- March 3, 2016
विधानसभा प्रकोष्ठ : पेयजल योजनाओं के संचालन और संधारण के लिए तकनीकी अधीनस्थ कर्मचारियों की भर्ती प्रक्रियाधीन
जयपुर, 3 मार्च-(सू०ज०नि०) ——————– जलदाय मंत्री श्रीमती किरण माहेश्वरी ने गुरुवार को विधानसभा में कहा कि पेयजल योजनाओं के संचालन और संधारण के लिए तकनीकी अधीनस्थ कर्मचारियों की भर्ती प्रक्रियाधीन है। उन्होंने सदन को आश्वस्त किया कि रिक्त पदों पर जल्द ही भर्ती की जाएगी।
श्रीमती माहेश्वरी प्रश्नकाल के दौरान विधायकों की ओर से पूछे गए पूरक प्रश्नों का जवाब दे रही थी। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार ने हाल ही में 837 कनिष्ठ अभियंताओं की भर्ती की है और 150 से ज्यादा सहायक अभियंताओं की भर्ती प्रक्रिया राजस्थान लोक सेवा आयोग में प्रक्रियाधीन है। उन्होंने कहा कि तकनीकी कर्मचारियों की भर्ती के लिए पत्रावली कार्मिक विभाग को भेजी गई है। उन्होंने बताया कि विभाग में विभिन्न संवर्गों के 3 हजार 610 पद रिक्त हैं जिन्हें भरने की प्रक्रिया चल रही है। उन्होंने बताया कि पूर्ववर्ती सरकार ने विभाग में भर्ती के नाम पर केवल बेरोजगारों के साथ खिलवाड़ किया था।
इससे पहले विधायक श्री संजीव कुमार के मूल प्रश्न के जवाब में जलदाय मंत्राी ने बताया कि प्रदेश म पेयजल य¨जनाओं के संचालन एवं संधारण के लिए तकनीकी संवर्ग (नियमित) के कुल 14 हजार 831 स्वीकृत पद में से 11 हजार 221 पद पर कामक पदस्थापित ह तथा 3 हजार 610 पद वर्तमान म रिक्त है। इसके अतिरिक्त कार्य-प्रभारित संवर्ग म अस्था एवं नियमित घ¨षित लगभग 13 हजार 700 तकनीकी कर्मचारी भी विभिन्न जल य¨जनाओं पर पदस्थापित है।
उन्होंने बताया कि तकनीकी कर्मचारियों के 1 हजार 294 पद के लिए विभाग द्वारा 13 अगस्त, 2013 विज्ञप्ति जारी की गई थी। तत्पश्चात राज. अधीनस्थ अभियांत्रिकी सेवा (जन स्वा. शाखा), नियम 1967 के नियम 19 म 1 अक्टूबर, 2013 का आवश्यक संशोधन (सीधे साक्षात्कार के स्थान पर लिखित परीक्षा) प्रतिस्थापित है जाने के फलस्वरूप, तकनीकी पद संबंधी नियम (शैक्षणिक योग्यता, अनुभव एवं अन्य) म संशोधन आवश्यक है है। इस संशोधन की कार्यवाही वर्तमान म प्रक्रियाधीन है तथा वांछित संशोधन के उपरान्त भर्ती प्रक्रिया पुनः प्रारम्भ की जाएगी।
श्रीमती माहेश्वरी ने बताया कि प्रदेश म जल य¨जनाओं के संधारण कार्य एवं हैंड पम्प मरम्मत अभियान के लिए माह अप्रैल, 2015 से माह जुलाई, 2015 तक की अवधि के लिए 531 किराए के वाहनों तथा 2 हजार 632 अनुबंधित श्रमिकों की स्वीकृति जारी की गई।
उन्होंने बताया कि वर्तमान म प्रदेश म पेयजल आपूर्ति व्यवस्था एवं इस अभियान को सुचारू बनाए रखने के लिए 1 हजार 500 अनुबंधित श्रमिक एवं 260 किराए के वाहनों की स्वीकृति क्रमशः 18 जनवरी, 2016 एवं 21 जनवरी, 2016 को जारी की गई है।
मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन अभियान —————– ग्रामीण विकास एवं पचायतीराज मंत्री श्री सुरेन्द्र गोयल ने गुरुवार को विधानसभा में कहा कि राज्य में चल रहे मुख्यमंत्राी जल स्वावलम्बन अभियान के अन्तर्गत एक लाख 10 हजार कार्यों में से 36 हजार कार्य शुरू हो गए हैं। इनमें से 5 हजार कार्य अब तक पूर्ण हो चुके हैं।
श्री गोयल प्रश्नकाल के दौरान विधायकों की ओर पूछे प्रश्नों का जवाब दे रहे थे। उन्होंने कहा कि वर्षा का पानी बूंद-बूंद सहेजकर राज्य को जल के मामले में स्वावलम्बी बनाने के लिए शुरू किया गया मुख्यमंत्राी जल स्वावलम्बन अभियान सरकारी कार्यक्रम नहीं है अपितु यह जनप्रतिनिधियों, दानदाताओं,समाजसेवियों,भामाशाहों एवं आम जनता का अपना अभियान है।
ग्रामीण विकास एवं पंचायतीराज मंत्री ने कहा कि इस अभियान के अन्तर्गत आम जनता की सक्रिय भागीदारी हो एवं उनकी सहमति से ही गांवों में अभियान के दौरान किए जाने वाले कार्य का चयन हो इसके लिए 23 दिसम्बर एवं 18 जनवरी को ग्राम सभा का आयोजन किया गया। उन्होंने कहा कि मैने स्वयं ने भी इसके लिए सभी जनप्रतिनिधियों से बातचीत की।
श्री गोयल ने सदन में कहा कि मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन अभियान के अन्तर्गत इस वर्ष 295 ब्लाॅक के 3529 गांवों में कार्य करवाये जा रहे हैं। आगामी 3 वर्षों में 21 हजार गावों में जल संरक्षण के कार्य होंगे। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि राजस्थान जल के मामले में स्वावलम्बी बन जाएगा।
इससे पहले विधायक श्रीमती सूर्यकान्ता व्यास की ओर से पूछे गए मूल प्रश्न के जवाब में श्री गोयल ने बताया कि अभियान के अन्तर्गत सरकारी स्वामित्व के भवनों में वर्षा जल संरक्षण एवं वर्षा जल से भू-जल पुनर्भरण संरचना का निर्माण अनिवार्य नहीं किया गया है।
उन्होंने बताया कि पृथक से पुराने परंपरागत वर्षाजल संरक्षण संरचनाओं के भराव क्षेत्रा और नहरों के अवैध अतिक्रमण, अवैध सीवरेज कनेक्शन को हटाने का कोई प्रावधान अभियान के अन्तर्गत नहीं किया गया है। जोधपुर शहर में कोई तालाब, बावड़ी एवं कुएं का चयन अभियान के अन्तर्गत नहीं किया गया है, क्योंकि ये अभियान शहरी क्षेत्रा के लिए नहीं है।
ग्रामीण विकास एवं पचायतीराज मंत्राी ने बताया कि इस अभियान के अन्तर्गत चयनित ग्रामीण क्षेत्रों में डीपीआर के अनुसार पुराने परंपरागत वर्षा जल संरक्षण संरचनाओं के भराव क्षेत्रा में प्रस्वावित कार्यों के क्रियान्वयन हेतु अवैध अतिक्रमण हटाने की कार्यवाही सम्बन्धित विभाग द्वारा नियमानुसार की जा सकती है।
जालोर में सड़क पर क्षतिग्रस्त रपट —————————- सार्वजनिक निर्माण मंत्राी श्री यूनुस खान ने गुरुवार को विधानसभा में आश्वस्त किया कि विधानसभा क्षेत्रा जालोर में पाथेंडी, पोषाणा सड़क किलोमीटर 7 से कोमता सड़क पर क्षतिग्रस्त रपट का मरम्मत कार्य मार्च, 2016 में ही पूरा कर लिया जाएगा।
श्री खान ने प्रश्नकाल के दौरान विधायक श्रीमती अमृता मेघवाल के मूल प्रश्न के जवाब में बताया कि प्रधानमंत्राी ग्रामीण सड़क योजना के अन्तर्गत विधानभा क्षेत्रा जालोर में वर्ष 2010 से 2015 तक कुल 56 सड़कों का निर्माण सभी निर्धारित मापदण्डों के अनुसार कराया गया है। इन सड़कों में से पाथेंडी, पोषाणा सड़क किलोमीटर 7 से कोमता सड़क पर निर्मित रपट वर्ष 2015 की अतिवृष्टि से आई बाढ़ के कारण क्षतिग्रस्त हो गई थी।
श्री खान ने बताया कि इस रपट का निर्माण मैसर्स जैन कन्स्ट्रक्शन द्वारा संतोषप्रद रूप से किया गया था लेकिन वर्ष 2015 में हुई अतिवृष्टि से आई बाढ़ के कारण रपट क्षतिग्रस्त हो गई। यह सड़क गारण्टी अवधि में है तथा वर्तमान में इसकी मरम्मत का कार्य प्रगति पर है। इस सड़क की जांच स्टेट क्वालिटी माॅनिटर (एस.क्यू.एम.) द्वारा की गई है।
आपदा से राहत दिलाने के लिए सरकार वचनबद्ध———————— आपदा प्रबन्धन एवं राहत मंत्राी श्री गुलाबचन्द कटारिया ने गुरुवार को विधानसभा में बताया कि पूरे प्रदेश में एक वर्ष के दौरान गिरदावरी का समय निश्चित होता है, जो 15 सितम्बर से 15 अक्टूबर तक होती है।
श्री कटारिया ने शून्यकाल के दौरान इस विषय पर उठाए गए मुद्दे पर हस्तक्षेप करते हुए कहा कि सरकार गिरदावरी करवा चुकी है। सारे अधिकारियों से 30 नवम्बर को रिपोर्ट ली जा चुकी है तथा प्राप्त रिपोर्ट के बाद ज्ञापन बनाकर 25 दिसम्बर को केन्द्र सरकार को भेजा जा चुका है। उन्होंने बताया कि 17 फरवरी को मुख्यमंत्राी श्रीमती वसुन्धरा राजे द्वारा इस बाबत एक पत्रा भेजा गया और मैंने स्वयं देश के गृह मंत्राी से मिलकर राजस्थान को ज्यादा से ज्यादा अनुदान देने के लिए निवेदन किया है ताकि किसानों को ज्यादा से ज्यादा लाभ मिल सके।
उन्होंने बताया कि सम्पूर्ण राजस्थान में अकाल राहत की दृष्टि से 19 जिलों के 14 हजार 487 गांवों को अभाव ग्रस्त घोषित किया गया है। जालोर जिले में अभावग्रस्त घोषित 407 गांवों में से 73 गांवों में 50 से 75 प्रतिशत खराबा हुआ है और 334 गांवों में 75 से 100 प्रतिशत खराबा हुआ है। उन्होंने बताया कि पूरे राज्य में पशु शिविर से लेकर गौशालाओं के लिए वर्ष 2009-10 में 136 करोड़ रुपये अनुदान दिया गया। वर्ष 2014-15 में यह आंकड़ा 146 करोड़ 56 लाख रुपये था। पिछले वर्ष सरकार ने 167 करोड़ 31 लाख रुपये की अनुदान राशि दी है।
उन्होंने बताया कि सरकार ने अभावग्रस्त गांवों में भू-राजस्व वसूली स्थगित कर दी है। साथ ही आबियाना शुल्क रोक दिया गया है तथा अल्पकालीन फसली ऋण को मध्यकालीन ऋण में बदल दिया। अकाल राहत एवं पशु शिविर के लिए कलक्टरों को पत्रा लिखा है कि जहां-जहां वे आवश्यक समझें, प्रस्ताव बनाकर सरकार को भेजें। सरकार को जैसे ही प्रस्ताव प्राप्त होंगे, सरकार कार्रवाई करेगी। सरकार सहायता करने के लिए वचनबद्ध है। हमें आशा है कि हमें केन्द्र से सर्वाधिक अनुदान मिलेगा।
माडा योजनान्तर्गत स्वीकृत कार्य ———————– जनजाति क्षेत्राीय विकास मंत्राी श्री नन्दलाल मीणा ने गुरुवार को विधानसभा में आश्वस्त किया कि जमवारामगढ़ विधानसभा क्षेत्रा में माडा योजनान्तर्गत जिन कार्यों के प्रस्तावों को स्वीकृतियां मिल चुकी हैं और जो पूर्ण होने योग्य हैं, उन्हें पूरा करवाया जाएगा और जो निरस्त होने योग्य हैं उन्हें निरस्त किया जाएगा।
श्री मीणा ने प्रश्नकाल में विधायकों द्वारा पूछे गए पूरक प्रश्नों का जवाब देते हुए बताया कि माडा क्षेत्रा के लिए कार्य के प्रस्ताव जिला परिषद के माध्यम से आते हैं। उन्होंने बताया कि मेरी जानकारी में विधानसभा क्षेत्रा जमवारामगढ़ के कार्यों के प्रस्ताव विभाग को प्राप्त नहीं हुए हैं। यदि इस जानकारी में कोई चूक पाई गई तो सम्बन्धित अधिकारियों व कर्मचारियों के खिलाफ कार्यवाही की जाएगी।
उन्होंने बताया कि जमवारामगढ़ विधानसभा क्षेत्रा में जनवरी 2013 से 2016 तक 80 कार्यों की स्वीकृतियां जारी की गई, जिनमें अधिकतर कार्य पूर्ण हो गए हैं तथा एक कार्य जमीन विवाद के कारण अपूर्ण है। नीमला ग्राम पंचायत में भी जमीन विवाद की वजह से कार्य अपूर्ण है।
जनजाति क्षेत्राीय विकास मंत्राी ने बताया कि माडा क्षेत्रा के लिए निर्धारित मापदण्डों के अनुसार 10 हजार तक की आबादी हो तथा एक निश्चित क्षेत्रा हो जहां की कुल आबादी की 50 प्रतिशत आबादी अनुसूचित जनजाति की होनी चाहिए। इन मापदण्डों के पूरा होने पर कार्यों की स्वीकृतियां जारी की जाती हैं।
इससे पहले जनजाति क्षेत्रीय विकास मंत्री ने विधायक श्री जगदीश नारायण के मूल प्रश्न के उत्तर में बताया कि विधानसभा क्षेत्रा जमवारामगढ़ में जनवरी, 2013 से लेकर जनवरी, 2016 तक माडा योजनान्तर्गत कराए गए सीसी सड़क, सम्पर्क सड़क एवं पानी की टंकी आदि कार्यों की ग्राम पंचायतवार जारी स्वीकृतियों की प्रति सदन की मेज पर रखी।
उन्होंने बताया कि विधानसभा क्षेत्र जमवारामगढ़ में जनवरी, 2013 से लेकर जनवरी, 2016 तक कुल 80 कार्य स्वीकृत हुए हैं। उक्त कार्यों में से 75 कार्य पूर्ण हो चुके हैं। एक कार्य प्रगति पर है एवं 4 कार्य अभी तक प्रारम्भ नहीं हुए हैं। उन्होंने प्रगतिरत एवं प्रारम्भ नहीं हुए कार्यों का कारण सहित विवरण सदन की मेज पर रखा।
श्री मीणा ने बताया कि विधानसभा क्षेत्रा जमवारामगढ़ में माडा योजना के तहत ग्राम पंचायतों व जिला परिषद से विभाग को वर्तमान में कोई प्रस्ताव प्राप्त नहीं हुए हैं। उन्होंने बताया कि विधानसभा क्षेत्रा जमवारामगढ़ में माडा योजनान्तर्गत आने वाले ग्रामों में विकास कार्यों के प्रस्ताव प्राप्त होने पर राशि की उपलब्धता, योजनान्तर्गत अनुमत होने पर कार्यों को स्वीकृत किया जाना सम्भव हो सकेगा।
800 गांव-ढाणियों में माही का पानी पाइप लाइन ———————–– जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी मंत्राी श्रीमती किरण माहेश्वरी ने गुरुवार को सदन में बताया कि कुशलगढ़ क्षेत्रा के गांव-ढाणियों में माही नदी का जल पाइपलाइन के माध्यम से पहुंचाने के लिए विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार कर ली गई है और 695 करोड़ रुपये की इस परियोजना को वित्तीय संसाधनों की उपलब्धता के आधार पर पूरा किया जाएगा।
श्रीमती माहेश्वरी ने शून्यकाल में इस सम्बन्ध में उनके मुद्दे पर हस्तक्षेप करते हुए कहा कि कुशलगढ़ क्षेत्रा माही के नजदीक होने के बावजूद पूर्व में पेयजल परियोजनाओं से वंचित रहा। यहां सिर्फ हैण्डपंप ही स्वीकृत किए गए। मुख्यमंत्राी श्रीमती वसुन्धरा राजे को ‘‘सरकार आपके द्वार’’ कार्यक्रम के दौरान जब इस क्षेत्रा की पेयजल समस्या की जानकारी मिली, तो उन्होंने उसी समय इस पर तत्परता से कार्य करने के निर्देश दिए।
उन्होंने बताया कि इस विषय में विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार कराई गई है और अब 399 गांवों व 395 ढाणियों को माही से पाइपलाइन के माध्यम से जोड़ा जाएगा।
जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी मंत्राी ने बताया कि सज्जनगढ़ क्षेत्रा की 12.50 करोड़ रुपये की पेयजल योजना के लिए तीन दिन में टैण्डर जारी कर दिए जाएंगे और 15 दिन में हैण्डपंप पर ऐसेसरीज लगाने का कार्य पूरा हो जाएगा। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार प्रदेश में पेयजल कार्यों के लिए पूरी तरह से तत्पर है।
वायु प्रदूषण की शिकायत पर कार्यवाही————— वन एवं पर्यावरण राज्य मंत्राी श्री राजकुमार रिणवा ने गुरुवार को विधानसभा में आश्वस्त किया कि उदयपुर ग्रामीण के उमरेणा औद्योगिक क्षेत्रा में वायु तथा जल प्रदूषण की शिकायत मिलने पर जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही की जाएगी।
श्री रिणवा ने शून्यकाल में इस सम्बन्ध में उठाये गए मुद्दे पर हस्तक्षेप करते हुए बताया कि उमरेणा औद्योगिक क्षेत्रा में 12 केमिकल व खाद उद्योग लगे हुए हैं जिसमें से 11 उद्योगों के पास संचालन की वैद्य अनुमति है। उनमें से 2 उद्योगों में वायु तथा जल प्रदूषण नहीं है तथा बाकी 9 उद्योगों में आरओ की रिपोर्ट के अनुसार 0 प्रतिशत लिक्विड डिस्चार्ज है।
वहां प्रदूषण नियंत्राण के लिए चिमनियां भी लगा रखी है तथा इन क्षेत्रों को केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्राण मण्डल व राज्य प्रदूषण नियंत्राण मंडल से जोड़कर आॅनलाइन कर दिया है, जिसकी रिपोर्ट आना बाकी है।
उन्होंने कहा कि उमरेणा औद्योगिक क्षेत्रा में 9 क्रेशर भी हैं जिनमें 2 को बंद करने तथा 7 को निरस्त करने का आदेश दिया जा चुका है। उन्होंने स्पष्ट किया कि अगर इस औद्योगिक क्षेत्रा में फिर भी वायु तथा जल प्रदूषण की कोई शिकायत प्राप्त होती है तो जिम्मेदार अधिकारी के खिलाफ कार्यवाही की जाएगी।
गांव लूणियां में स्वीकृत कुओं का काम शीघ्र ———– ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्राी श्री सुरेन्द्र गोयल ने गुरुवार को विधानसभा में आश्वस्त किया कि बांसवाड़ा जिले में स्थित भगोरा का खेड़ा के गांव लूणियां में स्वीकृत कुओं का काम शीघ्र पूरा करवाया जाएगा।
श्री गोयल ने सदन में शून्यकाल के दौरान इस संबंध में उठाए गए विषय पर हस्तक्षेप करते हुए कहा कि लूणिया में वर्ष 2007-08 में 7, वर्ष 2008-09 में 13 और वर्ष 2009-10 में 11 कुएं स्वीकृत हुए जिनका कार्य पूरा करवा लिया गया है। वर्ष 2012-13 से 2015 तक 20 कुएं और वर्ष 2015-16 में 40 कुएं स्वीकृत किए गए हैं। श्री गोयल ने कहा कि सभी स्वीकृत कुओं की राज्य स्तर से माॅनिटरिंग के बाद कार्य पूरा कराया जाएगा।
ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्राी ने कहा कि क्रिटिकल, सेमी क्रिटिकल और अतिदोहित क्षेत्रों में व्यक्तिगत कुओं की मनाही है, लेकिन यदि इन क्षेत्रों में 3 व्यक्ति मिलकर कुएं खुदवाएंगे तो ऐसे कार्य स्वीकृत हो जाएंगे तथा प्रत्येक कार्य के लिए 3-3 लाख रुपये स्वीकृत किए जाएंगे।
श्रम और आदान की व्यवस्था के लिए 12 लाख रुपए तक का अनुदान————— कृषि मंत्राी श्री प्रभुलाल सैनी ने गुरूवार को विधानसभा में बताया कि संरक्षित खेती (ग्रीन हाऊस, पाॅली हाऊस) करने वाले किसानों को सरकार द्वारा श्रम और आदानों की व्यवस्था के लिए नवाचार कार्यक्रम के तहत 12 लाख रुपये तक का अनुदान दिया जाएगा।
उन्होंने कहा कि अब फार्म पौंड,खेत तलाई योजना को नरेगा कन्वर्जेन्स के तहत होने वाले कार्याें से भी जोड़ दिया गया है। अब फार्म पौंड निर्माण के श्रम मद में होने वाले व्यय का सौ फीसदी भुगतान इस योजना के तहत हो जाएगा और निर्माण सामग्री कृषि विभाग से मिलने वाले अनुदान से खरीदी जा सकेगी।
श्री सैनी प्रश्नकाल में विधायकों द्वारा पूछे गए पूरक प्रश्नों का जवाब दे रहे थे। उन्होंने कहा कि जनप्रतिनिधियों का दायित्व है कि राज्य सरकार द्वारा किसान कल्याण के लिए संचालित की जा रही योजनाओं का व्यापक प्रचार-प्रसार करें। उन्होंने कहा कि राज्य में फार्म पौंडों का निर्माण राष्ट्रीय सतत कृषि मिशन के दिशा निर्देशों के अनुसार हो रहा है। अभी इस मिशन के तहत किसानों को समतल जमीन पर फार्म पौंड के निर्माण पर 52 हजार 500 रुपये, पहाड़ी क्षेत्रा में 90 हजार रुपये और प्लास्टिक लाइन वाला फार्म पौंड बनाने पर 75000 रुपये तक का अनुदान दिया जा रहा है।
उन्होंने बताया कि करौली जिले में वर्ष 2015-16 में 547 किसानों ने फार्म पौंड के लिए अपने मूल दस्तावेज प्रस्तुत किए थे, इनमें से 530 आवेदकों की प्रशासनिक स्वीकृति जारी जारी कर दी गई है तथा शेष 17 पत्रावलियां अपात्रा होने की वजह से निरस्त कर दी गईं। कृषि मंत्राी ने बताया कि फरवरी, 2016 तक 250 पत्रावलियों का कार्य पूर्ण कर भुगतान किया जा चुका है तथा शेष 280 पत्रावलियों का भौतिक सत्यापन कर भुगतान करने की प्रक्रिया जारी है।
कृषि मंत्री ने बताया कि वर्ष 2013-14 में करौली जिले में फार्म पौंड के लिए कुल 422 आवेदन प्राप्त हुए थे, जिनमें से 181 फार्म पौंडों का भुगतान कर दिया गया। उन्होंने बताया कि शेष 241 फार्म पौंड पत्रावलियों का भौतिक सत्यापन कराने के बाद 221 फार्म पौंडों का अनुदान भुगतान वर्ष 2014-15 में कर दिया गया तथा शेष 20 अपात्रा अनुदान पत्रावली निरस्त कर दी गईं।
उन्होंने बताया कि करौली जिले में राज्य में सर्वाधिक फार्म पौंड स्वीकृतियां जारी हुई हैं। उन्होंने यह भी बताया कि पूर्ववर्ती सरकार के समय वर्ष 2012-13 व 2013-14 में बिना प्रशासनिक एवं वित्तीय स्वीकृति के ही किसानों ने सवाईमाधोपुर में 450 एवं करौली जिले में 452 फार्म पौंड बना लिए थे, इसलिए उनका अनुदान भुगतान नहीं हो सका। उन्होंने सदन को आश्वस्त किया कि ऐसे मामलों के परीक्षण के लिए एक समिति का गठन कर इनका निस्तारण करने का प्रयास किया जाएगा।
उन्होंने करौली जिले में फार्म पौंड प्रकरण में एपीओ किए गए उपनिदेशक को पुनः पदस्थापित करने के सम्बंध में स्पष्ट किया कि सम्बंधित उपनिदेशक पर लगाए गए आरोपों की वस्तुस्थिति की जांच करने पर पाया गया कि किसानों ने फार्म पौडों का निर्माण मार्च, अप्रेल, मई, जून में करा लिया, जबकि दिशानिर्देश जुलाई माह में जारी हुए थे। उन्होंने सदन को आश्वस्त किया कि यदि उक्त अधिकारी की कोई गलती पाई गई, तो उसकी जांच कर कार्यवाही की जाएगी।
इससे पहले विधायक श्री घनश्याम महर के मूल प्रश्न के जवाब में श्री सैनी ने बताया कि फार्म पौंड योजनान्तर्गत चालू वित्तीय वर्ष 2015-16 में अनुदान की राशि भारत सरकार के दिशा निर्देशानुसार 60 हजार रुपये से घटाकर 52 हजार 500 रुपये कर दी गई है। उन्होंने बताया कि यह योजना राज्य के समस्त जिलों में समान रूप से अनुदान प्रावधान के साथ क्रियान्वित की जा रही है। फार्म पौंड योजना में भारत सरकार के वर्तमान दिशा निर्देशानुसार ही अनुदान दिया जा रहा है। श्री सैनी ने बताया कि यह केन्द्रीय प्रवर्तित योजना है, जो कि भारत सरकार के दिशा निर्देशानुसार ही संचालित की जा रही है।
चारे-पानी के टेस्ट की व्यवस्था15 सीसी टीवी कैमरे ————- नगरीय विकास मंत्राी श्री राजपाल सिंह शेखावत ने गुरूवार को विधानसभा में बताया कि हिंगोनिया पशु पुनर्वास केन्द्र उत्तर भारत का ऐसा पहला पशु पुनर्वास केन्द्र है, जहां गौवंश को दिये जाने वाले चारा-पानी का टेस्ट किया जाता है। साथ ही सभी गतिविधियों पर निगरानी के लिए केन्द्र में 15 सीसीटीवी कैमरे भी लगाए गए हैं।
श्री शेखावत ने शून्य काल में इस संबंध में उठाये मुद्दे पर हस्तक्षेप करते हुए बताया कि हिंगोनिया केन्द्र एक गौशाला नहीं है बल्कि आवारा पशुओं का पुनर्वास केन्द्र है। उन्होंने बताया कि इसमें वर्तमान में 8 हजार 410 गौवंश को रखने की व्यवस्था है। उन्होंने केन्द्र में गायों के मरने के संबंध में बताया कि पूर्ववर्ती सरकार के कार्यकाल में चारे-पानी व उनकी रखने तथा चिकित्सा की समुचित व्यवस्था नहीं होने के कारण प्रतिदिन लगभग 100 गायों की मृत्यु हो जाती थी।
उन्होंने बताया कि हमने गत एक-डेढ़ वर्ष के दौरान केन्द्र में 15 सीसी टीवी कैमरे लगाये जिसमें यह ज्ञात रहता है कि कौन आ रहा है, कौन जा रहा है तथा गायों को दिये जाने वाले चारे-पानी सहित उनके द्वारा प्राप्त दुग्ध पर निगरानी रखी जाती है।
नगरीय विकास मंत्राी ने बताया कि केन्द्र में पहली बार लैब लगाई गई है जिसमें गायों को दिये जाने वाले चारे-पानी का परीक्षण किया जाता है। उन्होंने बताया कि गायों को दिये जाने वाले चारे-पानी का परीक्षण करने का काम अभी देश में किसी भी गौशाला में नहीं है। उन्होंने बताया कि गायों को शुद्ध चारा-पारी देने व गायों की समुचित देखभाल करने की आवश्यकता है। उन्होंने बताया कि हमारे द्वारा केन्द्र में किये गये आवश्यक सुधारों की बदौलत ही अब प्रतिदिन मरने वाली गायों की संख्या 30 से नीचे आ गयी है।
उन्होंने यह भी बताया कि अभी भी गौशाला केन्द्रों में गौवंश के समुचित संरक्षण के लिए 10 करोड़ रुपये की व्यवस्था करनी पड़ेगी। उन्होंने बताया कि जयपुर में आवारा पशुओं की संख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है और इसको ध्यान में रखकर हिंगोनिया केन्द्र में वर्तमान के 23 बाडे़ कम पड़ रहे हैं इसलिए तीन नये बाडे़ और बनाये जायेंगे जहां 4 हजार से अधिक और गायों को रखा जा सकेगा।
श्री शेखावत ने बताया कि पशुओं को हरा चारा उपलब्ध करने के लिए हिंगोनिया गौशाला में 100 बीघा जमीन को समतल करने का कार्य कर चारा उगाया जा रहा है। उन्होंने बताया कि गौशाला में गायों की मौत को रोकने के लिए समुचित सुधार किया जायेगा और आने वाले 2 वर्षों में यहां पशु मृत्यु दर का आंकड़ा पूरे उत्तर भारत में न्यूनतम होगा।
खेल मैदानों के लिए विधायक कोष से प्राप्त राशि शीघ्र ————— खेल एवं युवा मामलात मंत्राी श्री गजेन्द्र सिंह खींवसर ने गुरूवार को विधानसभा में आश्वस्त किया कि प्रदेश में खेल मैदानों के लिए जहां-जहां विधायक कोष से राशि जमा हो गयी है उस राशि को सम्बन्धित खेल मैदान के लिए तुरन्त जारी कर दिया जायेगा।
श्री खींवसर प्रश्नकाल में विधायकों की ओर से पूछे गये पूरक प्रश्नों का जवाब दे रहे थे। उन्होंने स्पष्ट किया कि जिन खेल मैदानों का निर्माण मनरेगा योजना के तहत कराया जाता है वे खेल मैदान खेल विभाग के नहीं होते हैं बल्कि ऐसे मैदान स्कूलों के होते हैं। उन्होंन यह भी स्पस्ट किया कि स्कूलों का मैदान कहां होगा यह पंचायत का मामला है और इनके निर्माण के लिए राशि स्वीकृत करने का काम शिक्षा विभाग का होता है।
इससे पहले श्री खींवसर ने बड़ी सादड़ी विधायक श्री गौतम कुमार के मूल प्रश्न के जवाब में बताया कि भारत सरकार की केन्द्रीय प्रवर्तित योजना राजीव गांधी खेल अभियान के अन्तर्गत आगामी पांच वर्षों में राज्य के समस्त ब्लाॅक मुख्यालयों पर इण्डोर एवं आउटडोर खेल मैदानों का निर्माण कराये जाने की योजना है। उन्होंने बताया कि ग्राम पंचायतों में खेल मैदान का निर्माण मनरेगा योजना के अन्तर्गत किये जाने का प्रावधान है।
संप्रेषक ः— ह्रेतप्रकाश/संजय/मीणा
त्रिपाठी/गजाधर//नारोलिया
रजनीश/आशीष / पूनम
सूचना एवं जनसम्पर्क निदेशालय