यूरोप को छूने लगेगा।
यह कॉरिडोर यूरोप के साथ होने वाले कार्गो व्यापार की लागत एवं समयावधि में तकरीबन 50 प्रतिशत की कमी कर सकता है।
हम इसे मजबूत समुद्री एवं भूमि आधारित उन मार्गों से भी जोड़ सकते हैं, जिन्हें भारत ने हिंद महासागर क्षेत्र एवं दक्षिण पूर्वी एशिया के साथ मिलकर विकसित किया है।
21वीं शताब्दी की दुनिया में विशिष्ट अवसर उपलब्ध हैं, लेकिन इसके साथ ही अनेक चुनौतियां भी हैं।
आज अंतर्राष्ट्रीय संबंधों से जुड़े निगरानी वाले शब्द संशय के बजाय विश्वास, प्रभुत्व के बजाय सहयोग और अलग रखे जाने के बजाय समावेश पर आधारित हैं। यह मार्गदर्शक अवधारणा और चाबहार समझौते की मुख्य भावना भी है।
यह हमारे लोगों के लिए शांति एवं समृद्धि का एक कॉरिडोर होगा।
आर्थिक विकास और सशक्तिकरण के उद्देश्यों से इसे नई गति मिलेगी। यह अन्य के लिए संशय उत्पन्न किये बगैर हमारी सुरक्षा को सुदृढ़ करेगा। य
ह हमारे देशों के बीच बाधाओं को ध्वस्त करेगा और जनसम्पर्कों के नये मानकों को बढ़ावा देगा। इससे हमें आखिरकार एक मैत्रीपूर्ण एवं स्वस्थ पड़ोस का निर्माण करने में मदद मिलेगी, जिसकी इच्छा हम सभी रखते हैं और जिसके हम पात्र हैं।
पश्चिम एशिया में राजनीतिक अशांति और आर्थिक दबाव लगातार फैल रहा है।
एशिया प्रशांत क्षेत्र में बढ़ती हुई राजनीतिक प्रतिस्पर्धा और आर्थिक अवसर का मिश्रण मौजूदा एशियाई महौल पर दबाव डाल रहा है।
हमारे तीनों देश सबसे अधिक शक्तिशाली संसाधन- हमारी युवा शक्ति से परिपूर्ण हैं। हमारे तीनों देशों में जनसंख्या का 60 प्रतिशत हिस्सा 30 साल से कम आयु का है।
जो हमारे राष्ट्रीय और क्षेत्रीय विकास की एक परिसंपत्ति है। हम उन्हें ज्ञान और कौशल उद्योग तथा उद्यम के मार्ग पर चलाना चाहते हैं, ताकि वे बंदूकों और हिंसा के मार्ग के शिकार न बनें।
मुझे विश्वास है कि चाबहार अनुबंध के आर्थिक फल व्यापार को बढ़ाने निवेश आकर्षित करने, बुनियादी ढांचे का निर्माण करने, उद्योग का विकास करने और हमारे युवाओं के लिए रोजगार का सृजन करने में मदद करेंगे।
यह समझौता उन ताकतों के खिलाफ आपसी सहायता के लिए खड़ा होने में हमारी क्षमता को मजबूत करने में मदद करेगा जिनका एक ही उद्देश्य निर्दोष लोगों को मारना है।
इसकी सफलता इस क्षेत्र में शांति और स्थिरता के लिए एक सकारात्मक वोट होगी।
यह मेरा दृढ़ विश्वास है कि व्यापार और पारगमन मार्गों को हमारे अधिक से अधिक संपर्क करने की यात्रा का एक शुरूआती बिन्दु ही होना चाहिए।
मेरी दृष्टि में ईरान, अफगानिस्तान और भारत के मध्य संपर्क एजेंडे के परिदृश्य के पूर्ण विस्तार में इन्हें शामिल किया जाना चाहिए-
संस्कृति से वाणिज्य;
परंपराओं से प्रौद्योगिकी ;
निवेश से आईटी;
सेवाओं से रणनीति;
जनता से राजनीति।
एक तरह से, यह संकल्प लें:
• बेहतर कनेक्टिविटी की अनिवार्यता का एहसास;
• शांति की स्थापना और स्थिरता का निर्माण;
• आर्थिक समृद्धि का निर्माण और नए व्यापार संबंधों की स्थापना;
• कट्टरपंथ पर अंकुश लगाने और आतंक के साये को दूर करना;
• लोगों के बीच बाधाओं को तोड़ना और उनमें अपनेपन की मिठास की भावना को बढ़ाना