भारत-म्‍यांमा समन्वित गश्‍त प्रक्रिया पर हस्‍ताक्षर

भारत-म्‍यांमा समन्वित गश्‍त प्रक्रिया  पर हस्‍ताक्षर
पेसूका ——————————भारत और म्‍यांमा के बीच जारी रक्षा संबंधों के तहत दोनों देशों की नौसेनाएं वर्ष 2013 से सामुद्रिक सीमा के साथ समन्वित गश्‍त लगाती आ रही हैं। इसी सिलसिले को आगे बढ़ाते हुए भारत-म्‍यांमा समन्वित गश्‍त (आईएमसीओआर) का चौथा संस्‍करण 13 फरवरी से 16 फरवरी 2016 तक अंडमान सागर में अंतराष्‍ट्रीय सामुद्रिक सीमा रेखा (आईएमबीएल) के साथ सफलतापूर्वक संपन्‍न किया गया।
चौथे आईएमसीओआर में भारतीय नौसेना के पोत सरयू और बितरा ने म्‍यांमा की नौसेना के पोत आंग‍ जेया और एफएसी 563 के साथ भाग लिया। पोर्ट ब्‍लेयर में सेना के तीनों अंगों के मुख्‍यालय की ओर से नेवल कम्‍पोनेंट कमांडर (नौसेना अंग के कमांडर) कमांडर गिरिश गर्ग ने भाग लिया। वे आईएनएस सरयू पर सवार थे। 

चौथे आईएमसीओआर के समापन समारोह के दौरान भारत और म्‍यांमा के बीच आईएमसीओआर के लिए मानक प्रचालन प्रक्रिया (एसओपी) पर भी हस्‍ताक्षर किए गए। इस दस्‍तावेज पर म्‍यांमा में भारत के राजदूत श्री गौतम मुखोपाध्‍याय की मौजूदगी में भारतीय नौसेना की ओर से कमांडर अतुल आनन्‍द वीएसएम और म्‍यांमा की नौसेना की ओर से कमांडर ऑंग जॉ हलाइंग ने हस्‍ताक्षर किए।

म्‍यांमा वह तीसरा देश है जिसके साथ भारत ने सामुद्रिक समन्वित गश्‍त के लिए औपचारिक समझौते पर हस्‍ताक्षर किए हैं और यह भारत तथा म्‍यांमा के बीच बढ़ते नौसैनिक संपर्कों को भी परिलक्षित करता है। एसओपी पर हस्‍ताक्षर एक महत्‍वपूर्ण उपलब्धि है और इससे सामरिक दृष्टि से महत्‍वपूर्ण अंडमान सागर और बंगाल की खाड़ी में लंबी सामुद्रिक सीमा साझा करने वाले दोनों मित्र देशों के बीच समन्वित गश्‍त को सुचारू ढंग से संपन्‍न करने में सहायता मिलेगी।

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